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उत्तर प्रदेश

यूपी का नया ‘पॉवर हाउस’ बनने की राह पर बुंदेलखंड

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लखनऊ। दशकों से देश के सबसे शुष्क और पिछड़े क्षेत्रों में शुमार बुंदेलखंड रीजन अब प्रगति की राह पर तेजी से बढ़ रहा है। इस परिक्षेत्र में विगत सात साल में सर्वाधिक विकास कार्य किये गये हैं। हाल ही में 10 लाख करोड़ से अधिक के निवेश को धरातल पर उतारा गया है। इसके बाद बुंदेलखंड का पूरा इलाका उत्तर प्रदेश के लिए ऊर्जा का नया हब बनने जा रहा है। यहां स्थापित होने वाली अधिकतर परियोजनाएं सौर ऊर्जा के उत्पादन पर आधारित हैं। तकरीबन 10 बड़ी परियोजनाएं ऐसी हैं जो सीधे-सीधे सौर ऊर्जा से जुड़ी हुई हैं। इन परियोजनाओं से ही तीन हजार मेगावाट से अधिक का विद्युत उत्पादन होगा।

30 हजार करोड़ की 29 बड़ी परियोजनाएं बदलेंगी बुंदेलखंड की सूरत

दरअसल, बुंदेलखंड में वर्ष 2017 के बाद से विशेष ध्यान दिया जाने लगा। शुष्क और पिछड़ा इलाका होने और कनेक्टिविटी का जरिया न होने के कारण इस क्षेत्र में विकास की रफ्तार शुरू से ही धीमी रही है। बावजूद इसके पिछले सात वर्षों में एक के बाद एक विकास और आधारभूत संरचनाओं से जुड़े तमाम प्रोजेक्ट के जरिए निवेशकों को इस रीजन में अपना उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया। इसके परिणामस्वरूप यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के एक साल बाद ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के जरिए तकरीबन 30 हजार करोड़ की 29 बड़ी परियोजनाओं ने बुंदेलखंड में उद्योग स्थापित करना आरंभ कर दिया है। इनमें भी 10 परियोजनाएं सौर ऊर्जा से जुड़ी हुई हैं, जोकि बुंदेलखंड के हमीरपुर को छोड़कर बाकी सभी 6 जनपदों (जालौन, झांसी, ललितपुर, बांदा, चित्रकूट और महोबाद) में स्थापित हो रही हैं। अकेले झांसी जनपद में तीन सोलर पॉवर परियोजना स्थापित होने जा रही हैं।

झांसी में सर्वाधिक सोलर पावर प्लांट

बुंदेलखंड रीजन के झांसी मंडल के मुख्यालय जनपद झांसी की बात करें तो यहां टुस्को की ओर से 600 मेगावाट सोलर प्लांट की स्थापना की जा रही है। 3430 करोड़ की इस परियोजना से 300 रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। इसके अलावा फोर्थ पार्टनर एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड 1200 करोड़ से 100 मेगावाट सोलर प्लांट की स्थापना करेगा, जिससे 1000 रोजगार के अवसर सृजित होंगे। वहीं सन सोर्स एनर्जी 600 करोड़ से 135 मेगावाट ओपन एक्सेस सोलर पॉवर प्रोजेक्ट की शुरुआत करेगा, जिससे 2000 रोजगार का सृजन होगा।

ललितपुर और बांदा भी पीछे नहीं

ललितपुर जिले में टुस्को की ओर से 600 मेगावाट सोलर पॉवर प्लांट को स्थापित किया जा रहा है। 3450 करोड़ की इस परियोजना से 300 रोजगार के अवसर सृजित होंगे। इसी प्रकार सूर्य ऊर्जा फोर प्राइवेट लिमिटेड की ओर से 150 करोड़ की लागत से 10-15 मेगावाट सोलर पॉवर प्रोजेक्ट लगाया जाएगा, जो 200 लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करेगा। बांदा में अवाडा इंड सोलर प्राइवेट लिमिटेड 350 करोड़ की लागत से 750 मेगावाट सोलर पॉवर प्रोजेक्ट स्थापित करेगा। इसके अलावा 62 करोड़ की लागत से सनश्योर सोलर पार्क एट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 15 मेगावाट सोलर पॉवर प्रोजेक्ट की स्थापना की जा रही है।

