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उत्तर प्रदेश

महाकुम्भ में आग बुझाएंगे फायर फाइटिंग रोबोट, एडीजी ने परखीं तैयारियां

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प्रयागराज। प्रयागराज में होने जा रहे महाकुम्भ-2025 में अग्निशमन सेवाओं की तैयारियों को परखने के लिए सोमवार को अपर पुलिस महानिदेशक पद्मजा चौहान (उत्तर प्रदेश, अग्निशमन तथा आपात सेवा) ने मुख्यालय अग्निशमन तथा आपात सेवा महाकुम्भ मेला प्रयागराज का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने मेला में आग से बचाव के लिए प्रयोग किए जाने वाले उपकरणों और वाहनों की स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने मेला क्षेत्र में आग की घटनाओं पर तत्काल काबू करने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले अत्याधुनिक उपकरणो की ग्रैंड रिहर्सल भी देखी और तैयारियों पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के क्रम में इस बार हमारा प्रयास महाकुम्भ को जीरो फायर इंसिडेंट बनाने पर है। इसके बावजूद यदि कहीं कोई दुर्घटना होती है तो विभाग के द्वारा अत्याधुनिक उपकरणो के माध्यम से पल भर में आग पर काबू पाया जा सकेगा।

ड्रेस रिहर्सल में देखीं तैयारियां

प्रयागराज के मुख्य अग्निशमन अधिकारी और मेला के नोडल अधिकारी प्रमोद शर्मा ने बताया कि निरीक्षण के दौरान अपर पुलिस महानिदेशक के समक्ष स्मोक एग्जास्टर, हैण्ड कंट्रोल ब्रांच, रिवाल्विंग ब्रांच डिवाइडिंग हेड, कलेक्टिंग हेड,बोल्ट कटर,इलेक्टिक गलप्स,ब्लैंकेट,बैटरी ऑपरेटेड हैड्रोलिक कटर,हरनेश,सर्चलाइट,सर्च लाइट विद दी,स,यू, फायर रेटारडेन्ट स्प्रे ,फायर हुक,ट्रॉली माउंटेड हाई प्रेशर पोर्टेबल एक्सटिंग्युसर जैसे उपकरणों एवं वाहनों का ड्रेस रिहर्सल किया गया। इसके अतिरिक्त एलीफेंट पार्किंग में अत्याधुनिक उपकरण जैसे फायर फाइटिंग रोबोट,एटीवी,फायर बुलेट,फोम टेंडर,एफक्यूआरवी,आर्टिकुलेटिंग वाटर टावर का भी मॉक ड्रिल कराया गया। फायर फाइटिंग रोबोट का पहली बार महाकुम्भ में उपयोग किया जा रहा है। यह फायर फाइटिंग रोबोट्स नई तकनीक से आग बुझाने का माद्दा रखते हैं। यह संकरी और तंग गलियों मे जहां दमकल विभाग की गाड़ियां और अधिकारी न घुस पाते हैं, वहां आसानी से जाकर आग पर काबू पा सकेंगे।

दिए आवश्यक दिशा निर्देश

इसके अतिरिक्त अपर पुलिस महानिदेशक ने मुख्यालय अग्निशमन तथा आपात सेवा महाकुम्भ मेला प्रयागराज के कार्यालय, बैरक, स्टोर आदि का भी स्थलीय निरीक्षण किया गया। उन्होंने मेस में बनने वाले भोजन की गुणवत्ता को भी चेक किया। निरीक्षण के उपरांत अपर पुलिस महानिदेशक द्वारा मुख्यालय/कोतवाली अग्निशमन केंद्र के सभागार कक्ष में महाकुम्भ मेला ड्यूटी के लिए उपस्थित समस्त अधिकारियों व कर्मचारियों की बैठक की गई, जिसमें उन्होंने समस्त एस्टेब्लिशमेंट टीम में कर्मचारियों को मेला क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि टेंट एवं उसमें लगने वाले विद्युत वायर कनेक्शन की वायरिंग को प्रॉपर कनेक्शन के साथ कनड्यूट कराया जाए व पंडालो को मानकों के अनुसार अग्निशमन सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं। इसके साथ ही, फायर प्रीवेंशन पर विशेष ध्यान देने के लिए भी निर्देशित किया गया। इस अवसर पर अपर पुलिस महानिदेशक अग्निशमन तथा आपात सेवा पद्मजा चौहान के साथ नोडल अधिकारी महाकुंभ मेला प्रमोद शर्मा, रविंद्र शंकर मिश्रा , अनुराग सिंह,अनुराग कुमार, सौरभ कुमार सिंह मुख्य अग्निशमन अधिकारी जोन , संजीव कुमार सिंह अग्निशमन अधिकारी कोतवाली, आशीष वर्मा अग्निशमन द्वितीय अधिकारी कोतवाली एवं अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

