प्रादेशिक
सीएम योगी के विजन अनुसार अयोध्या को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने पर किया जा रहा सबसे ज्यादा फोकस
अयोध्या। आध्यात्मिक राजधानी के तौर पर अयोध्या के विकास के विजन को साकार कर रही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अवधपुरी में धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने पर सबसे ज्यादा फोकस कर रही है। यहां लाखों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो तथा उन्हें समुचित नागरिक सुविधाओं का लाभ मिले, इस पर फोकस करते हुए सीएम योगी के दिशा-निर्देशन में विजन डॉक्यूमेंट 2047 के अंतर्गत परियोजनाओं पर कार्य निरंतर जारी है। इसी क्रम में अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने पवित्र सरयू नदी के किनारे सभी दर्शनीय घाटों को प्रीफैब टॉयलेट्स की परियोजना से आच्छादित करना शुरू कर दिया है, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को प्रसाधन सुविधा के दृष्टिगत किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। उल्लेखनीय है कि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के उपरांत श्रीराम जन्मभूमि मंदिर समेत सरयू घाटों पर भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दर्ज की जाएगी। वहीं 15 जनवरी को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर यहां माघ स्नान के अंतर्गत साधु-संन्यासी, श्रद्धालु व अयोध्या की जनमानस पवित्र सरयू में विभिन्न घाटों पर डुबकी लगाएगी। ऐसे में प्रीफैब टॉयलेट्स की स्थापना व संचालन के जरिए उन्हें प्रसाधन सुविधाओं का लाभ पहुंचाने के दृष्टिगत भी योगी सरकार व अयोध्या जिला प्रशासन कार्य कर रही है।
क्वॉलिटी कॉस्ट बेस्ड सिलेक्शन से होगा निर्धारण
अयोध्या के सरयू घाटों पर जिन 500 प्रीफैब टॉयलेट्स की स्थापना, संचालन व रखरखाव की प्रक्रिया शुरू की गई है, उसे एजेंसी निर्धारण द्वारा पूरा किया जाएगा जिसकी प्रक्रिया जारी है। एजेंसी निर्धारण के लिए क्वॉलिटी कॉस्ट बेस्ड सिलेक्शन प्रक्रिया को प्रयोग में लाया जा रहा है। इसके अंतर्गत कार्य करने की इच्छुक एजेंसियों द्वारा एडीए के समक्ष इन टॉयलेट्स के वर्किंग प्रोटोटाइप को संचालित करके दिखाने तथा कम कीमत में उच्चतम सुविधा उपलब्ध कराने जैसी प्रक्रियाओं को अमल में लाना होगा।
आम जनता मुफ्त में कर सकेगी इन टॉयलेट्स का उपयोग
इन टॉयलेट्स को एजेंसी के माध्यम से न्यूनतम 12 महीने के लिए संचालन व उपयोग में लाया जाएगा। निर्धारित एजेंसी को यह सुनिश्चित करना होगा कि संपूर्ण ब्लॉक स्वच्छता और परिचालन स्थितियों में हैं। सभी आवश्यक सैनिटरी फिटमेंट के साथ आपूर्ति किए गए टॉयलेट सीट ब्लॉक की गारंटी भी उच्चतम क्वॉलिटी की होनी चाहिए। सेप्टिक वेस्ट, निर्बाध जल आपूर्ति और सफाई उपकरणों, पर्यावरण अनुकूल रसायनों की प्रभावी सफाई सुनिश्चित करना, गैंग-चार्ट, सफाई कार्यक्रम/सफाई-रजिस्टर/उपस्थिति पत्रक/देखभाल करने वालों/प्रबंधन की निगरानी और पर्यवेक्षण जैसे कार्यों को भी करना होगा। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए कि टॉयलेट सीट ब्लॉक उचित वेंटिलेशन, प्रकाश और सहायक उपकरण के साथ 24×7 दिन चालू रहें, जो उक्त उद्देश्य को पूरा करने की दिशा में भी एजेंसी द्वारा कार्य किया जाएगा। सभी आवश्यक जानकारी/ संकेत और सार्वजनिक जागरूकता उपकरण प्रदान किया जाएगा, जो न केवल स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के उद्देश्य को पूरा करता है, बल्कि लोगों को उत्तम नागरिक प्रथाओं को अपनाने और दूसरों को इसके बारे में शिक्षित करेगा।