चित्रकूट और महोबा भी बनेंगे सौर ऊर्जा के बड़े केंद्र

चित्रकूट की बात करें तो यहां टुस्को लिमिटेड 4700 करोड़ की लागत से 800 मेगावाट सोलर पॉवर प्रोजेक्ट की स्थापना करेगा। इससे 400 लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। इसके अलावा श्री सिमेंट प्राइवेट लिमिटेड 202 करोड़ से सोलर पॉवर प्लांट की स्थापना करेगा। बुंदेलखंड क्षेत्र के महोबा में टुस्को लिमिटेड द्वारा 1008 करोड़ से 155 मेगावाट अर्जुन सागर फ्लोटिंग सोलर पॉवर प्रोजेक्ट की स्थापना की जा रही है। इससे 78 लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। महोबा में ही आईबी वोगट सोलर फोर प्राइवेट लिमिटेड 80 करोड़ की लागत से सोलर पॉवर प्रोजेक्ट स्थापित करेगा।

सौर ऊर्जा के अलावा ये बड़ी परियोजनाएं भी समृद्धि को देंगी रफ्तार

अन्य बड़ी परियोजनाओं में 2840 करोड़ से रेलवे के एलबीएच कोच प्रोजेक्ट और ट्रैक वर्क का प्लांट स्थापित की जा रही है। संत मां कर्मा मानव संवर्धन समिति की ओर से 501 करोड़ की लागत से प्राइवेट विश्वविद्यालय की स्थापना होगी। ललितपुर में 30 करोड़ की लागत से स्टोन माइनिंग और 20 करोड़ से डिफेंस सेक्टर के लिए गन प्रोपलेंट प्रोजेक्ट स्थापित की जा रही है। चित्रकूट में सौराष्ट्र भुज फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड 500 करोड़ से फूड प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करेगी। यही नहीं चित्रकूट में वरुन बेवरेज लिमिटेड 496 करोड़ और शुक्ला इंटरप्राइजेज फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में 200 करोड़ का बड़ा निवेश कर चुकी है। इसी प्रकार हमीरपुर में मैन्यूफैक्चरिंग और एग्री बेस्ड सॉयल प्रोजेक्ट्स में भी तीन बड़ी कंपनियों ने तकरीबन 940 करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया है। महोबा में भी देशी भोग की ओर से फूड प्रॉसेसिंग मेकिंग यूनिट जीआरएस होटल प्राइवेट लिमिटेड की ओर से 50-50 करोड़ का निवेश किया गया है।

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उत्तर प्रदेश

महाकुंभ में कैलाश मानसरोवर शिविर का आयोजन, एनआरआई हरि गुप्ता करेंगे मानसरोवर से जुड़े रहस्यों का पर्दाफाश

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महाकुंभ में एनआरआई हरि गुप्ता द्वारा कैलाश यात्रा शिविर कैलाश मानसरोवर से जुड़ी समस्याओं और रहस्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए महाकुंभ में एक शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें भारत और विदेश से कई मशहूर हस्तियों, अधिकारियों और सफल व्यवसायियों के शामिल होने की उम्मीद है। जिसमें चर्चित भारतीय फिल्म निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह मौजूद रहेंगे । दुष्यंत प्रताप सिंह अपने बेहतरीन निर्देशन के साथ – साथ पटकथा लेखन के लिए भी मशहूर हैं और साथ ही अमरजीत मिश्रा ट्रस्टी (दिव्य प्रेम सेवा मिशन) हरिद्वार और मशहूर व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर हलवासिया मौजूद रहेंगे। साथ ही सुधीर हलवासिया ने कहा कि कैलाश मानसरोवर शिविर हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देगा और उसमें सभी प्रकार से सहयोग करने की बात कही।

