उत्तर प्रदेश
22 जनवरी से 31 जुलाई तक ढाई करोड़ से अधिक श्रद्धालु आए अयोध्याः सीएम योगी
अयोध्या| अयोध्या धाम में 2023 तक प्रतिवर्ष 20 लाख श्रद्धालु आते थे परंतु 2024 में 22 जनवरी से 31 जुलाई तक ढाई करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं का अयोध्या धाम में आगमन हुआ है यानी औसतन एक से डेढ़ लाख श्रद्धालु प्रतिदिन आ रहे हैं। यह श्रद्धालु प्रभु श्रीराम का सुमग व भव्य दर्शन तो कर ही रहे हैं, साथ ही नई, भव्य-दिव्य और नव्य अयोध्या को देखकर अभिभूत भी हो रहे हैं।
उक्त बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं। उन्होंने मंगलवार की देर रात धर्मपथ पर श्रीराम हेरिटेज वॉक का लोकार्पण किया। इसके बाद हरी झंडी दिखाकर गोल्फ कार्ट को रवाना किया। सीएम योगी ने कहा कि आज का कार्यक्रम दिव्य, भव्य, नव्य अयोध्या को नया स्वरूप प्रदान करने का हिस्सा है।
नई अयोध्या देश-दुनिया को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पावन अयोध्या धाम देश-दुनिया में अपने भव्य व आधुनिकतम स्वरूप के रूप में नई पहचान बना रहा है। पीएम मोदी ने विरासत व विकास के जिस क्रम को देश के अंदर बढ़ाया है, वह 10 वर्ष के अंदर एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार कर रहा है। इसी क्रम में अयोध्या धाम विरासत व विकास के अभियान का अभिन्न हिस्सा बना है। नई अयोध्या भारत के विरासत व विकास की अनुपम छटा बिखेरते हुए देश-दुनिया को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है।
पीएम के मार्गदर्शन में अयोध्या धाम में हुए अनेक काम
सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या के भव्य-दिव्य रूप को नया स्वरूप मिल रहा है। धर्म पथ पर बने म्यूरल्स प्रभु राम की उन लीलाओं को दिखा रहे हैं, जो उन्होंने के वनवास और रामराज्य की स्थापना के दौरान स्थापित की थी। झांकी और म्यूरल्स के माध्यम से उन्हें यहां प्रस्तुत किया गया है। पीएम के मार्गदर्शन व नेतृत्व में अयोध्या धाम के विकास को नया रूप प्रदान किया गया है। अयोध्या में फोरलेन कनेक्टिविटी, 500 वर्ष का इंतजार समाप्त कर प्रभु श्रीराम के दिव्य-भव्य मंदिर में रामलला के विराजमान होने का कार्य हो, श्रीरामपथ, जन्मभूमि पथ, भक्तिपथ, अयोध्या के अनेक मार्ग को जनपद मुख्यालय और लखनऊ-अयोध्या फोरलने मार्ग को जोड़ने का कार्य, एयरपोर्ट की कनेक्टविटी को बेहतरीन बनाते हुए टेढ़ी बाजार होते हुए इस मार्ग को एयरपोर्ट से जोड़ने, अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण, मल्टीलेवल पार्किंग, राम की पैड़ी का भव्य स्वरूप समेत अनेक कार्य यहां हुए हैं।
अयोध्या के मार्गों पर संचालित होंगे गोल्फ कार्ट
सीएम योगी ने कहा कि श्रद्धालुओं के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की नई सुविधा प्रारंभ हो रही है। सूर्यवंश की राजधानी होने के कारण हम अयोध्या को सोलर सिटी के रूप में स्थापित करेंगे। अयोध्या में इलेक्ट्रिक बसें, बैटरी से कार संचालित करें। यह व्यवस्था लोगों के लिए दें। म्यूरल्स व श्रीराम हैटिरेज वॉल व ई-रिक्शा संचालित करने के लिए अनेक लोगों, कंपनियों ने सीएसआर फंड से धनराशि दी है। यह ई-रिक्शा साकेत पेट्रोल पंप से लता मंगेशकर चौक, यहां से हनुमानगढ़ी, श्रीराम जन्मभूमि समेत अयोध्या के दर्शन के लिए सुलभ अवसर प्राप्त होंगे। ऐसे 250 ई रिक्शा ऑटो आवागमन के लिए उपलब्ध होंगे। सीएसआर से यह सुविधा उपलब्ध कराने वालों के प्रति सीएम ने धन्यवाद ज्ञापित किया और विश्वास जताया कि अयोध्या की विकास यात्रा में पीएम के विजन के अनुरूप विरासत व विकास के अभियान में ऐसे ही सकारात्मक सहयोग प्राप्त होता रहेगा।
इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, महापौर गिरीश पति त्रिपाठी, विधायक वेदप्रकाश गुप्त आदि मौजूद रहे।
उत्तर प्रदेश
महाकुंभ में कैलाश मानसरोवर शिविर का आयोजन, एनआरआई हरि गुप्ता करेंगे मानसरोवर से जुड़े रहस्यों का पर्दाफाश