हिंदी, अंग्रेजी, तेलुगु गुजराती व मराठी भाषा का टॉयलेट साइनेज में होगा उपयोग
कलर कोडिंग को ध्यान में रखकर पुरुष व स्त्री प्रसाधन गृहों को संचालित किया जाएगा। इसमें पुरुषों के लिए नीला व महिलाओं के लिए पिंक रंग का प्रयोग किया जाएगा। इसके अतिरिक्त इन टॉयलेट्स को दर्शाने वाले संकेतक साइनेज बोर्ड्स को हिंदी, अंग्रेजी, तेलुगु, गुजराती व मराठी जैसी भाषाओं में दर्शाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, आम लोगों को आवश्यक सहायता प्राप्त करने में सहायता के लिए प्रत्येक बूथ पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हेल्पलाइन नंबर को भी प्रदर्शित किया जाएगा। शौचालयों के संचालन में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016, माननीय एनजीटी के निर्देशों और एसबीएम 2.0 के दिशानिर्देशों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए घाट की सफाई और जन जागरूकता अभियान में लगी अन्य टीम का समर्थन को भी समय-समय पर सुनिश्चित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि यहां स्थापित होने वाले 500 टॉयलेट ब्लॉक्स में से 450 नग आईडब्ल्यूसी/उड़ीसा पैन (इंडियन वॉटर क्लोजेट) होना चाहिए, जिसमें से 10 में विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए प्रावधान होना चाहिए, जबकि शेष 40 में ईडब्ल्यूसी (यूरोपीय वॉटर क्लोजेट) होना चाहिए, जिसमें आसानी से समझने के लिए दरवाजे के साइनेज हों। इन टॉयलेट्स को यूज करने वाले यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसलिए बाकायदा नियंत्रण कक्ष की स्थापना की जाएगी। यहां कॉल को अटेंड करने और रिकॉर्ड तरीके से मुद्दों के निवारण के लिए जवाब देने के लिए एक टोल-फ्री/मोबाइल नंबर (24/7) की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
उत्तर प्रदेश
महाकुंभ में कैलाश मानसरोवर शिविर का आयोजन, एनआरआई हरि गुप्ता करेंगे मानसरोवर से जुड़े रहस्यों का पर्दाफाश
महाकुंभ में एनआरआई हरि गुप्ता द्वारा कैलाश यात्रा शिविर कैलाश मानसरोवर से जुड़ी समस्याओं और रहस्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए महाकुंभ में एक शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें भारत और विदेश से कई मशहूर हस्तियों, अधिकारियों और सफल व्यवसायियों के शामिल होने की उम्मीद है। जिसमें चर्चित भारतीय फिल्म निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह मौजूद रहेंगे । दुष्यंत प्रताप सिंह अपने बेहतरीन निर्देशन के साथ – साथ पटकथा लेखन के लिए भी मशहूर हैं और साथ ही अमरजीत मिश्रा ट्रस्टी (दिव्य प्रेम सेवा मिशन) हरिद्वार और मशहूर व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर हलवासिया मौजूद रहेंगे। साथ ही सुधीर हलवासिया ने कहा कि कैलाश मानसरोवर शिविर हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देगा और उसमें सभी प्रकार से सहयोग करने की बात कही।