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उत्तर प्रदेश

महाकुंभ में कैलाश मानसरोवर शिविर का आयोजन, एनआरआई हरि गुप्ता करेंगे मानसरोवर से जुड़े रहस्यों का पर्दाफाश

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महाकुंभ में एनआरआई हरि गुप्ता द्वारा कैलाश यात्रा शिविर कैलाश मानसरोवर से जुड़ी समस्याओं और रहस्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए महाकुंभ में एक शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें भारत और विदेश से कई मशहूर हस्तियों, अधिकारियों और सफल व्यवसायियों के शामिल होने की उम्मीद है। जिसमें चर्चित भारतीय फिल्म निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह मौजूद रहेंगे । दुष्यंत प्रताप सिंह अपने बेहतरीन निर्देशन के साथ – साथ पटकथा लेखन के लिए भी मशहूर हैं और साथ ही अमरजीत मिश्रा ट्रस्टी (दिव्य प्रेम सेवा मिशन) हरिद्वार और मशहूर व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर हलवासिया मौजूद रहेंगे। साथ ही सुधीर हलवासिया ने कहा कि कैलाश मानसरोवर शिविर हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देगा और उसमें सभी प्रकार से सहयोग करने की बात कही।

इस अवसर पर बॉलीवुड डायरेक्टर दुष्यंत प्रताप सिंह ने कहा कि किसी भी अन्य वासि भारतीयों द्वारा कैलाश मुक्ति अभियान के बैनर तले इतने बड़े अभियान का बीड़ा उठाना अपने आप में ही अद्भुत और बहुत साहस व लगन का विषय है और इस परिपेक्ष में सारे अन्य वासि भारतीयों को तकरीबन 15 से 20 अलग-अलग देशों के भारतीयों को एक झंडे तले लाना और अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए आध्यात्मिक विरासत के लिए भोलेनाथ शिव के लिए संघर्ष शुरू करना अपने आप में बहुत ही प्रेरणादायक है और हम लोग भी इस कार्य में जो भी योगदान हमारा हो सकता है वो हम लोग अपना योगदान दे रहे हैं हरि गुप्ता के साथ वहीं दिव्य प्रेम सेवा मिशन के ट्रस्टी अमरजीत मिश्रा जी ने कहा भारत एक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक देश के तौर पर वैश्विक रूप से सभी देशों का अगवा है और हरि गुप्ता जी ने यह जो प्रकल्प छेड़ा है l कैलाश मुक्ति अभियान वास्तव में ही बहुत प्रेरणादायक एवं एक अरुण संकल्प है और उन्होंने यह आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास व्यक्त किया की बहुत जल्द ही सभी भारतीयों को जो देश-विदेश पूरे विश्व में जहा जाएं उन्हें अपने आराध्य देव के दर्शन सुगम रूप से उपलब्ध हो सकें।

यह एक विडंबना है कि पिछले 5 सालों से भारतीय पासपोर्ट धारकों को मानसरोवर जाने की अनुमति नहीं है, जबकि अन्य देशों के नागरिक आसानी से वहां जा सकते हैं। किसी भी सरकार द्वारा किसी भी कारण से हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा को रोकना उचित नहीं है। यह हिंदू शिवभक्तों के मानवाधिकारों के बिल्कुल खिलाफ है। जबकि भारत सरकार ने 50 किलोमीटर दूर से कैलाश पर्वत को देखने के लिए कुछ मार्ग बनाए हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जैसे भोजन की थाली को देखना लेकिन उसे सूंघना, छूना, महसूस करना या खाना नहीं। जब भोजन को देखकर सामान्य भूख नहीं मिटती है l तो 50 किलोमीटर दूर से उसे देखने से आध्यात्मिक भूख कैसे मिटेगी।

भले ही यात्रा की अनुमति मिल गई हो, लेकिन वास्तविक यात्रा से भारतीय यात्रियों को कोई लाभ नहीं होगा। उन्हें अभी भी कैलाश की यात्रा के लिए नेपाल और उसके मागों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत से पिथौरागढ़ या सिक्किम के रास्ते बहुत लंबे और उबड़-खाबड़ रास्ते हैं। हरि गुप्ता दिल्ली से कैलाश के लिए सीधी चार्टर उड़ानें शुरू करने के इच्छुक हैं और एयरलाइन ऑपरेटरों से बातचीत कर रहे हैं। दिल्ली से कैलाश तक की केवल 500 किमी की उड़ान है।

आचार्य हरि गुप्ता विदेश में 30 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं और एक सफल व्यवसायी है। उन्होंने भोलेनाथ ने कई बार दर्शन किए हैं और कैलाश मुक्ति के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए मार्गदर्शन दिया है। वे इस अनुभव को भोलेनाथ की लीला के रूप में भी लिख रहे हैं। आचार्य हरि गुप्ता ने कहा कि कैलाश न केवल हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह सिख, जैन और बौद्धों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी।

