प्रादेशिक
किसानों की हर शंका का होगा समाधान, प्रदेश में मनाया जा रहा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सप्ताह
लखनऊ| भारत सरकार द्वारा देश की आजादी के 75वें वर्षगाँठ को ‘भारत का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इसी क्रम में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से संचालित फ्लैगशिप योजना “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना” के व्यापक प्रचार-प्रसार करने, योजना के प्रति कृषकों की आशंकाओं के समाधान करने एवं योजना में कृषकों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से माह जुलाई 2023 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सप्ताह मनाया जा रहा है तथा योजना की जागरूकता का कार्यक्रम प्रदेश में इस पूरे माह चलेगा। इसी के अन्तर्गत आज दिनांक 24.07.2023 को राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
कार्यक्रम का उद्घाटन श्री सूर्य प्रताप शाही, मा० कृषि मंत्री जी, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया गया। उक्त कार्यक्रम में श्री बलदेव सिंह औलख जी, मा० कृषि राज्यमंत्री, डा० देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश शासन, श्री राजशेखर, सचिव कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश, श्री अंजनी कुमार सिंह, निदेशक, मण्डी परिषद, श्री विवेक कुमार सिंह, कृषि निदेशक, उत्तर प्रदेश, डा० पंकज त्रिपाठी, निदेशक, राज्य कृषि प्रबन्ध संस्थान, श्रीमती सुमिता सिंह, निदेशक, कृषि सांख्यिकी एवं फसल बीमा, उत्तर प्रदेश एवं बीमा कम्पनी के राज्य स्तर के अधिकारी, बैंकों के नोडल अधिकारी एवं विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे।
कृषकों को सम्बोधित करते हुए श्री सूर्य प्रताप शाही, मा० कृषि मंत्री जी ने बताया कि आपदा के समय कृषकों की आय को स्थिर रखने एवं कृषकों की आय दुगुनी करने की दिशा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है। यह कृषकों को किसी भी प्रकार की दैवीय आपदा के विरूद्ध उनकी अधिसूचित फसलों को बीमा कवर प्रदान करते हुए वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं और उन्हें कृषि क्षेत्र में नवीन तकनीक, आधुनिक संसाधन एवं उन्नत किस्म के बीजों का उपयोग कर उत्पादन को बढ़ाये जाने हेतु प्रोत्साहित करती है। इस प्रकार बीमित कृषक न केवल अपनी आय में वृद्धि करता है, बल्कि प्रदेश एवं देश की खाद्यान्न सुरक्षा में अपने योगदन की प्रमुखता को बनाये रखता है। आज कृषि जगत में सबसे बड़ी चुनौती, जो किसान भाईयों के सामने है, वह है मौसम में अचानक परिवर्तन जिसको वैज्ञानिकी भाषा में जलवायु परिवर्तन कहते हैं। समय से वर्षा न होना, दो से तीन दिन में ही पूरे सीजन की वर्षा हो जाना तापमान अचानक कम व अधिक हो जाना ये चीज किसानों के लिए प्रतिकूल होती है, ऐसे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं पुर्नगठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अर्न्तगत बीमित कृषक इसका लाभ उठा सकते हैं। प्रदेश के सभी कृषक भाई योजनार्न्तगत 31 जुलाई 2023 तक अपनी फसलों का बीमा कराकर प्राकृतिक आपदाओं से अपनी फसल को सुरक्षा प्रदान करें एवं देश व प्रदेश के आर्थिक विकास में अपना योगदान दें।
इस कार्यक्रम के उपरान्त मा० कृषि मंत्री जी के द्वारा कृषि भवन के तृतीय तल स्थित सभाकक्ष में विभागीय अधिकारियों एवं समस्त बैकों के अधिकारियों, नाबार्ड एवं राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए खरीफ 2023 मौसम में फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड (के०सी०सी०) योजना प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलम्बन योजना (एग्री जंक्शन) योजना, एफ०पी०ओ० एवं फार्म मशीनरी बैंक कस्टम हायरिंग सेन्टर की स्थापना के सन्दर्भ में बैंकों के स्तर से की जाने वाली कार्यवाही समीक्षा की गयी एवं सभी अधिकारियों इन योजना के अर्न्तगत बैंकों के स्तर से सम्पादित होने वाले समस्त कार्यों को तत्काल पूर्ण कराने हेतु निर्देशित किया गया।
उत्तर प्रदेश