इस अवसर पर बॉलीवुड डायरेक्टर दुष्यंत प्रताप सिंह ने कहा कि किसी भी अन्य वासि भारतीयों द्वारा कैलाश मुक्ति अभियान के बैनर तले इतने बड़े अभियान का बीड़ा उठाना अपने आप में ही अद्भुत और बहुत साहस व लगन का विषय है और इस परिपेक्ष में सारे अन्य वासि भारतीयों को तकरीबन 15 से 20 अलग-अलग देशों के भारतीयों को एक झंडे तले लाना और अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए आध्यात्मिक विरासत के लिए भोलेनाथ शिव के लिए संघर्ष शुरू करना अपने आप में बहुत ही प्रेरणादायक है और हम लोग भी इस कार्य में जो भी योगदान हमारा हो सकता है वो हम लोग अपना योगदान दे रहे हैं हरि गुप्ता के साथ वहीं दिव्य प्रेम सेवा मिशन के ट्रस्टी अमरजीत मिश्रा जी ने कहा भारत एक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक देश के तौर पर वैश्विक रूप से सभी देशों का अगवा है और हरि गुप्ता जी ने यह जो प्रकल्प छेड़ा है l कैलाश मुक्ति अभियान वास्तव में ही बहुत प्रेरणादायक एवं एक अरुण संकल्प है और उन्होंने यह आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास व्यक्त किया की बहुत जल्द ही सभी भारतीयों को जो देश-विदेश पूरे विश्व में जहा जाएं उन्हें अपने आराध्य देव के दर्शन सुगम रूप से उपलब्ध हो सकें।
यह एक विडंबना है कि पिछले 5 सालों से भारतीय पासपोर्ट धारकों को मानसरोवर जाने की अनुमति नहीं है, जबकि अन्य देशों के नागरिक आसानी से वहां जा सकते हैं। किसी भी सरकार द्वारा किसी भी कारण से हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा को रोकना उचित नहीं है। यह हिंदू शिवभक्तों के मानवाधिकारों के बिल्कुल खिलाफ है। जबकि भारत सरकार ने 50 किलोमीटर दूर से कैलाश पर्वत को देखने के लिए कुछ मार्ग बनाए हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जैसे भोजन की थाली को देखना लेकिन उसे सूंघना, छूना, महसूस करना या खाना नहीं। जब भोजन को देखकर सामान्य भूख नहीं मिटती है l तो 50 किलोमीटर दूर से उसे देखने से आध्यात्मिक भूख कैसे मिटेगी।
भले ही यात्रा की अनुमति मिल गई हो, लेकिन वास्तविक यात्रा से भारतीय यात्रियों को कोई लाभ नहीं होगा। उन्हें अभी भी कैलाश की यात्रा के लिए नेपाल और उसके मागों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत से पिथौरागढ़ या सिक्किम के रास्ते बहुत लंबे और उबड़-खाबड़ रास्ते हैं। हरि गुप्ता दिल्ली से कैलाश के लिए सीधी चार्टर उड़ानें शुरू करने के इच्छुक हैं और एयरलाइन ऑपरेटरों से बातचीत कर रहे हैं। दिल्ली से कैलाश तक की केवल 500 किमी की उड़ान है।
आचार्य हरि गुप्ता विदेश में 30 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं और एक सफल व्यवसायी है। उन्होंने भोलेनाथ ने कई बार दर्शन किए हैं और कैलाश मुक्ति के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए मार्गदर्शन दिया है। वे इस अनुभव को भोलेनाथ की लीला के रूप में भी लिख रहे हैं। आचार्य हरि गुप्ता ने कहा कि कैलाश न केवल हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह सिख, जैन और बौद्धों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी।
पहले जैन गुरु ऋषभदेव जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी। आचार्य हरि गुप्ता को भोलेनाथ ने कई रहस्य बताए हैं जैसे पांच कैलाश हैं, जिनमें भोलेनाथ की अलग-अलग लीलाएं हैं। इनमें से एक मुख्य कैलाश वर्तमान में तिब्बत के अंतर्गत है, जो चीन के अंतर्गत आता है। उन्हें रहस्यमयी तरीके से कई लोगों से मिलने का मौका भी मिलता है, जिनमें से एक ने भगवान शिव के एक मंदिर के बारे में बताया है जो कैलाश के पास है और जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है।