महाकुंभ में एनआरआई हरि गुप्ता द्वारा कैलाश यात्रा शिविर कैलाश मानसरोवर से जुड़ी समस्याओं और रहस्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए महाकुंभ में एक शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें भारत और विदेश से कई मशहूर हस्तियों, अधिकारियों और सफल व्यवसायियों के शामिल होने की उम्मीद है। जिसमें चर्चित भारतीय फिल्म निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह मौजूद रहेंगे । दुष्यंत प्रताप सिंह अपने बेहतरीन निर्देशन के साथ – साथ पटकथा लेखन के लिए भी मशहूर हैं और साथ ही अमरजीत मिश्रा ट्रस्टी (दिव्य प्रेम सेवा मिशन) हरिद्वार और मशहूर व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर हलवासिया मौजूद रहेंगे। साथ ही सुधीर हलवासिया ने कहा कि कैलाश मानसरोवर शिविर हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देगा और उसमें सभी प्रकार से सहयोग करने की बात कही।
इस अवसर पर बॉलीवुड डायरेक्टर दुष्यंत प्रताप सिंह ने कहा कि किसी भी अन्य वासि भारतीयों द्वारा कैलाश मुक्ति अभियान के बैनर तले इतने बड़े अभियान का बीड़ा उठाना अपने आप में ही अद्भुत और बहुत साहस व लगन का विषय है और इस परिपेक्ष में सारे अन्य वासि भारतीयों को तकरीबन 15 से 20 अलग-अलग देशों के भारतीयों को एक झंडे तले लाना और अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए आध्यात्मिक विरासत के लिए भोलेनाथ शिव के लिए संघर्ष शुरू करना अपने आप में बहुत ही प्रेरणादायक है और हम लोग भी इस कार्य में जो भी योगदान हमारा हो सकता है वो हम लोग अपना योगदान दे रहे हैं हरि गुप्ता के साथ वहीं दिव्य प्रेम सेवा मिशन के ट्रस्टी अमरजीत मिश्रा जी ने कहा भारत एक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक देश के तौर पर वैश्विक रूप से सभी देशों का अगवा है और हरि गुप्ता जी ने यह जो प्रकल्प छेड़ा है l कैलाश मुक्ति अभियान वास्तव में ही बहुत प्रेरणादायक एवं एक अरुण संकल्प है और उन्होंने यह आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास व्यक्त किया की बहुत जल्द ही सभी भारतीयों को जो देश-विदेश पूरे विश्व में जहा जाएं उन्हें अपने आराध्य देव के दर्शन सुगम रूप से उपलब्ध हो सकें।
यह एक विडंबना है कि पिछले 5 सालों से भारतीय पासपोर्ट धारकों को मानसरोवर जाने की अनुमति नहीं है, जबकि अन्य देशों के नागरिक आसानी से वहां जा सकते हैं। किसी भी सरकार द्वारा किसी भी कारण से हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा को रोकना उचित नहीं है। यह हिंदू शिवभक्तों के मानवाधिकारों के बिल्कुल खिलाफ है। जबकि भारत सरकार ने 50 किलोमीटर दूर से कैलाश पर्वत को देखने के लिए कुछ मार्ग बनाए हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जैसे भोजन की थाली को देखना लेकिन उसे सूंघना, छूना, महसूस करना या खाना नहीं। जब भोजन को देखकर सामान्य भूख नहीं मिटती है l तो 50 किलोमीटर दूर से उसे देखने से आध्यात्मिक भूख कैसे मिटेगी।
भले ही यात्रा की अनुमति मिल गई हो, लेकिन वास्तविक यात्रा से भारतीय यात्रियों को कोई लाभ नहीं होगा। उन्हें अभी भी कैलाश की यात्रा के लिए नेपाल और उसके मागों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत से पिथौरागढ़ या सिक्किम के रास्ते बहुत लंबे और उबड़-खाबड़ रास्ते हैं। हरि गुप्ता दिल्ली से कैलाश के लिए सीधी चार्टर उड़ानें शुरू करने के इच्छुक हैं और एयरलाइन ऑपरेटरों से बातचीत कर रहे हैं। दिल्ली से कैलाश तक की केवल 500 किमी की उड़ान है।
आचार्य हरि गुप्ता विदेश में 30 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं और एक सफल व्यवसायी है। उन्होंने भोलेनाथ ने कई बार दर्शन किए हैं और कैलाश मुक्ति के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए मार्गदर्शन दिया है। वे इस अनुभव को भोलेनाथ की लीला के रूप में भी लिख रहे हैं। आचार्य हरि गुप्ता ने कहा कि कैलाश न केवल हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह सिख, जैन और बौद्धों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी।
