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उत्तर प्रदेश

प्रदेश की पुलिसिंग दुनिया में एक नजीर बन रही : सीएम योगी

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मुरादाबाद। पिछले सात साल में यूपी पुलिस द्वारा किये गये बेहतरीन कार्यों का परिणाम है कि आज प्रदेश प्रत्येक क्षेत्र में अपने आप को बेहतर साबित करने में सफल हुआ है। प्रदेश को लेकर दुनिया का परसेप्शन भी बेहतरीन हुआ है। बीते सात साल में कोई दंगा नहीं हुआ, संगठित अपराध समाप्ति की ओर हैं, सभी बड़े पर्व, त्यौहार और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय महत्व के आयोजन सकुशल संपन्न हुए हैं। इसके अलावा अतिविशिष्ट महानुभावों का आगमन और अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भी पूरी भव्यता और उल्लास से साथ संपन्न हुआ है। ये यूपी पुलिस के जवानों की मेहनत और कार्यों का परिणाम है। प्रदेश की पुलिसिंग दुनिया में एक नजीर बन रही है। ये बातें शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भीमराव अम्बेडकर पुलिस अकादमी में आयोजित दीक्षांत समारोह के दौरान कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपी पुलिस ने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में कर्तव्य को सर्वोपरि मानते हुए अपराध को नियंत्रित करने, कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने और सामाजिक सौहार्द की स्थापना करने में सराहनीय भूमिका का निर्वहन किया है। मुख्यमंत्री ने प्रसन्न्ता व्यक्त की कि डॉ भीमराव अम्बेडकर यूपी पुलिस अकादमी में नागरिक पुलिस के अधारभूत कोर्स 2023-24 के उपरांत 8362 उपनिरीक्षक और प्लाटून कमांडर आज से यूपी पुलिस का हिस्सा बनने जा रहे हैं। इसमें 1618 महिला पुलिस उपनिरीक्षक भी शामिल हैं।

सीएम योगी ने कहा कि एक साल का कठिन प्रशिक्षण और व्यवसायिक दक्षता को सफलता पूर्वक प्राप्त करने वाले 8 हजार से अधिक पुलिस कार्मिक यूपी पुलिस को प्राप्त हो रहे हैं, जो प्रदेश की कानून व्यवस्था को और बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण वह समय है जब एक प्रशिक्षु सक्रिय सेवा के समस्त मानदंडों और व्यवहारिक जीवन के उच्च आदर्शों के साथ साथ सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करता है। यहीं से एक जिम्मेदार लोकसेवक के दायित्वों को भली-भांति निर्वहन करने के लिए वह स्वयं को योग्य बनाता है। वर्दी वाली फोर्स के बारे में कहा जाता है कि जितना प्रशिक्षण में पसीना बहेगा, चुनौती के समय खून बहाने की नौबत उतनी ही कम आएगी। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान आप सभी ने जितनी मेहनत और लगन के साथ अपने आप को साबित किया होगा वह आगामी 30-35 साल तक आपको इस सेवा के लिए योग्यतम साबित करेगा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि विगत सात साल में पुलिस प्रशिक्षण की क्षमता को तीन गुना किया गया है। प्रशिक्षण के दौरान यहां कानून व्यवस्था, विधि और मानवाधिकारों के साथ ही साइबर क्राइम, फारेंसिक साइंस जैसे नये महत्वपूर्ण बिंदुओं से अवगत कराया गया है। 1 जुलाई 2024 से तीन नये कानून लागू हो रहे हैं। इसके लिए राज्य सरकार के स्तर पर भी कमेटी गठित की गई है। ये प्रसन्नता का विषय है कि प्रशिक्षण के दौरान सभी प्रशिक्षुओं को नये कानूनों का भी प्रशिक्षण दिया गया है। ये नये कानून दंड आधारित ना होकर न्याय प्रधान हैं।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के स्मार्ट पुलिस के सूत्रों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि स्ट्रिक्ट एंड सेंसेटिव, मॉर्डन एंड मोबाइल, अलर्ट एंड एकाउंटेबल, रिलायबल एंड रिस्पॉसिव, टेक्नोसेवी एंड ट्रेंड, यह सूत्र हमें कानून प्रवर्तन के लिए निरंतर और स्पष्ट मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। जांच एवं दंड के पुराने तरीके से आगे निकलकर आधुनिक तकनीक और साक्ष्यों का उपयोग करना न केवल न्याय की दृष्टि से बेहतर है, बल्कि जांच में होने वाले अनावश्यक व्यय और श्रम को भी कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दक्ष, न्यायप्रिय, पारदर्शी, जवाबदेह व निष्ठा के साथ जनसेवा के प्रति संवेदनशील पुलिस बल की स्थापना में यह प्रशिक्षण बेहद कारगर सिद्ध होगा।

सीएम ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 1 लाख 60 हजार पुलिस कार्मिकों की भर्ती प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संपन्न किया है। साथ ही 1 लाख 56 हजार पुलिसकार्मिकों को प्रोन्नति प्रदान की गई है। उन्होंने ट्रेनिंग प्राप्त किये पुलिसकर्मियों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आप सभी विश्व के सबसे बड़े गौरवशाली पुलिसबल का हिस्सा बनने जा रहे हैं।

इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण तिलोत्तमा वर्मा, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद, अपर पुलिस महानिदेशक राजीव सभरवाल, एमएलसी चौधरी भूपेन्द्र सिंह, महापौर मुरादाबाद विनोद अग्रवाल, जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ शेफाली सिंह, विधायक रितेश गुप्ता, पुलिस अकादमी से जुड़े अधिकारीगण, प्रशिक्षु और अभिभावक मौजूद रहे।

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उत्तर प्रदेश

महाकुंभ में कैलाश मानसरोवर शिविर का आयोजन, एनआरआई हरि गुप्ता करेंगे मानसरोवर से जुड़े रहस्यों का पर्दाफाश

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महाकुंभ में एनआरआई हरि गुप्ता द्वारा कैलाश यात्रा शिविर कैलाश मानसरोवर से जुड़ी समस्याओं और रहस्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए महाकुंभ में एक शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें भारत और विदेश से कई मशहूर हस्तियों, अधिकारियों और सफल व्यवसायियों के शामिल होने की उम्मीद है। जिसमें चर्चित भारतीय फिल्म निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह मौजूद रहेंगे । दुष्यंत प्रताप सिंह अपने बेहतरीन निर्देशन के साथ – साथ पटकथा लेखन के लिए भी मशहूर हैं और साथ ही अमरजीत मिश्रा ट्रस्टी (दिव्य प्रेम सेवा मिशन) हरिद्वार और मशहूर व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर हलवासिया मौजूद रहेंगे। साथ ही सुधीर हलवासिया ने कहा कि कैलाश मानसरोवर शिविर हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देगा और उसमें सभी प्रकार से सहयोग करने की बात कही।

इस अवसर पर बॉलीवुड डायरेक्टर दुष्यंत प्रताप सिंह ने कहा कि किसी भी अन्य वासि भारतीयों द्वारा कैलाश मुक्ति अभियान के बैनर तले इतने बड़े अभियान का बीड़ा उठाना अपने आप में ही अद्भुत और बहुत साहस व लगन का विषय है और इस परिपेक्ष में सारे अन्य वासि भारतीयों को तकरीबन 15 से 20 अलग-अलग देशों के भारतीयों को एक झंडे तले लाना और अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए आध्यात्मिक विरासत के लिए भोलेनाथ शिव के लिए संघर्ष शुरू करना अपने आप में बहुत ही प्रेरणादायक है और हम लोग भी इस कार्य में जो भी योगदान हमारा हो सकता है वो हम लोग अपना योगदान दे रहे हैं हरि गुप्ता के साथ वहीं दिव्य प्रेम सेवा मिशन के ट्रस्टी अमरजीत मिश्रा जी ने कहा भारत एक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक देश के तौर पर वैश्विक रूप से सभी देशों का अगवा है और हरि गुप्ता जी ने यह जो प्रकल्प छेड़ा है l कैलाश मुक्ति अभियान वास्तव में ही बहुत प्रेरणादायक एवं एक अरुण संकल्प है और उन्होंने यह आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास व्यक्त किया की बहुत जल्द ही सभी भारतीयों को जो देश-विदेश पूरे विश्व में जहा जाएं उन्हें अपने आराध्य देव के दर्शन सुगम रूप से उपलब्ध हो सकें।

यह एक विडंबना है कि पिछले 5 सालों से भारतीय पासपोर्ट धारकों को मानसरोवर जाने की अनुमति नहीं है, जबकि अन्य देशों के नागरिक आसानी से वहां जा सकते हैं। किसी भी सरकार द्वारा किसी भी कारण से हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा को रोकना उचित नहीं है। यह हिंदू शिवभक्तों के मानवाधिकारों के बिल्कुल खिलाफ है। जबकि भारत सरकार ने 50 किलोमीटर दूर से कैलाश पर्वत को देखने के लिए कुछ मार्ग बनाए हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जैसे भोजन की थाली को देखना लेकिन उसे सूंघना, छूना, महसूस करना या खाना नहीं। जब भोजन को देखकर सामान्य भूख नहीं मिटती है l तो 50 किलोमीटर दूर से उसे देखने से आध्यात्मिक भूख कैसे मिटेगी।

भले ही यात्रा की अनुमति मिल गई हो, लेकिन वास्तविक यात्रा से भारतीय यात्रियों को कोई लाभ नहीं होगा। उन्हें अभी भी कैलाश की यात्रा के लिए नेपाल और उसके मागों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत से पिथौरागढ़ या सिक्किम के रास्ते बहुत लंबे और उबड़-खाबड़ रास्ते हैं। हरि गुप्ता दिल्ली से कैलाश के लिए सीधी चार्टर उड़ानें शुरू करने के इच्छुक हैं और एयरलाइन ऑपरेटरों से बातचीत कर रहे हैं। दिल्ली से कैलाश तक की केवल 500 किमी की उड़ान है।

