उत्तर प्रदेश
बरसाना में 20 कुंतल लड्डू से खेली गई लड्डू मार होली
बरसाना, मथुरा। योगी सरकार में ब्रज भूमि पर रंगोत्सव 2024 की धूम दिख रही है। लठामार होली से पूर्व रविवार को बरसाना के श्री लाडली जी मंदिर में लड्डू मार होली हुई। अबीर- गुलाल के उड़ते बादलों से अंबर रंगीन हो गया। लाडली जी के महल में लड्डुओं की बरसात हुई। नंदगांव के पांडा के नृत्य को देख श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। उधर, समाज गायन की चौपाई के साथ राधे- राधे के जयघोष से लाडली जी मंदिर भी गूंज उठा।
राधा- कृष्ण के दिव्य प्रेम की लड्डू होली का आनंद लेने के लिए देश- दुनिया से श्रद्धालु बरसाना पहुंचे। शाम को जैसे ही पांच बजे लाडली जी मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। वृषभानु नंदिनी भी शीश महल में विराजमान होकर भक्तों पर लड्डुओं की बरसात के साथ कृपा का सागर उड़ेल रहीं थीं। पूरा मंदिर परिसर अबीर- गुलाल की बरसात से अट गया। अबीर- गुलाल में सराबोर श्रद्धालु मस्ती के साथ नाच रहे थे। गोस्वामी समाज ने समाज गायन किया। नंदगांव से आए पाड़ा का पुजारी ने भानु बाबा की ओर से स्वागत किया। पाड़ा ने हर्ष से नृत्य किया। पुजारी और श्रद्धालुओं ने लड्डुओं को दर्शकों के बीच लुटाया। लोग प्रसाद रूपी लड्डुओं को पाने के लिए लालायित दिखे। मंदिर में करीब सवा घंटे तक चली इस लड्डू होली के दौरान टनों लड्डू लुटाए गए। दिल्ली निवासी सुलेखा ने बताया कि जैसा हमने लड्डू होली के बारे में सुना था। उससे अधिक रस देखने को मिला।
बरसाना के श्रीजी मंदिर में लड्डू मार होली के लिए 2000 किलो लड्डू मंगाए गए थे। मंदिर की अटारी (छत) से शाम होते ही लड्डू लुटाए गए। लड्डू लूटने के लिए श्रद्धालु नीचे आंगन में बड़ी संख्या में जमा थे। उनके बीच लड्डू लूटने की होड़ देखने को मिली। एक तरफ मंदिर में रंग गुलाल उड़ाए जा रहे थे। दूसरी तरफ, मंदिर के पुजारी भजन गा रहे थे। पूरा परिसर ‘जय राधे जय कृष्णा’ के भजन से गूंज उठा। हर कोई आज भक्ति में सराबोर दिखाई दिया।
– करीब 5 लाख श्रद्धालु पहुंचे बरसाना
लड्डू मार होली को देखने के लिए करीब 5 लाख भक्त बरसाना पहुंचे। इसके कारण बरसाना की ओर जाने वाले हर रास्तों पर लंबा जाम लग गया। जाम को खुलवाने के लिए पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा।
– सुरक्षा के किए कड़े इंतजाम
बरसाना में लड्डू होली और लट्ठमार होली के लिए पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पूरे बरसाना को पांच जोन में विभाजित किया गया है। सुरक्षा के लिए 2500 पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। लट्ठमार होली मेला की सुरक्षा व्यवस्था में एडिशनल एसपी पांच, क्षेत्राधिकारी 15, इंस्पेक्टर 60, महिला सब इंस्पेक्टर 40, सब इंस्पेक्टर 300, महिला सिपाही 100, सिपाही 1200, होमगार्ड 500, साथ ही 5 कंपनी पीएसी की भी तैनाती की गई। पुलिस प्रशासन के उच्चाधिकारी भी लड्डू होली की सुरक्षा व्यवस्था में देर शाम तक डटे रहे।
– राधा व गोपाल सखी ने पहुंचाया राधा का संदेश
लठामार रंगीली होली के लिए राधा रानी की ओर से कान्हा के लिए आमंत्रण लेकर राधा सखी व गोपाल सखी गई। वृंदावन के गोपाल घाट पर रहने वाली राधा सखी पिछले 13 वर्ष से इस कार्य को करती चली आ रही है। राधा सखी को यह कार्य अपनी गुरु श्यामा दासी से उत्तराधिकार में मिला है। राधा सखी व गोपाल सखी इस कार्य को कर खुद को भाग्यशाली मानती है।
– रंगोत्सव के मुख्य मंच पर हुई मनमोहक प्रस्तुति
उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद की ओर से बरसाना के राधा बिहारी इंटर कॉलेज प्रांगण में सजाए गये भव्य मंच पर होली के सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारंभ हुए। यह शुभारंभ आगरा के मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने दीप प्रज्वलन कर किया। रंगोत्सव 2024 के मुख्य मंच पर गीतांजलि ग्रुप ने ब्रज की प्रसिद्ध एवं पारंपरिक लठामार, कुर्ता फाड़ व लड्डू मार होली का रंगारंग कार्यक्रम पेश किया।
इस अवसर पर जिलाधिकारी शैलेन्द्र कुमार सिंह, एसएसपी शैलेष पांडेय, उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ एसबी सिंह, डिप्टी सीईओ जेपी पाण्डेय, मथुरा- वृंदावन विकास प्राधिकरण के सचिव व ओएसडी समेत अनेक अधिकारी उपस्थित रहे।
