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उत्तर प्रदेश

महाकुम्भ में कुम्भ की गाथा सुनाएंगे देश के चर्चित कलाकार

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प्रयागराज। महाकुम्भ 2025 को श्रद्धालुओं के लिए यादगार बनाने हेतु योगी सरकार अनेक तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने की योजना पर काम कर रही है। एक तरफ जहां बॉलीवुड के तमाम सितारे अपनी सुरीली आवाज में यहां श्रद्धालुओं को आध्यात्म और संस्कृति के रस से सराबोर करेंगे तो वहीं दूसरी ओर सांस्कृतिक संध्या में महाकुम्भ से जुड़ी गाथाओं और रामलीला व महाभारत की लीलाओं का भी मंचन होगा। इन प्रस्तुतियों के लिए भी देश के दिग्गज और नामचीन सितारे महाकुम्भ मेला क्षेत्र में पहुंचेंगे और श्रद्धालुओं का मनोरंजन करेंगे। फेमस बॉलीवुड एक्टर आशुतोष राणा ‘हमारे राम’ पर अपनी प्रस्तुति देंगे तो एक्ट्रेस और सांसद हेमामालिनी गंगा अवतरण पर कला का परिचय देंगी। महाभारत सीरियल फेम पुनीत इस्सर महाभारत की अपनी प्रस्तुति से लोगों को प्रचीन भारत के युग में ले जाएंगे। यह सभी कार्यक्रम गंगा पंडाल में आयोजित किए जाएंगे। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा इसका आयोजन किया जाएगा।

अपनी कला से रोमांचित करेंगे सितारे

अपनी अदाकारी से लोगों को रोमांचित करने नाले फेमस बॉलीवुड एक्टर आशुतोष राणा 25 जनवरी को गंगा पंडाल में हमारे राम की प्रस्तुति देंगे। इन नाट्य शो में वह रावण का किरदार निभाते हैं। वहीं 26 जनवरी को बॉलीवुड की लीजेंड एक्ट्रेस और मथुरा से सांसद हेमामालिनी गंगा अवतरण नृत्य नाटिका पर अपनी परफॉर्मेंस देंगी। वहीं 8 फरवरी को भोजपुरी और बॉलीवुड एक्टर व गोरखपुर के सांसद रवि किशन शिव तांडव की प्रस्तुति देंगे, जबकि 21 फरवरी को पुनीत इस्सर महाभारत शो का मंचन करेंगे।

प्रस्तुत की जाएगी कुम्भ की गाथा

महाकुम्भ का आयोजन हो और लोगों को कुम्भ की गाथा सुनने को न मिले, ऐसा संभव नहीं। सांस्कृतिक संध्या में कुम्भ को लेकर विशेष आयोजन की तैयारी की गई है। इसकी शुरुआत 22 जनवरी को कथक केंद्र संगीत नाटक अकादमी द्वारा कुम्भ की थीम पर आधारित कथक नृत्य नाटिका से होगी। 23 जनवरी को लखनऊ की भारतेंदु नाट्य अकादमी काकोरी महागाथा प्रस्तुत करेगी। वहीं, 1 फरवरी को कोरियोग्राफर मैत्रेय पहाड़ी के द्वारा कुम्भ का सफरनामा कोरियोग्राफ शो प्रस्तुत किया जाएगा। इसी तरह 23 फरवरी को रिलायंस इंटरटेनमेंट एंड सोबो फिल्म कुम्भ गाथा को प्रदर्शित करेगी।