यह अद्भुत शिव मंदिर पास के शहर में एक पहाड़ पर है और सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है। इसके एक तरफ पानी का झरना है। इसकी परिक्रमा के चारों ओर गहरी घाटी है। भक्तों को खीर का प्रसाद दिया जाता है जिसे चावल को सिर्फ़ इतना पकाकर मीठा किया जाता है कि वह मीठा हो जाए और उसमें कोई मीठा पदार्थ नहीं मिलाया जाता। आगंतुकों को कभी-कभी चार काले कुत्ते भी दिखाई देते हैं जिन्हें चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। मंदिर को हर साल पशुपति नाथ मंदिर से पहला एकमुखी रुद्राक्ष भी मिलता है जिस पर नेपाल के राजा का पहला अधिकार होता है।
कुछ साल पहले कैलाश की यात्रा करने वाले संजय जैन ने उन्हें मानसरोवर ताल के बारे में कुछ रहस्य भी बताए हैं। उन्होंने बताया कि मानसरोवर झील में कई पत्थर हैं जिन पर ओम, सांप या डमरू के प्राकृतिक निशान हैं। उन्होंने न केवल उन्हें अपनी आँखों से देखा है बल्कि उन्हें अपने साथ भी लाया है। सत्यापन के लिए दिल्ली में भी ऐसे दो पत्थर उपलब्ध हैं।
दूसरा रहस्य यह है कि मानसरोवर ताल के पास पक्षी किसी से भी भोजन ले लेते हैं जबकि राक्षस ताल के पास पक्षी कोई भी भोजन स्वीकार नहीं करते। यह जानकर आश्चर्य होता है कि यहाँ दो ताल हैं, एक में मीठा और साफ पानी है जबकि दूसरे में वह नहीं है। एक में लहरें हैं और दूसरे में नहीं। एक बर्फ में जम जाता है जबकि दूसरा नहीं। भोलेनाथ द्वारा दी गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंत र्दृष्टि यह है कि जब हम गूगल मैप को 180 डिग्री घुमाते हैं- तो हम झीलों के आकार को शिवलिंग और योनि के रूप में पहचान सकते हैं।
आचार्य हरि गुप्ता सभी संतों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए सांसदों को ईमेल के जरिए पत्र भी भेजे हैं। भोलेनाथ की प्रेरणा से उन्होंने जय कैलाश नाम से एक भजन भी लिखा है जिसमें भगवान शिव, कैलाश पर्वत और उसके महत्व के बारे में आसानी से बताया गया है। यह गीत Youtube.com/@JaiKailasha पर है। गौरतलब है कि 60 साल के अपने पूरे जीवन में उन्होंने शायद ही कभी संगीत सुना हो और कभी कोई कविता या गीत नहीं लिखा हो। आचार्य हरि गुप्ता इस उद्देश्य के लिए www.kailashmukti.com के नाम से एक वेबसाइट भी बना रहे हैं।
कैलाश आने वाले कई लोगों ने बताया है कि मानसरोवर और उसके आस-पास के स्थानों पर तीर्थयात्रियों के ठहरने, शौचालय, चिकित्सा और यात्रा के लिए शायद ही कोई सुविधा है। उनका इरादा तीर्थयात्रियों के लिए वहां भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का है और इसके लिए वे भारत और चीन सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। आचार्य हरि गुप्ता को पूरा विश्वास है कि यह काम जल्द ही पूरा हो जाएगा क्योंकि इस आंदोलन का मार्गदर्शन स्वयं भोलेनाथ कर रहे हैं। यह भोलेनाथ की ही कृपा है कि 4 महीने पहले एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया प्रयास अब करोड़ों लोगों तक पहुँच रहा है। वे सभी शिवभक्तों, मीडिया, अधिकारियों और राजनेताओं से अपील कर रहे हैं कि वे इस बारे में आवाज उठाएं और इसे जल्द से जल्द हल करने के लिए मिलकर काम करें ताकि शिवभक्त बिना किसी प्रतिबंध, भय या परेशानी के इस पवित्र स्थान की यात्रा करके अपने इष्ट देव की पूजा से आध्यात्मिक लाभ उठाएँ।
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