उत्तर प्रदेश
महाकुंभ में कैलाश मानसरोवर शिविर का आयोजन, एनआरआई हरि गुप्ता करेंगे मानसरोवर से जुड़े रहस्यों का पर्दाफाश
महाकुंभ में एनआरआई हरि गुप्ता द्वारा कैलाश यात्रा शिविर कैलाश मानसरोवर से जुड़ी समस्याओं और रहस्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए महाकुंभ में एक शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें भारत और विदेश से कई मशहूर हस्तियों, अधिकारियों और सफल व्यवसायियों के शामिल होने की उम्मीद है। जिसमें चर्चित भारतीय फिल्म निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह मौजूद रहेंगे । दुष्यंत प्रताप सिंह अपने बेहतरीन निर्देशन के साथ – साथ पटकथा लेखन के लिए भी मशहूर हैं और साथ ही अमरजीत मिश्रा ट्रस्टी (दिव्य प्रेम सेवा मिशन) हरिद्वार और मशहूर व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर हलवासिया मौजूद रहेंगे। साथ ही सुधीर हलवासिया ने कहा कि कैलाश मानसरोवर शिविर हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देगा और उसमें सभी प्रकार से सहयोग करने की बात कही।
इस अवसर पर बॉलीवुड डायरेक्टर दुष्यंत प्रताप सिंह ने कहा कि किसी भी अन्य वासि भारतीयों द्वारा कैलाश मुक्ति अभियान के बैनर तले इतने बड़े अभियान का बीड़ा उठाना अपने आप में ही अद्भुत और बहुत साहस व लगन का विषय है और इस परिपेक्ष में सारे अन्य वासि भारतीयों को तकरीबन 15 से 20 अलग-अलग देशों के भारतीयों को एक झंडे तले लाना और अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए आध्यात्मिक विरासत के लिए भोलेनाथ शिव के लिए संघर्ष शुरू करना अपने आप में बहुत ही प्रेरणादायक है और हम लोग भी इस कार्य में जो भी योगदान हमारा हो सकता है वो हम लोग अपना योगदान दे रहे हैं हरि गुप्ता के साथ वहीं दिव्य प्रेम सेवा मिशन के ट्रस्टी अमरजीत मिश्रा जी ने कहा भारत एक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक देश के तौर पर वैश्विक रूप से सभी देशों का अगवा है और हरि गुप्ता जी ने यह जो प्रकल्प छेड़ा है l कैलाश मुक्ति अभियान वास्तव में ही बहुत प्रेरणादायक एवं एक अरुण संकल्प है और उन्होंने यह आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास व्यक्त किया की बहुत जल्द ही सभी भारतीयों को जो देश-विदेश पूरे विश्व में जहा जाएं उन्हें अपने आराध्य देव के दर्शन सुगम रूप से उपलब्ध हो सकें।
यह एक विडंबना है कि पिछले 5 सालों से भारतीय पासपोर्ट धारकों को मानसरोवर जाने की अनुमति नहीं है, जबकि अन्य देशों के नागरिक आसानी से वहां जा सकते हैं। किसी भी सरकार द्वारा किसी भी कारण से हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा को रोकना उचित नहीं है। यह हिंदू शिवभक्तों के मानवाधिकारों के बिल्कुल खिलाफ है। जबकि भारत सरकार ने 50 किलोमीटर दूर से कैलाश पर्वत को देखने के लिए कुछ मार्ग बनाए हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जैसे भोजन की थाली को देखना लेकिन उसे सूंघना, छूना, महसूस करना या खाना नहीं। जब भोजन को देखकर सामान्य भूख नहीं मिटती है l तो 50 किलोमीटर दूर से उसे देखने से आध्यात्मिक भूख कैसे मिटेगी।
भले ही यात्रा की अनुमति मिल गई हो, लेकिन वास्तविक यात्रा से भारतीय यात्रियों को कोई लाभ नहीं होगा। उन्हें अभी भी कैलाश की यात्रा के लिए नेपाल और उसके मागों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत से पिथौरागढ़ या सिक्किम के रास्ते बहुत लंबे और उबड़-खाबड़ रास्ते हैं। हरि गुप्ता दिल्ली से कैलाश के लिए सीधी चार्टर उड़ानें शुरू करने के इच्छुक हैं और एयरलाइन ऑपरेटरों से बातचीत कर रहे हैं। दिल्ली से कैलाश तक की केवल 500 किमी की उड़ान है।
आचार्य हरि गुप्ता विदेश में 30 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं और एक सफल व्यवसायी है। उन्होंने भोलेनाथ ने कई बार दर्शन किए हैं और कैलाश मुक्ति के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए मार्गदर्शन दिया है। वे इस अनुभव को भोलेनाथ की लीला के रूप में भी लिख रहे हैं। आचार्य हरि गुप्ता ने कहा कि कैलाश न केवल हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह सिख, जैन और बौद्धों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी।