देश के जाने-माने बैंड भी देंगे अपनी प्रस्तुतियां

10 जनवरी से प्रस्तावित इन कार्यक्रमों की श्रृंखला में सबसे पहले 11 जनवरी को ओडिशा का प्रिंस ग्रुप दशावतार नृत्य की अपनी प्रस्तुति से श्रद्धालुओं को रोमांचित करेगा। 16 जनवरी को मथुरा का माधवा बैंड और आगरा का क्रेजी हॉपर्स, 17 जनवरी को रिकी केज, 19 जनवरी को कोलकाता की गोल्डेन गर्ल्स, 21 जनवरी को मणिपुर का बस्तर बैंड, 27 जनवरी को दिल्ली की श्रंखला डांस अकादमी, 7 फरवरी को इंडियन ओशन बैंड, 17 फरवरी को अग्नि बैंड, 19 फरवरी को मुंबई का माटी बानी बैंड, 20 फरवरी को सूफी बैंड थाई कुड़म ब्रिज और 22 फरवरी को मुंबई का कबीरा बैंड अपनी प्रस्तुतियों से लोगों को मंत्र मुग्ध करेगा।

रामलीलाओं का होगा मंचन

गंगा पंडाल में भारत के साथ ही अन्य देशों की रामलीलाओं का भी मंचन किया जाएगा। 18 जनवरी और 14 फरवरी को आईसीसीआर के माध्यम से जहां अन्य देशों के लोकनृत्य के साथ रामलीलाओं का मंचन होगा तो वहीं, 15 और 16 फरवरी को श्रीराम भारती कला केंद्र के द्वारा रामलीला की प्रस्तुति होगी। 22 फरवरी को मध्य प्रदेश की शालिनी खरे कथक के जरिए रामायण की प्रस्तुति देंगी।

ये भी प्रस्तुतियां होंगी

20 जनवरी को देश के प्रसिद्ध कवियों द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। 21 जनवरी को राजेश प्रसन्ना के द्वारा धरोहर दुर्लभ लोक वाद्ययंत्रों की प्रस्तुतियां होंगी। 24 जनवरी को यूपी फॉक नाइट के द्वारा कोरियोग्राफ शो और विभिन्न प्रांतों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। 18 फरवरी को प्रसिद्ध बांसुरी वादक राकेश चौरसिया अपनी सुरीली बांसुरी का प्रदर्शन करेंगे।

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उत्तर प्रदेश

महाकुंभ में कैलाश मानसरोवर शिविर का आयोजन, एनआरआई हरि गुप्ता करेंगे मानसरोवर से जुड़े रहस्यों का पर्दाफाश

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महाकुंभ में एनआरआई हरि गुप्ता द्वारा कैलाश यात्रा शिविर कैलाश मानसरोवर से जुड़ी समस्याओं और रहस्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए महाकुंभ में एक शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें भारत और विदेश से कई मशहूर हस्तियों, अधिकारियों और सफल व्यवसायियों के शामिल होने की उम्मीद है। जिसमें चर्चित भारतीय फिल्म निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह मौजूद रहेंगे । दुष्यंत प्रताप सिंह अपने बेहतरीन निर्देशन के साथ – साथ पटकथा लेखन के लिए भी मशहूर हैं और साथ ही अमरजीत मिश्रा ट्रस्टी (दिव्य प्रेम सेवा मिशन) हरिद्वार और मशहूर व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर हलवासिया मौजूद रहेंगे। साथ ही सुधीर हलवासिया ने कहा कि कैलाश मानसरोवर शिविर हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देगा और उसमें सभी प्रकार से सहयोग करने की बात कही।