महाकुंभ में कैलाश मानसरोवर शिविर का आयोजन, एनआरआई हरि गुप्ता करेंगे मानसरोवर से जुड़े रहस्यों का पर्दाफाश
महाकुंभ में एनआरआई हरि गुप्ता द्वारा कैलाश यात्रा शिविर कैलाश मानसरोवर से जुड़ी समस्याओं और रहस्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए महाकुंभ में एक शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें भारत और विदेश से कई मशहूर हस्तियों, अधिकारियों और सफल व्यवसायियों के शामिल होने की उम्मीद है। जिसमें चर्चित भारतीय फिल्म निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह मौजूद रहेंगे । दुष्यंत प्रताप सिंह अपने बेहतरीन निर्देशन के साथ – साथ पटकथा लेखन के लिए भी मशहूर हैं और साथ ही अमरजीत मिश्रा ट्रस्टी (दिव्य प्रेम सेवा मिशन) हरिद्वार और मशहूर व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर हलवासिया मौजूद रहेंगे। साथ ही सुधीर हलवासिया ने कहा कि कैलाश मानसरोवर शिविर हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देगा और उसमें सभी प्रकार से सहयोग करने की बात कही।
इस अवसर पर बॉलीवुड डायरेक्टर दुष्यंत प्रताप सिंह ने कहा कि किसी भी अन्य वासि भारतीयों द्वारा कैलाश मुक्ति अभियान के बैनर तले इतने बड़े अभियान का बीड़ा उठाना अपने आप में ही अद्भुत और बहुत साहस व लगन का विषय है और इस परिपेक्ष में सारे अन्य वासि भारतीयों को तकरीबन 15 से 20 अलग-अलग देशों के भारतीयों को एक झंडे तले लाना और अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए आध्यात्मिक विरासत के लिए भोलेनाथ शिव के लिए संघर्ष शुरू करना अपने आप में बहुत ही प्रेरणादायक है और हम लोग भी इस कार्य में जो भी योगदान हमारा हो सकता है वो हम लोग अपना योगदान दे रहे हैं हरि गुप्ता के साथ वहीं दिव्य प्रेम सेवा मिशन के ट्रस्टी अमरजीत मिश्रा जी ने कहा भारत एक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक देश के तौर पर वैश्विक रूप से सभी देशों का अगवा है और हरि गुप्ता जी ने यह जो प्रकल्प छेड़ा है l कैलाश मुक्ति अभियान वास्तव में ही बहुत प्रेरणादायक एवं एक अरुण संकल्प है और उन्होंने यह आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास व्यक्त किया की बहुत जल्द ही सभी भारतीयों को जो देश-विदेश पूरे विश्व में जहा जाएं उन्हें अपने आराध्य देव के दर्शन सुगम रूप से उपलब्ध हो सकें।
यह एक विडंबना है कि पिछले 5 सालों से भारतीय पासपोर्ट धारकों को मानसरोवर जाने की अनुमति नहीं है, जबकि अन्य देशों के नागरिक आसानी से वहां जा सकते हैं। किसी भी सरकार द्वारा किसी भी कारण से हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा को रोकना उचित नहीं है। यह हिंदू शिवभक्तों के मानवाधिकारों के बिल्कुल खिलाफ है। जबकि भारत सरकार ने 50 किलोमीटर दूर से कैलाश पर्वत को देखने के लिए कुछ मार्ग बनाए हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जैसे भोजन की थाली को देखना लेकिन उसे सूंघना, छूना, महसूस करना या खाना नहीं। जब भोजन को देखकर सामान्य भूख नहीं मिटती है l तो 50 किलोमीटर दूर से उसे देखने से आध्यात्मिक भूख कैसे मिटेगी।
भले ही यात्रा की अनुमति मिल गई हो, लेकिन वास्तविक यात्रा से भारतीय यात्रियों को कोई लाभ नहीं होगा। उन्हें अभी भी कैलाश की यात्रा के लिए नेपाल और उसके मागों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत से पिथौरागढ़ या सिक्किम के रास्ते बहुत लंबे और उबड़-खाबड़ रास्ते हैं। हरि गुप्ता दिल्ली से कैलाश के लिए सीधी चार्टर उड़ानें शुरू करने के इच्छुक हैं और एयरलाइन ऑपरेटरों से बातचीत कर रहे हैं। दिल्ली से कैलाश तक की केवल 500 किमी की उड़ान है।
आचार्य हरि गुप्ता विदेश में 30 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं और एक सफल व्यवसायी है। उन्होंने भोलेनाथ ने कई बार दर्शन किए हैं और कैलाश मुक्ति के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए मार्गदर्शन दिया है। वे इस अनुभव को भोलेनाथ की लीला के रूप में भी लिख रहे हैं। आचार्य हरि गुप्ता ने कहा कि कैलाश न केवल हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह सिख, जैन और बौद्धों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी।