इस अवसर पर बॉलीवुड डायरेक्टर दुष्यंत प्रताप सिंह ने कहा कि किसी भी अन्य वासि भारतीयों द्वारा कैलाश मुक्ति अभियान के बैनर तले इतने बड़े अभियान का बीड़ा उठाना अपने आप में ही अद्भुत और बहुत साहस व लगन का विषय है और इस परिपेक्ष में सारे अन्य वासि भारतीयों को तकरीबन 15 से 20 अलग-अलग देशों के भारतीयों को एक झंडे तले लाना और अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए आध्यात्मिक विरासत के लिए भोलेनाथ शिव के लिए संघर्ष शुरू करना अपने आप में बहुत ही प्रेरणादायक है और हम लोग भी इस कार्य में जो भी योगदान हमारा हो सकता है वो हम लोग अपना योगदान दे रहे हैं हरि गुप्ता के साथ वहीं दिव्य प्रेम सेवा मिशन के ट्रस्टी अमरजीत मिश्रा जी ने कहा भारत एक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक देश के तौर पर वैश्विक रूप से सभी देशों का अगवा है और हरि गुप्ता जी ने यह जो प्रकल्प छेड़ा है l कैलाश मुक्ति अभियान वास्तव में ही बहुत प्रेरणादायक एवं एक अरुण संकल्प है और उन्होंने यह आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास व्यक्त किया की बहुत जल्द ही सभी भारतीयों को जो देश-विदेश पूरे विश्व में जहा जाएं उन्हें अपने आराध्य देव के दर्शन सुगम रूप से उपलब्ध हो सकें।

यह एक विडंबना है कि पिछले 5 सालों से भारतीय पासपोर्ट धारकों को मानसरोवर जाने की अनुमति नहीं है, जबकि अन्य देशों के नागरिक आसानी से वहां जा सकते हैं। किसी भी सरकार द्वारा किसी भी कारण से हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा को रोकना उचित नहीं है। यह हिंदू शिवभक्तों के मानवाधिकारों के बिल्कुल खिलाफ है। जबकि भारत सरकार ने 50 किलोमीटर दूर से कैलाश पर्वत को देखने के लिए कुछ मार्ग बनाए हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जैसे भोजन की थाली को देखना लेकिन उसे सूंघना, छूना, महसूस करना या खाना नहीं। जब भोजन को देखकर सामान्य भूख नहीं मिटती है l तो 50 किलोमीटर दूर से उसे देखने से आध्यात्मिक भूख कैसे मिटेगी।

भले ही यात्रा की अनुमति मिल गई हो, लेकिन वास्तविक यात्रा से भारतीय यात्रियों को कोई लाभ नहीं होगा। उन्हें अभी भी कैलाश की यात्रा के लिए नेपाल और उसके मागों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत से पिथौरागढ़ या सिक्किम के रास्ते बहुत लंबे और उबड़-खाबड़ रास्ते हैं। हरि गुप्ता दिल्ली से कैलाश के लिए सीधी चार्टर उड़ानें शुरू करने के इच्छुक हैं और एयरलाइन ऑपरेटरों से बातचीत कर रहे हैं। दिल्ली से कैलाश तक की केवल 500 किमी की उड़ान है।

आचार्य हरि गुप्ता विदेश में 30 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं और एक सफल व्यवसायी है। उन्होंने भोलेनाथ ने कई बार दर्शन किए हैं और कैलाश मुक्ति के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए मार्गदर्शन दिया है। वे इस अनुभव को भोलेनाथ की लीला के रूप में भी लिख रहे हैं। आचार्य हरि गुप्ता ने कहा कि कैलाश न केवल हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह सिख, जैन और बौद्धों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी।

पहले जैन गुरु ऋषभदेव जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी। आचार्य हरि गुप्ता को भोलेनाथ ने कई रहस्य बताए हैं जैसे पांच कैलाश हैं, जिनमें भोलेनाथ की अलग-अलग लीलाएं हैं। इनमें से एक मुख्य कैलाश वर्तमान में तिब्बत के अंतर्गत है, जो चीन के अंतर्गत आता है। उन्हें रहस्यमयी तरीके से कई लोगों से मिलने का मौका भी मिलता है, जिनमें से एक ने भगवान शिव के एक मंदिर के बारे में बताया है जो कैलाश के पास है और जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है।