इस अवसर पर बॉलीवुड डायरेक्टर दुष्यंत प्रताप सिंह ने कहा कि किसी भी अन्य वासि भारतीयों द्वारा कैलाश मुक्ति अभियान के बैनर तले इतने बड़े अभियान का बीड़ा उठाना अपने आप में ही अद्भुत और बहुत साहस व लगन का विषय है और इस परिपेक्ष में सारे अन्य वासि भारतीयों को तकरीबन 15 से 20 अलग-अलग देशों के भारतीयों को एक झंडे तले लाना और अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए आध्यात्मिक विरासत के लिए भोलेनाथ शिव के लिए संघर्ष शुरू करना अपने आप में बहुत ही प्रेरणादायक है और हम लोग भी इस कार्य में जो भी योगदान हमारा हो सकता है वो हम लोग अपना योगदान दे रहे हैं हरि गुप्ता के साथ वहीं दिव्य प्रेम सेवा मिशन के ट्रस्टी अमरजीत मिश्रा जी ने कहा भारत एक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक देश के तौर पर वैश्विक रूप से सभी देशों का अगवा है और हरि गुप्ता जी ने यह जो प्रकल्प छेड़ा है l कैलाश मुक्ति अभियान वास्तव में ही बहुत प्रेरणादायक एवं एक अरुण संकल्प है और उन्होंने यह आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास व्यक्त किया की बहुत जल्द ही सभी भारतीयों को जो देश-विदेश पूरे विश्व में जहा जाएं उन्हें अपने आराध्य देव के दर्शन सुगम रूप से उपलब्ध हो सकें।

यह एक विडंबना है कि पिछले 5 सालों से भारतीय पासपोर्ट धारकों को मानसरोवर जाने की अनुमति नहीं है, जबकि अन्य देशों के नागरिक आसानी से वहां जा सकते हैं। किसी भी सरकार द्वारा किसी भी कारण से हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा को रोकना उचित नहीं है। यह हिंदू शिवभक्तों के मानवाधिकारों के बिल्कुल खिलाफ है। जबकि भारत सरकार ने 50 किलोमीटर दूर से कैलाश पर्वत को देखने के लिए कुछ मार्ग बनाए हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जैसे भोजन की थाली को देखना लेकिन उसे सूंघना, छूना, महसूस करना या खाना नहीं। जब भोजन को देखकर सामान्य भूख नहीं मिटती है l तो 50 किलोमीटर दूर से उसे देखने से आध्यात्मिक भूख कैसे मिटेगी।

भले ही यात्रा की अनुमति मिल गई हो, लेकिन वास्तविक यात्रा से भारतीय यात्रियों को कोई लाभ नहीं होगा। उन्हें अभी भी कैलाश की यात्रा के लिए नेपाल और उसके मागों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत से पिथौरागढ़ या सिक्किम के रास्ते बहुत लंबे और उबड़-खाबड़ रास्ते हैं। हरि गुप्ता दिल्ली से कैलाश के लिए सीधी चार्टर उड़ानें शुरू करने के इच्छुक हैं और एयरलाइन ऑपरेटरों से बातचीत कर रहे हैं। दिल्ली से कैलाश तक की केवल 500 किमी की उड़ान है।

आचार्य हरि गुप्ता विदेश में 30 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं और एक सफल व्यवसायी है। उन्होंने भोलेनाथ ने कई बार दर्शन किए हैं और कैलाश मुक्ति के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए मार्गदर्शन दिया है। वे इस अनुभव को भोलेनाथ की लीला के रूप में भी लिख रहे हैं। आचार्य हरि गुप्ता ने कहा कि कैलाश न केवल हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह सिख, जैन और बौद्धों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी।

पहले जैन गुरु ऋषभदेव जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी। आचार्य हरि गुप्ता को भोलेनाथ ने कई रहस्य बताए हैं जैसे पांच कैलाश हैं, जिनमें भोलेनाथ की अलग-अलग लीलाएं हैं। इनमें से एक मुख्य कैलाश वर्तमान में तिब्बत के अंतर्गत है, जो चीन के अंतर्गत आता है। उन्हें रहस्यमयी तरीके से कई लोगों से मिलने का मौका भी मिलता है, जिनमें से एक ने भगवान शिव के एक मंदिर के बारे में बताया है जो कैलाश के पास है और जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है।