पहले जैन गुरु ऋषभदेव जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी। आचार्य हरि गुप्ता को भोलेनाथ ने कई रहस्य बताए हैं जैसे पांच कैलाश हैं, जिनमें भोलेनाथ की अलग-अलग लीलाएं हैं। इनमें से एक मुख्य कैलाश वर्तमान में तिब्बत के अंतर्गत है, जो चीन के अंतर्गत आता है। उन्हें रहस्यमयी तरीके से कई लोगों से मिलने का मौका भी मिलता है, जिनमें से एक ने भगवान शिव के एक मंदिर के बारे में बताया है जो कैलाश के पास है और जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है।
यह अद्भुत शिव मंदिर पास के शहर में एक पहाड़ पर है और सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है। इसके एक तरफ पानी का झरना है। इसकी परिक्रमा के चारों ओर गहरी घाटी है। भक्तों को खीर का प्रसाद दिया जाता है जिसे चावल को सिर्फ़ इतना पकाकर मीठा किया जाता है कि वह मीठा हो जाए और उसमें कोई मीठा पदार्थ नहीं मिलाया जाता। आगंतुकों को कभी-कभी चार काले कुत्ते भी दिखाई देते हैं जिन्हें चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। मंदिर को हर साल पशुपति नाथ मंदिर से पहला एकमुखी रुद्राक्ष भी मिलता है जिस पर नेपाल के राजा का पहला अधिकार होता है।
कुछ साल पहले कैलाश की यात्रा करने वाले संजय जैन ने उन्हें मानसरोवर ताल के बारे में कुछ रहस्य भी बताए हैं। उन्होंने बताया कि मानसरोवर झील में कई पत्थर हैं जिन पर ओम, सांप या डमरू के प्राकृतिक निशान हैं। उन्होंने न केवल उन्हें अपनी आँखों से देखा है बल्कि उन्हें अपने साथ भी लाया है। सत्यापन के लिए दिल्ली में भी ऐसे दो पत्थर उपलब्ध हैं।
दूसरा रहस्य यह है कि मानसरोवर ताल के पास पक्षी किसी से भी भोजन ले लेते हैं जबकि राक्षस ताल के पास पक्षी कोई भी भोजन स्वीकार नहीं करते। यह जानकर आश्चर्य होता है कि यहाँ दो ताल हैं, एक में मीठा और साफ पानी है जबकि दूसरे में वह नहीं है। एक में लहरें हैं और दूसरे में नहीं। एक बर्फ में जम जाता है जबकि दूसरा नहीं। भोलेनाथ द्वारा दी गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंत र्दृष्टि यह है कि जब हम गूगल मैप को 180 डिग्री घुमाते हैं- तो हम झीलों के आकार को शिवलिंग और योनि के रूप में पहचान सकते हैं।
आचार्य हरि गुप्ता सभी संतों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए सांसदों को ईमेल के जरिए पत्र भी भेजे हैं। भोलेनाथ की प्रेरणा से उन्होंने जय कैलाश नाम से एक भजन भी लिखा है जिसमें भगवान शिव, कैलाश पर्वत और उसके महत्व के बारे में आसानी से बताया गया है। यह गीत Youtube.com/@JaiKailasha पर है। गौरतलब है कि 60 साल के अपने पूरे जीवन में उन्होंने शायद ही कभी संगीत सुना हो और कभी कोई कविता या गीत नहीं लिखा हो। आचार्य हरि गुप्ता इस उद्देश्य के लिए www.kailashmukti.com के नाम से एक वेबसाइट भी बना रहे हैं।
कैलाश आने वाले कई लोगों ने बताया है कि मानसरोवर और उसके आस-पास के स्थानों पर तीर्थयात्रियों के ठहरने, शौचालय, चिकित्सा और यात्रा के लिए शायद ही कोई सुविधा है। उनका इरादा तीर्थयात्रियों के लिए वहां भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का है और इसके लिए वे भारत और चीन सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। आचार्य हरि गुप्ता को पूरा विश्वास है कि यह काम जल्द ही पूरा हो जाएगा क्योंकि इस आंदोलन का मार्गदर्शन स्वयं भोलेनाथ कर रहे हैं। यह भोलेनाथ की ही कृपा है कि 4 महीने पहले एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया प्रयास अब करोड़ों लोगों तक पहुँच रहा है। वे सभी शिवभक्तों, मीडिया, अधिकारियों और राजनेताओं से अपील कर रहे हैं कि वे इस बारे में आवाज उठाएं और इसे जल्द से जल्द हल करने के लिए मिलकर काम करें ताकि शिवभक्त बिना किसी प्रतिबंध, भय या परेशानी के इस पवित्र स्थान की यात्रा करके अपने इष्ट देव की पूजा से आध्यात्मिक लाभ उठाएँ।
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