पहले जैन गुरु ऋषभदेव जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी। आचार्य हरि गुप्ता को भोलेनाथ ने कई रहस्य बताए हैं जैसे पांच कैलाश हैं, जिनमें भोलेनाथ की अलग-अलग लीलाएं हैं। इनमें से एक मुख्य कैलाश वर्तमान में तिब्बत के अंतर्गत है, जो चीन के अंतर्गत आता है। उन्हें रहस्यमयी तरीके से कई लोगों से मिलने का मौका भी मिलता है, जिनमें से एक ने भगवान शिव के एक मंदिर के बारे में बताया है जो कैलाश के पास है और जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है।
यह अद्भुत शिव मंदिर पास के शहर में एक पहाड़ पर है और सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है। इसके एक तरफ पानी का झरना है। इसकी परिक्रमा के चारों ओर गहरी घाटी है। भक्तों को खीर का प्रसाद दिया जाता है जिसे चावल को सिर्फ़ इतना पकाकर मीठा किया जाता है कि वह मीठा हो जाए और उसमें कोई मीठा पदार्थ नहीं मिलाया जाता। आगंतुकों को कभी-कभी चार काले कुत्ते भी दिखाई देते हैं जिन्हें चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। मंदिर को हर साल पशुपति नाथ मंदिर से पहला एकमुखी रुद्राक्ष भी मिलता है जिस पर नेपाल के राजा का पहला अधिकार होता है।
कुछ साल पहले कैलाश की यात्रा करने वाले संजय जैन ने उन्हें मानसरोवर ताल के बारे में कुछ रहस्य भी बताए हैं। उन्होंने बताया कि मानसरोवर झील में कई पत्थर हैं जिन पर ओम, सांप या डमरू के प्राकृतिक निशान हैं। उन्होंने न केवल उन्हें अपनी आँखों से देखा है बल्कि उन्हें अपने साथ भी लाया है। सत्यापन के लिए दिल्ली में भी ऐसे दो पत्थर उपलब्ध हैं।
दूसरा रहस्य यह है कि मानसरोवर ताल के पास पक्षी किसी से भी भोजन ले लेते हैं जबकि राक्षस ताल के पास पक्षी कोई भी भोजन स्वीकार नहीं करते। यह जानकर आश्चर्य होता है कि यहाँ दो ताल हैं, एक में मीठा और साफ पानी है जबकि दूसरे में वह नहीं है। एक में लहरें हैं और दूसरे में नहीं। एक बर्फ में जम जाता है जबकि दूसरा नहीं। भोलेनाथ द्वारा दी गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंत र्दृष्टि यह है कि जब हम गूगल मैप को 180 डिग्री घुमाते हैं- तो हम झीलों के आकार को शिवलिंग और योनि के रूप में पहचान सकते हैं।
आचार्य हरि गुप्ता सभी संतों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए सांसदों को ईमेल के जरिए पत्र भी भेजे हैं। भोलेनाथ की प्रेरणा से उन्होंने जय कैलाश नाम से एक भजन भी लिखा है जिसमें भगवान शिव, कैलाश पर्वत और उसके महत्व के बारे में आसानी से बताया गया है। यह गीत Youtube.com/@JaiKailasha पर है। गौरतलब है कि 60 साल के अपने पूरे जीवन में उन्होंने शायद ही कभी संगीत सुना हो और कभी कोई कविता या गीत नहीं लिखा हो। आचार्य हरि गुप्ता इस उद्देश्य के लिए www.kailashmukti.com के नाम से एक वेबसाइट भी बना रहे हैं।
कैलाश आने वाले कई लोगों ने बताया है कि मानसरोवर और उसके आस-पास के स्थानों पर तीर्थयात्रियों के ठहरने, शौचालय, चिकित्सा और यात्रा के लिए शायद ही कोई सुविधा है। उनका इरादा तीर्थयात्रियों के लिए वहां भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का है और इसके लिए वे भारत और चीन सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। आचार्य हरि गुप्ता को पूरा विश्वास है कि यह काम जल्द ही पूरा हो जाएगा क्योंकि इस आंदोलन का मार्गदर्शन स्वयं भोलेनाथ कर रहे हैं। यह भोलेनाथ की ही कृपा है कि 4 महीने पहले एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया प्रयास अब करोड़ों लोगों तक पहुँच रहा है। वे सभी शिवभक्तों, मीडिया, अधिकारियों और राजनेताओं से अपील कर रहे हैं कि वे इस बारे में आवाज उठाएं और इसे जल्द से जल्द हल करने के लिए मिलकर काम करें ताकि शिवभक्त बिना किसी प्रतिबंध, भय या परेशानी के इस पवित्र स्थान की यात्रा करके अपने इष्ट देव की पूजा से आध्यात्मिक लाभ उठाएँ।
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