प्रादेशिक
भोपाल गैस त्रासदी : अब भी अपनों के लिए मलाल
भोपाल| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की हाउसिंग बोर्ड कालोनी में रहने वाली कुसुम बाई की आंखें अपने दिवंगत पति जयराम को याद कर आज भी डबडबा जाती हैं। यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी गैस ने उन पर ऐसा कहर ढाया कि उन्हें पति का शव तक नहीं मिला। वह जयराम की तस्वीर निहारते सिर्फ यादों के सहारे जी रही हैं। गैस त्रासदी की ऐसी पीड़िताएं और भी हैं।
जहरीली गैस से अपनों को खोने वाले हजारों परिवार हैं, जिन्हें अपनों के शव तक नसीब नहीं हुए।
भोपाल में दो-तीन दिसंबर 1984 की रात काल बनकर आई थी। यूनियन कार्बाइड संयंत्र से मिथाइल आइसो साइनाइड (मिक) गैस रिसी और वह जिस ओर बढ़ी, वहां तबाही मचाती रही। कुसुम बाई बताती हैं कि वह हादसे की रात सो रही थीं, उनके पति ने उन्हें जगाया और कहा, “पूरा भोपाल भागा जा रहा है और तुम हो कि सो रही हो।”
कुसुम ने जैसे ही पति की बात सुनी, वह भी घर से निकल पड़ी। वह बताती हैं कि जहरीली गैस के कारण उनकी आंखों में जलन हो रही थी, फिर भी भागे जा रही थीं। उस रात जिसे जहां रास्ता दिख रहा था, वह भागे जा रहा था। सड़कों पर लोग गिरे हुए थे। बच्चों और महिलाओं की चीख-पुकार से पूरा माहौल मातमी हो गया था। उसी भगदड़ में कुसुम पति से बिछुड़ गईं। काफी खोजा, मगर पति कहीं नहीं मिले।
कुछ ऐसा ही दुख मेवा बाई का है। उसने भी अपने पति किशन को हादसे की रात खो दिया। वह बताती हैं कि उनके पति स्टेशन के पास फर्नीचर बनाने का काम करते थे। जब गैस रिसी तब वह दुकान पर थे। उन्होंने अपनी जान बचाने की बजाय घर आकर उन्हें जगाया। मेवा बाई जागीं और अपने बच्चों के साथ सुरक्षित स्थान की तलाश में भागीं। इसी दौरान वह पति बिछुड़ गईं।
उनके पति का आज तक कहीं कोई सुराग नहीं लगा है।
भोपाल ग्रुप फॉर इंफोरमेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा बताती हैं कि प्रशासनिक आंकड़ा हकीकत से मेल नहीं खाता। बताया गया कि हादसे की रात ढाई से तीन हजार लोगों की मौत हुई, लेकिन यह सच्चाई से कहीं दूर है। पहले सात दिन तो हाल यह रहा कि प्रशासन अनगिनत शवों का अंतिम संस्कार करने की स्थिति में नहीं था। आखिरकार शवों की सामूहिक अंत्येष्टि करनी पड़ी और सैकड़ों शव नर्मदा नदी में बहा दिए गए। यही कारण रहा कि हजारों लोगों को अपने परिजनों के शव नसीब नहीं हो सके।
हर धर्म में अंतिम संस्कार का विधान है, मगर गैस पीड़ित हजारों परिवार ऐसे हैं जो अपनों को अंतिम विदाई तक नहीं दे सके। उन्हें 30 वर्ष बाद भी इस बात का मलाल है।
उत्तर प्रदेश
फिर से शुरू होंगे बंद सिनेमाघर, मल्टीप्लेक्स विहीन जनपदों में खुलेंगे मल्टीप्लेक्स
लखनऊ। योगी कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए प्रदेश में बंद पड़े सिनेमाघर को पुनः संचालित किए जाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही मल्टीप्लेक्स विहीन जनपदों में जल्द से जल्द मल्टीप्लेक्स निर्माण को प्रोत्साहित करने, एकल स्क्रीन सिनेमाघरों के निर्माण को प्रोत्साहित करने एवं संचालित सिनेमाघरों के उच्चीकरण हेतु समेकित प्रोत्साहन योजना को मंजूरी प्रदान की है। यह योजना 5 वर्ष तक प्रभावी रहेगी।
एसजीएसटी से प्रस्तावित अनुदान दिया जाएगा