यह अद्भुत शिव मंदिर पास के शहर में एक पहाड़ पर है और सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है। इसके एक तरफ पानी का झरना है। इसकी परिक्रमा के चारों ओर गहरी घाटी है। भक्तों को खीर का प्रसाद दिया जाता है जिसे चावल को सिर्फ़ इतना पकाकर मीठा किया जाता है कि वह मीठा हो जाए और उसमें कोई मीठा पदार्थ नहीं मिलाया जाता। आगंतुकों को कभी-कभी चार काले कुत्ते भी दिखाई देते हैं जिन्हें चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। मंदिर को हर साल पशुपति नाथ मंदिर से पहला एकमुखी रुद्राक्ष भी मिलता है जिस पर नेपाल के राजा का पहला अधिकार होता है।

कुछ साल पहले कैलाश की यात्रा करने वाले संजय जैन ने उन्हें मानसरोवर ताल के बारे में कुछ रहस्य भी बताए हैं। उन्होंने बताया कि मानसरोवर झील में कई पत्थर हैं जिन पर ओम, सांप या डमरू के प्राकृतिक निशान हैं। उन्होंने न केवल उन्हें अपनी आँखों से देखा है बल्कि उन्हें अपने साथ भी लाया है। सत्यापन के लिए दिल्ली में भी ऐसे दो पत्थर उपलब्ध हैं।

दूसरा रहस्य यह है कि मानसरोवर ताल के पास पक्षी किसी से भी भोजन ले लेते हैं जबकि राक्षस ताल के पास पक्षी कोई भी भोजन स्वीकार नहीं करते। यह जानकर आश्चर्य होता है कि यहाँ दो ताल हैं, एक में मीठा और साफ पानी है जबकि दूसरे में वह नहीं है। एक में लहरें हैं और दूसरे में नहीं। एक बर्फ में जम जाता है जबकि दूसरा नहीं। भोलेनाथ द्वारा दी गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंत र्दृष्टि यह है कि जब हम गूगल मैप को 180 डिग्री घुमाते हैं- तो हम झीलों के आकार को शिवलिंग और योनि के रूप में पहचान सकते हैं।

आचार्य हरि गुप्ता सभी संतों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए सांसदों को ईमेल के जरिए पत्र भी भेजे हैं। भोलेनाथ की प्रेरणा से उन्होंने जय कैलाश नाम से एक भजन भी लिखा है जिसमें भगवान शिव, कैलाश पर्वत और उसके महत्व के बारे में आसानी से बताया गया है। यह गीत Youtube.com/@JaiKailasha पर है। गौरतलब है कि 60 साल के अपने पूरे जीवन में उन्होंने शायद ही कभी संगीत सुना हो और कभी कोई कविता या गीत नहीं लिखा हो। आचार्य हरि गुप्ता इस उद्देश्य के लिए www.kailashmukti.com के नाम से एक वेबसाइट भी बना रहे हैं।

कैलाश आने वाले कई लोगों ने बताया है कि मानसरोवर और उसके आस-पास के स्थानों पर तीर्थयात्रियों के ठहरने, शौचालय, चिकित्सा और यात्रा के लिए शायद ही कोई सुविधा है। उनका इरादा तीर्थयात्रियों के लिए वहां भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का है और इसके लिए वे भारत और चीन सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। आचार्य हरि गुप्ता को पूरा विश्वास है कि यह काम जल्द ही पूरा हो जाएगा क्योंकि इस आंदोलन का मार्गदर्शन स्वयं भोलेनाथ कर रहे हैं। यह भोलेनाथ की ही कृपा है कि 4 महीने पहले एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया प्रयास अब करोड़ों लोगों तक पहुँच रहा है। वे सभी शिवभक्तों, मीडिया, अधिकारियों और राजनेताओं से अपील कर रहे हैं कि वे इस बारे में आवाज उठाएं और इसे जल्द से जल्द हल करने के लिए मिलकर काम करें ताकि शिवभक्त बिना किसी प्रतिबंध, भय या परेशानी के इस पवित्र स्थान की यात्रा करके अपने इष्ट देव की पूजा से आध्यात्मिक लाभ उठाएँ।

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