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उत्तर प्रदेश

सीएम के निर्देश पर जिलाधिकारियों ने किया फसलों का सर्वे, राहत पोर्टल पर अपलोड किया जाए डेटा

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लखनऊ| मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को अधिकारियों को फील्ड में जाकर ओलावृष्टि व बारिश से अन्नदाता किसानों की फसलों को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए सर्वे करने का निर्देश दिया था। सीएम के निर्देश मिलते ही सोमवार को प्रदेश के विभिन्न जिलों के जिलाधिकारी समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी हरकत में नजर आए। वे सुबह से ही अन्नदाताओं से संपर्क साधकर खेतों में पहुंचे और फसलों के नुकसान का जायजा लिया, फिर सर्वे रिपोर्ट राहत विभाग को सौंपी। प्रदेश के सभी जनपदों में अनवरत सर्वे कार्य चल रहा है। इसके साथ ही आकाशीय बिजली से हुई जनहानि व पशुहानि का भी सर्वे कराकर मुआवजा देने की प्रक्रिया चल रही है।

राहत पोर्टल पर अपलोड किया जाए डेटा

प्रमुख सचिव राजस्व पी. गुरु प्रसाद ने बताया कि सीएम के निर्देश पर ओलावृष्टि व भारी वर्षा के कारण सभी फसलों के नुकसान का सर्वे आज शाम तक लगभग पूरा कर लिया जाएगा। वहीं छूटे हुए किसानों के लिए विशेष क्षेत्रीय शिविर आयोजित किया जाएगा। इसके डेटा से जुड़ी जानकारी राहत पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। राहत आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि झांसी, इटावा, ललितपुर, सहारनपुर समेत सभी जिलों में नुकसान का आकलन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जनपदों के अधिकारी सोमवार सुबह ही फील्ड में पहुंचे और नुकसान की हकीकत देख लगातार रिपोर्ट भेज रहे हैं।

सीएम के निर्देश पर एक्शन में अधिकारी

सीएम ने आदेश दिया था कि संबंधित विभाग को डिटेल उपलब्ध कराया जाए, जिससे 24 घंटे में अन्नदाताओं के खाते में क्षतिपूर्ति की धनराशि को भेजा जा सके। सीएम योगी ने अधिकारियों को क्षतिपूर्ति देने में लापरवाही न करने की हिदायत दी थी। इसके बाद सोमवार को सहारनपुर के जिलाधिकारी, इटावा, जालौन, मुजफ्फरनगर, झांसी समेत अनेक जिलों के अफसरों ने किसानों से संपर्क साधा और खेतों में जाकर नुकसान का जायजा लिया।

जालौन के जिलाधिकारी ने ओलावृष्टि से प्रभावित उरई तहसील के गम कुकरगांव, बोहदापुरा, सातमील व उरई ग्रामीण का निरीक्षण किया। अपर जिलाधिकारी (वित्त-राजस्व) ने तहसील कोंच व उरई के ग्राम पिंडारी व सोमई में जााकर नुकसान का अवलोकन किया। एडीएम (न्यायिक) ने माधौगढ़ ग्राम मिझौना व बंगरा का निरीक्षण किया। एडीएम (नमामि गंगे) ने ओलावृष्टि से प्रभावित तहसील कालपी के ग्राम आटा व चमारी संधी में जाकर नुकसान हुई फसलों को देखा और वहां की रिपोर्ट राहत कार्यालय भेजी।

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उत्तर प्रदेश

डिजिटल महाकुम्भ: तकनीक बनी हथियार, 2,750 एआई सीसीटीवी संदिग्ध गतिविधियों पर रख रहे नजर

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महाकुंभ नगर। दिव्य और भव्य महाकुम्भ को पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए प्रबंधन ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। इस बार एआई तकनीक को पुलिस ने अपना हथियार बनाया है। 2700 से ज्यादा एआई सीसीटीवी महाकुम्भ नगर में लगाए गए हैं। वह सीधे संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखेंगे और उसकी रिपोर्ट कंट्रोल रूम को देंगे। मेले के दौरान 37,000 पुलिसकर्मी और 14,000 होमगार्ड तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही एनएसजी, एटीएस, एसटीएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी चौकसी बरत रही हैं। सीसीटीवी और खुफिया एजेंसियों की निगरानी में हर कोना सुरक्षित है। यहां तक कि मेले में परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा।

वॉच टावरों से बनाया सुरक्षा का अभेद्य घेरा

पूरे मेला क्षेत्र में अब तक 123 वॉच टावर बनाए गए हैं, जहां स्नाइपर, एनएसजी, एटीएस और सिविल पुलिस के जवान तैनात हैं। वॉच टावरों को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि इनसे दूरबीन की मदद से पूरे क्षेत्र की निगरानी की जा सके। हर वॉच टावर पर अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं। सभी वॉच टावरों को ऊंचाई और रणनीतिक स्थानों पर स्थापित किया गया है ताकि सुरक्षा में कोई चूक न हो। पुलिस के साथ जल पुलिस और फायर ब्रिगेड भी पूरी तरह मुस्तैद हैं।

स्नानार्थियों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्राथमिकता

महाकुंभ मेले के डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि महाकुंभ में देश-विदेश से करीब 45 करोड़ श्रद्धालु, स्नानार्थी, कल्पवासी और पर्यटक आने की संभावना है। ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे पर सख्त निगरानी रखी जा रही है। मेले के सभी जोन और सेक्टर में अलग-अलग स्थानों पर वॉच टावर बनाए गए हैं। प्रवेश के सात मुख्य मार्गों पर भी सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।

मुख्य धार्मिक स्थलों पर कड़ी की सुरक्षा

अखाड़ा क्षेत्र, बड़े हनुमान मंदिर, परेड मैदान, वीआईपी घाट, अरैल, झूसी, और सलोरी जैसे संवेदनशील स्थानों पर विशेष वॉच टावर बनाए गए हैं। यहां तैनात जवान आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस हैं।

अत्याधुनिक तकनीक से लैस हुई कुम्भ की सुरक्षा

– 2,750 AI आधारित सीसीटीवी कैमरे और 80 VMD स्क्रीन मेले की हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं।
– 3 जल पुलिस स्टेशन और 18 जल पुलिस कंट्रोल रूम तैनात हैं।
– 50 फायर स्टेशन और 20 फायर पोस्ट बनाए गए हैं।
– 4,300 फायर हाइड्रेंट किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।

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