प्रदेश के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने इस बारे में बताया कि प्रदेश में बन्द एकल छविगृह, संचालित सिनेमाघरों का पुनर्निर्माण/रिमॉडल करवाने व मल्टीप्लेक्स विहीन जनपद, मल्टीप्लेक्स के निर्माण हेतु तथा सिनेमाओं के उच्चीकरण हेतु समेकित प्रोत्साहन योजना लागू की जा रही है। सिनेमाघर / मल्टीप्लेक्स द्वारा राजकोष में जमा की गयी एसजीएसटी से प्रस्तावित अनुदान दिया जायेगा, जिससे राज्य सरकार पर कोई अतिरिक्त व्यय भार नहीं आयेगा।
मिलेंगे ये 7 अनुदान
1. योजना ज़ारी होने की तिथि से 05 वर्ष के अन्दर बंद अथवा संचालित सिनेमा को तोड़कर व्यावसायिक काम्पलेक्स तथा आधुनिक सिनेमा निर्माण के लिए प्रथम 03 वर्ष एकत्रित एसजीएसटी का 100 प्रतिशत तथा अगले 02 वर्ष एकत्रित एसजीएसटी का 75 प्रतिशत।
2. योजना जारी होने की तिथि से 05 वर्ष के अन्दर बंद या संचालित सिनेमा भवन की आन्तरिक संरचना में परिवर्तन कर पुनः संचालित करने अथवा स्क्रीन की संख्या में वृद्धि करने के लिए प्रथम 3 वर्ष एकत्रित एसजीएसटी का 75 प्रतिशत तथा अगले 02 वर्ष एकत्रित एसजीएसटी का 50 प्रतिशत।
3. बंद एकल सिनेमाघरों को बिना किसी आन्तरिक संरचना में परिवर्तन किये पुनः 31 मार्च 2025 तक जिला मजिस्ट्रेट से लाइसेंस प्राप्त कर फिल्म प्रदर्शन करने पर प्रथम 03 वर्ष एकत्रित एसजीएसटी का 50 प्रतिशत।
4. व्यावसायिक गतिविधियों सहित/रहित, न्यूनतम 75 आसन क्षमता के एकल स्क्रीन सिनेमाघर के निर्माण के लिए प्रथम 03 वर्ष एकत्रित एसजीएसटी का 100 प्रतिशत तथा अगले 02 वर्ष एकत्रित एसजीएसटी का 50 प्रतिशत।
5. जिन जनपदों में एक भी मल्टीप्लेक्स निर्मित/संचालित नहीं है, वहां मल्टीप्लेक्स खुलवाने के लिए 05 वर्ष तक एकत्रित एसजीएसटी का 100 प्रतिशत।
6. जिन जनपदों में मल्टीप्लेक्स निर्मित/संचालित है, वहां नवीन मल्टीप्लेक्स निर्माण के लिए प्रथम 03 वर्ष एकत्रित एसजीएसटी का 100 प्रतिशत तथा अगले 02 वर्ष एकत्रित एसजीएसटी का 50 प्रतिशत।
7. सिनेमाघर/मल्टीप्लेक्स के उच्चीकरण के लिए निवेश की गयी वास्तविक धनराशि का 50 प्रतिशत की सीमा तक एकत्रित एसजीएसटी के समतुल्य धनराशि अनुमन्य होगी।
सूचना प्रौद्योगिकी सेवा को “उद्योग” का दर्जा
योगी सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवाओं को उद्योग का दर्जा दिए जाने का निर्णय लिया है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि आईटी/आईटीएस क्षेत्र की तीव्र वृद्धि में सहायता के लिए राज्य को परिवर्तनकारी सुधारों को कार्यान्वित किए जाने की आवश्यकता है। इन सुधारों का उद्देश्य आईटी और आईटीएस क्षेत्र को “उद्योग” का दर्जा दिया जाना है। आवासीय विकास प्राधिकरणों तथा औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में औद्योगिक श्रेणी के अन्तर्गत वर्गीकृत भूमि को आईटी/आईटीईएस क्षेत्र की इकाइयों को औद्योगिक दर पर भूमि आवंटन की सुविधा प्रदान करने से आईटी/आईटीईएस इकाइयों को भूमि उपलब्धता में सुगमता होगी। आईटी/आईटीईएस क्षेत्र की नई क्रियाशील इकाईयों, जिनका न्यूनतम लोड 150 KW है, को औद्योगिक दरों पर विद्युत उपलब्ध कराए जाने से उनकी लाभप्रदता बढ़ाने में मदद मिलेगी और उत्तर प्रदेश राज्य आईटी/आईटीईएस क्षेत्र में अधिक निवेश आकृष्ट करने में सक्षम होगा। इस प्रकार के पुनर्वर्गीकरण से उत्तर प्रदेश में प्रचलित दरों के अनुसार इस क्षेत्र के लिए विद्युत की लागत में लगभग 18 प्रतिशत की बचत होगी।
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