पहले जैन गुरु ऋषभदेव जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी। आचार्य हरि गुप्ता को भोलेनाथ ने कई रहस्य बताए हैं जैसे पांच कैलाश हैं, जिनमें भोलेनाथ की अलग-अलग लीलाएं हैं। इनमें से एक मुख्य कैलाश वर्तमान में तिब्बत के अंतर्गत है, जो चीन के अंतर्गत आता है। उन्हें रहस्यमयी तरीके से कई लोगों से मिलने का मौका भी मिलता है, जिनमें से एक ने भगवान शिव के एक मंदिर के बारे में बताया है जो कैलाश के पास है और जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है।

यह अद्भुत शिव मंदिर पास के शहर में एक पहाड़ पर है और सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है। इसके एक तरफ पानी का झरना है। इसकी परिक्रमा के चारों ओर गहरी घाटी है। भक्तों को खीर का प्रसाद दिया जाता है जिसे चावल को सिर्फ़ इतना पकाकर मीठा किया जाता है कि वह मीठा हो जाए और उसमें कोई मीठा पदार्थ नहीं मिलाया जाता। आगंतुकों को कभी-कभी चार काले कुत्ते भी दिखाई देते हैं जिन्हें चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। मंदिर को हर साल पशुपति नाथ मंदिर से पहला एकमुखी रुद्राक्ष भी मिलता है जिस पर नेपाल के राजा का पहला अधिकार होता है।

कुछ साल पहले कैलाश की यात्रा करने वाले संजय जैन ने उन्हें मानसरोवर ताल के बारे में कुछ रहस्य भी बताए हैं। उन्होंने बताया कि मानसरोवर झील में कई पत्थर हैं जिन पर ओम, सांप या डमरू के प्राकृतिक निशान हैं। उन्होंने न केवल उन्हें अपनी आँखों से देखा है बल्कि उन्हें अपने साथ भी लाया है। सत्यापन के लिए दिल्ली में भी ऐसे दो पत्थर उपलब्ध हैं।

दूसरा रहस्य यह है कि मानसरोवर ताल के पास पक्षी किसी से भी भोजन ले लेते हैं जबकि राक्षस ताल के पास पक्षी कोई भी भोजन स्वीकार नहीं करते। यह जानकर आश्चर्य होता है कि यहाँ दो ताल हैं, एक में मीठा और साफ पानी है जबकि दूसरे में वह नहीं है। एक में लहरें हैं और दूसरे में नहीं। एक बर्फ में जम जाता है जबकि दूसरा नहीं। भोलेनाथ द्वारा दी गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंत र्दृष्टि यह है कि जब हम गूगल मैप को 180 डिग्री घुमाते हैं- तो हम झीलों के आकार को शिवलिंग और योनि के रूप में पहचान सकते हैं।

आचार्य हरि गुप्ता सभी संतों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए सांसदों को ईमेल के जरिए पत्र भी भेजे हैं। भोलेनाथ की प्रेरणा से उन्होंने जय कैलाश नाम से एक भजन भी लिखा है जिसमें भगवान शिव, कैलाश पर्वत और उसके महत्व के बारे में आसानी से बताया गया है। यह गीत Youtube.com/@JaiKailasha पर है। गौरतलब है कि 60 साल के अपने पूरे जीवन में उन्होंने शायद ही कभी संगीत सुना हो और कभी कोई कविता या गीत नहीं लिखा हो। आचार्य हरि गुप्ता इस उद्देश्य के लिए www.kailashmukti.com के नाम से एक वेबसाइट भी बना रहे हैं।

कैलाश आने वाले कई लोगों ने बताया है कि मानसरोवर और उसके आस-पास के स्थानों पर तीर्थयात्रियों के ठहरने, शौचालय, चिकित्सा और यात्रा के लिए शायद ही कोई सुविधा है। उनका इरादा तीर्थयात्रियों के लिए वहां भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का है और इसके लिए वे भारत और चीन सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। आचार्य हरि गुप्ता को पूरा विश्वास है कि यह काम जल्द ही पूरा हो जाएगा क्योंकि इस आंदोलन का मार्गदर्शन स्वयं भोलेनाथ कर रहे हैं। यह भोलेनाथ की ही कृपा है कि 4 महीने पहले एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया प्रयास अब करोड़ों लोगों तक पहुँच रहा है। वे सभी शिवभक्तों, मीडिया, अधिकारियों और राजनेताओं से अपील कर रहे हैं कि वे इस बारे में आवाज उठाएं और इसे जल्द से जल्द हल करने के लिए मिलकर काम करें ताकि शिवभक्त बिना किसी प्रतिबंध, भय या परेशानी के इस पवित्र स्थान की यात्रा करके अपने इष्ट देव की पूजा से आध्यात्मिक लाभ उठाएँ।

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