आचार्य हरि गुप्ता विदेश में 30 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं और एक सफल व्यवसायी है। उन्होंने भोलेनाथ ने कई बार दर्शन किए हैं और कैलाश मुक्ति के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए मार्गदर्शन दिया है। वे इस अनुभव को भोलेनाथ की लीला के रूप में भी लिख रहे हैं। आचार्य हरि गुप्ता ने कहा कि कैलाश न केवल हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह सिख, जैन और बौद्धों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी।

पहले जैन गुरु ऋषभदेव जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी। आचार्य हरि गुप्ता को भोलेनाथ ने कई रहस्य बताए हैं जैसे पांच कैलाश हैं, जिनमें भोलेनाथ की अलग-अलग लीलाएं हैं। इनमें से एक मुख्य कैलाश वर्तमान में तिब्बत के अंतर्गत है, जो चीन के अंतर्गत आता है। उन्हें रहस्यमयी तरीके से कई लोगों से मिलने का मौका भी मिलता है, जिनमें से एक ने भगवान शिव के एक मंदिर के बारे में बताया है जो कैलाश के पास है और जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है।

यह अद्भुत शिव मंदिर पास के शहर में एक पहाड़ पर है और सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है। इसके एक तरफ पानी का झरना है। इसकी परिक्रमा के चारों ओर गहरी घाटी है। भक्तों को खीर का प्रसाद दिया जाता है जिसे चावल को सिर्फ़ इतना पकाकर मीठा किया जाता है कि वह मीठा हो जाए और उसमें कोई मीठा पदार्थ नहीं मिलाया जाता। आगंतुकों को कभी-कभी चार काले कुत्ते भी दिखाई देते हैं जिन्हें चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। मंदिर को हर साल पशुपति नाथ मंदिर से पहला एकमुखी रुद्राक्ष भी मिलता है जिस पर नेपाल के राजा का पहला अधिकार होता है।

कुछ साल पहले कैलाश की यात्रा करने वाले संजय जैन ने उन्हें मानसरोवर ताल के बारे में कुछ रहस्य भी बताए हैं। उन्होंने बताया कि मानसरोवर झील में कई पत्थर हैं जिन पर ओम, सांप या डमरू के प्राकृतिक निशान हैं। उन्होंने न केवल उन्हें अपनी आँखों से देखा है बल्कि उन्हें अपने साथ भी लाया है। सत्यापन के लिए दिल्ली में भी ऐसे दो पत्थर उपलब्ध हैं।

दूसरा रहस्य यह है कि मानसरोवर ताल के पास पक्षी किसी से भी भोजन ले लेते हैं जबकि राक्षस ताल के पास पक्षी कोई भी भोजन स्वीकार नहीं करते। यह जानकर आश्चर्य होता है कि यहाँ दो ताल हैं, एक में मीठा और साफ पानी है जबकि दूसरे में वह नहीं है। एक में लहरें हैं और दूसरे में नहीं। एक बर्फ में जम जाता है जबकि दूसरा नहीं। भोलेनाथ द्वारा दी गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंत र्दृष्टि यह है कि जब हम गूगल मैप को 180 डिग्री घुमाते हैं- तो हम झीलों के आकार को शिवलिंग और योनि के रूप में पहचान सकते हैं।

आचार्य हरि गुप्ता सभी संतों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए सांसदों को ईमेल के जरिए पत्र भी भेजे हैं। भोलेनाथ की प्रेरणा से उन्होंने जय कैलाश नाम से एक भजन भी लिखा है जिसमें भगवान शिव, कैलाश पर्वत और उसके महत्व के बारे में आसानी से बताया गया है। यह गीत Youtube.com/@JaiKailasha पर है। गौरतलब है कि 60 साल के अपने पूरे जीवन में उन्होंने शायद ही कभी संगीत सुना हो और कभी कोई कविता या गीत नहीं लिखा हो। आचार्य हरि गुप्ता इस उद्देश्य के लिए www.kailashmukti.com के नाम से एक वेबसाइट भी बना रहे हैं।

कैलाश आने वाले कई लोगों ने बताया है कि मानसरोवर और उसके आस-पास के स्थानों पर तीर्थयात्रियों के ठहरने, शौचालय, चिकित्सा और यात्रा के लिए शायद ही कोई सुविधा है। उनका इरादा तीर्थयात्रियों के लिए वहां भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का है और इसके लिए वे भारत और चीन सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। आचार्य हरि गुप्ता को पूरा विश्वास है कि यह काम जल्द ही पूरा हो जाएगा क्योंकि इस आंदोलन का मार्गदर्शन स्वयं भोलेनाथ कर रहे हैं। यह भोलेनाथ की ही कृपा है कि 4 महीने पहले एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया प्रयास अब करोड़ों लोगों तक पहुँच रहा है। वे सभी शिवभक्तों, मीडिया, अधिकारियों और राजनेताओं से अपील कर रहे हैं कि वे इस बारे में आवाज उठाएं और इसे जल्द से जल्द हल करने के लिए मिलकर काम करें ताकि शिवभक्त बिना किसी प्रतिबंध, भय या परेशानी के इस पवित्र स्थान की यात्रा करके अपने इष्ट देव की पूजा से आध्यात्मिक लाभ उठाएँ।

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