यह अद्भुत शिव मंदिर पास के शहर में एक पहाड़ पर है और सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है। इसके एक तरफ पानी का झरना है। इसकी परिक्रमा के चारों ओर गहरी घाटी है। भक्तों को खीर का प्रसाद दिया जाता है जिसे चावल को सिर्फ़ इतना पकाकर मीठा किया जाता है कि वह मीठा हो जाए और उसमें कोई मीठा पदार्थ नहीं मिलाया जाता। आगंतुकों को कभी-कभी चार काले कुत्ते भी दिखाई देते हैं जिन्हें चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। मंदिर को हर साल पशुपति नाथ मंदिर से पहला एकमुखी रुद्राक्ष भी मिलता है जिस पर नेपाल के राजा का पहला अधिकार होता है।

कुछ साल पहले कैलाश की यात्रा करने वाले संजय जैन ने उन्हें मानसरोवर ताल के बारे में कुछ रहस्य भी बताए हैं। उन्होंने बताया कि मानसरोवर झील में कई पत्थर हैं जिन पर ओम, सांप या डमरू के प्राकृतिक निशान हैं। उन्होंने न केवल उन्हें अपनी आँखों से देखा है बल्कि उन्हें अपने साथ भी लाया है। सत्यापन के लिए दिल्ली में भी ऐसे दो पत्थर उपलब्ध हैं।

दूसरा रहस्य यह है कि मानसरोवर ताल के पास पक्षी किसी से भी भोजन ले लेते हैं जबकि राक्षस ताल के पास पक्षी कोई भी भोजन स्वीकार नहीं करते। यह जानकर आश्चर्य होता है कि यहाँ दो ताल हैं, एक में मीठा और साफ पानी है जबकि दूसरे में वह नहीं है। एक में लहरें हैं और दूसरे में नहीं। एक बर्फ में जम जाता है जबकि दूसरा नहीं। भोलेनाथ द्वारा दी गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंत र्दृष्टि यह है कि जब हम गूगल मैप को 180 डिग्री घुमाते हैं- तो हम झीलों के आकार को शिवलिंग और योनि के रूप में पहचान सकते हैं।

आचार्य हरि गुप्ता सभी संतों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए सांसदों को ईमेल के जरिए पत्र भी भेजे हैं। भोलेनाथ की प्रेरणा से उन्होंने जय कैलाश नाम से एक भजन भी लिखा है जिसमें भगवान शिव, कैलाश पर्वत और उसके महत्व के बारे में आसानी से बताया गया है। यह गीत Youtube.com/@JaiKailasha पर है। गौरतलब है कि 60 साल के अपने पूरे जीवन में उन्होंने शायद ही कभी संगीत सुना हो और कभी कोई कविता या गीत नहीं लिखा हो। आचार्य हरि गुप्ता इस उद्देश्य के लिए www.kailashmukti.com के नाम से एक वेबसाइट भी बना रहे हैं।

कैलाश आने वाले कई लोगों ने बताया है कि मानसरोवर और उसके आस-पास के स्थानों पर तीर्थयात्रियों के ठहरने, शौचालय, चिकित्सा और यात्रा के लिए शायद ही कोई सुविधा है। उनका इरादा तीर्थयात्रियों के लिए वहां भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का है और इसके लिए वे भारत और चीन सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। आचार्य हरि गुप्ता को पूरा विश्वास है कि यह काम जल्द ही पूरा हो जाएगा क्योंकि इस आंदोलन का मार्गदर्शन स्वयं भोलेनाथ कर रहे हैं। यह भोलेनाथ की ही कृपा है कि 4 महीने पहले एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया प्रयास अब करोड़ों लोगों तक पहुँच रहा है। वे सभी शिवभक्तों, मीडिया, अधिकारियों और राजनेताओं से अपील कर रहे हैं कि वे इस बारे में आवाज उठाएं और इसे जल्द से जल्द हल करने के लिए मिलकर काम करें ताकि शिवभक्त बिना किसी प्रतिबंध, भय या परेशानी के इस पवित्र स्थान की यात्रा करके अपने इष्ट देव की पूजा से आध्यात्मिक लाभ उठाएँ।

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