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अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिकी सांसद ने कहा- पाकिस्तान को नहीं, अब चीन को चुनौती मानते हैं भारतीय

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US MP Ro Khanna

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वाशिंगटन। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने कहा है कि भारतीय अब पाकिस्तान को नहीं बल्कि चीन को सबसे बड़ी सैन्य चुनौती मानते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका को चीन के साथ अपने रिश्तों को फिर से संतुलित करने की जरूरत है।

बता दें कि मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भिड़ंत के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बना हुआ है। भारत और चीन 17 राउंड की शीर्ष कमांडर स्तर की बातचीत कर चुके हैं लेकिन अभी भी दोनों देशों में तनाव बना हुआ है। भारत साफ कर चुका है कि जब तक सीमा पर शांति नहीं होगी, तब तक दोनों देशों के संबंध सामान्य नहीं हो सकेंगे।

क्या बोले अमेरिकी सांसद

प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के हूवर इंस्टीट्यूट में विदेश नीति पर दिए अपने संबोधन में रो खन्ना ने कहा कि ‘आज हमें चीन के साथ अपने रिश्तों को फिर से संतुलित करने की जरूरत है। इससे हमें और एशिया में हमारे सहयोगियों को मिल रही चुनौती को लेकर स्पष्टता आएगी। हम उम्मीद करते हैं कि हमारी कूटनीति और नेतृत्व की बदौलत 21वीं सदी, 20वीं सदी की तुलना में कम हिंसाग्रस्त होगी।’

रो खन्ना ने कहा कि ‘चीन एशिया में आधिपत्य जमा रहा है और सीमा विवाद को लेकर भारत को धमका रहा है तो अन्य देशों के साथ भी जूनियर सहयोगियों जैसा व्यवहार कर रहा है।’ खन्ना ने कहा कि अमेरिका को भारत और अन्य एशियाई सहयोगी देशों के साथ संबंध मजबूत करने की जरूरत है।

साल 2017 में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत ने मिलकर क्वाड का गठन किया, जिसका उद्देश्य भारत प्रशांत क्षेत्र में अहम समुद्री रास्ते की सुरक्षा सुनिश्चित करना है ताकि यह रास्ता किसी भी देश के प्रभाव से मुक्त रहे।

दक्षिणी चीन सागर पर आधिपत्य जमा रहा चीन

बता दें कि चीन, दक्षिणी चीन सागर और पूर्वी चीन सागर को लेकर पड़ोसी देशों के साथ विवाद कर रहा है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। वहीं वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई, ताइवान भी दक्षिणी चीन सागर पर अपना दावा करते हैं।

चीन द्वारा दक्षिणी चीन सागर में कई कृत्रिम द्वीप बनाकर यहां अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है। दक्षिणी चीन सागर और पूर्वी चीन सागर मिनरल्स, तेल और प्राकृतिक संसाधनों के मामले में काफी समृद्ध माने जाते हैं, साथ ही वैश्विक कारोबार के लिए भी ये क्षेत्र बेहद अहम हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

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