पहले जैन गुरु ऋषभदेव जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी। आचार्य हरि गुप्ता को भोलेनाथ ने कई रहस्य बताए हैं जैसे पांच कैलाश हैं, जिनमें भोलेनाथ की अलग-अलग लीलाएं हैं। इनमें से एक मुख्य कैलाश वर्तमान में तिब्बत के अंतर्गत है, जो चीन के अंतर्गत आता है। उन्हें रहस्यमयी तरीके से कई लोगों से मिलने का मौका भी मिलता है, जिनमें से एक ने भगवान शिव के एक मंदिर के बारे में बताया है जो कैलाश के पास है और जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है।
यह अद्भुत शिव मंदिर पास के शहर में एक पहाड़ पर है और सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है। इसके एक तरफ पानी का झरना है। इसकी परिक्रमा के चारों ओर गहरी घाटी है। भक्तों को खीर का प्रसाद दिया जाता है जिसे चावल को सिर्फ़ इतना पकाकर मीठा किया जाता है कि वह मीठा हो जाए और उसमें कोई मीठा पदार्थ नहीं मिलाया जाता। आगंतुकों को कभी-कभी चार काले कुत्ते भी दिखाई देते हैं जिन्हें चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। मंदिर को हर साल पशुपति नाथ मंदिर से पहला एकमुखी रुद्राक्ष भी मिलता है जिस पर नेपाल के राजा का पहला अधिकार होता है।
कुछ साल पहले कैलाश की यात्रा करने वाले संजय जैन ने उन्हें मानसरोवर ताल के बारे में कुछ रहस्य भी बताए हैं। उन्होंने बताया कि मानसरोवर झील में कई पत्थर हैं जिन पर ओम, सांप या डमरू के प्राकृतिक निशान हैं। उन्होंने न केवल उन्हें अपनी आँखों से देखा है बल्कि उन्हें अपने साथ भी लाया है। सत्यापन के लिए दिल्ली में भी ऐसे दो पत्थर उपलब्ध हैं।
दूसरा रहस्य यह है कि मानसरोवर ताल के पास पक्षी किसी से भी भोजन ले लेते हैं जबकि राक्षस ताल के पास पक्षी कोई भी भोजन स्वीकार नहीं करते। यह जानकर आश्चर्य होता है कि यहाँ दो ताल हैं, एक में मीठा और साफ पानी है जबकि दूसरे में वह नहीं है। एक में लहरें हैं और दूसरे में नहीं। एक बर्फ में जम जाता है जबकि दूसरा नहीं। भोलेनाथ द्वारा दी गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंत र्दृष्टि यह है कि जब हम गूगल मैप को 180 डिग्री घुमाते हैं- तो हम झीलों के आकार को शिवलिंग और योनि के रूप में पहचान सकते हैं।
आचार्य हरि गुप्ता सभी संतों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए सांसदों को ईमेल के जरिए पत्र भी भेजे हैं। भोलेनाथ की प्रेरणा से उन्होंने जय कैलाश नाम से एक भजन भी लिखा है जिसमें भगवान शिव, कैलाश पर्वत और उसके महत्व के बारे में आसानी से बताया गया है। यह गीत Youtube.com/@JaiKailasha पर है। गौरतलब है कि 60 साल के अपने पूरे जीवन में उन्होंने शायद ही कभी संगीत सुना हो और कभी कोई कविता या गीत नहीं लिखा हो। आचार्य हरि गुप्ता इस उद्देश्य के लिए www.kailashmukti.com के नाम से एक वेबसाइट भी बना रहे हैं।
कैलाश आने वाले कई लोगों ने बताया है कि मानसरोवर और उसके आस-पास के स्थानों पर तीर्थयात्रियों के ठहरने, शौचालय, चिकित्सा और यात्रा के लिए शायद ही कोई सुविधा है। उनका इरादा तीर्थयात्रियों के लिए वहां भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का है और इसके लिए वे भारत और चीन सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। आचार्य हरि गुप्ता को पूरा विश्वास है कि यह काम जल्द ही पूरा हो जाएगा क्योंकि इस आंदोलन का मार्गदर्शन स्वयं भोलेनाथ कर रहे हैं। यह भोलेनाथ की ही कृपा है कि 4 महीने पहले एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया प्रयास अब करोड़ों लोगों तक पहुँच रहा है। वे सभी शिवभक्तों, मीडिया, अधिकारियों और राजनेताओं से अपील कर रहे हैं कि वे इस बारे में आवाज उठाएं और इसे जल्द से जल्द हल करने के लिए मिलकर काम करें ताकि शिवभक्त बिना किसी प्रतिबंध, भय या परेशानी के इस पवित्र स्थान की यात्रा करके अपने इष्ट देव की पूजा से आध्यात्मिक लाभ उठाएँ।
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