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प्रादेशिक

टेराकोटा फाइन क्ले म्यूरल से सजेगी अयोध्या की दीवारें, रामायण काल के प्रमुख प्रसंगों का मनमोहक चित्रण कराएगी योगी सरकार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने के साथ ही प्रदेश की आध्यात्मिक मूल्यों के संरक्षण के लिए संकल्पबद्ध योगी सरकार रामनगरी अयोध्या को नव्य-भव्य रूप में सजाने की कोई कसर नहीं छोड़ रही है। अयोध्या में 22 जनवरी को प्रस्तावित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भव्य प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पहले पूरे क्षेत्र के कायाकल्प की प्रक्रिया जारी है। इस क्रम में, श्रीराम जन्‍म भूमि मंदिर को जोड़ने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर रामायण काल के प्रमुख प्रसंगों का मनमोहक चित्रण कराने की दिशा में योगी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में तेजी लाई जा रही है। सीएम योगी की मंशा अनुसार, अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की ओर जाने वाले सभी प्रमुख मार्गों की दीवारों को टेराकोटा फाइन क्ले म्यूरल कलाकृतियों से सजाने की प्रक्रिया शुरू करते हुए इस क्रम में रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) माध्यम से एजेंसी आबद्ध करने के लिए आवेदन मांगे हैं। एडीए का उद्देश्य अयोध्या शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाने का है और वह इसे सार्वजनिक निजी भागीदारी के माध्यम से करना चाहता है। उल्लेखनीय है कि एडीए ने केंद्र तथा राज्य सरकार के दृष्टिकोण को लागू करने की योजना को क्रियान्वित करना शुरू कर दिया है जिसके अनुसार वर्ष 2047 तक अयोध्या को वैश्विक आध्यात्मिक राजधानी के रूप में विकसित करने पर लक्ष्य केंद्रित किया जा रहा है। साथ ही, अयोध्या में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा तैयार करने की दिशा में सार्थक प्रयास हो रहे हैं जिससे यह शहर प्राचीनता व आधुनिकता का जीवंत मिश्रण बन सके।

धर्म पथ समेत प्रमुख मार्गों पर स्थापित होंगी कलाकृतियां

एडीए के अनुसार, प्रतिष्ठित धर्म पथ रोड के किनारे टेराकोटा कलाकृतियों व भित्तिचित्रों की आगामी डिजाइन, निर्माण और स्थापना, इसकी समकालीन जीवंतता को बढ़ाने के साथ-साथ अयोध्या की विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। यह उल्लेखनीय प्रयास केवल एक मार्ग को सजाने के बारे में नहीं है; यह परंपरा और आधुनिकता के मिश्रण का प्रतीक है जो तीर्थयात्रियों और आगंतुकों को अयोध्या के कालातीत आकर्षण का अनुभव करने के लिए स्वागत करता है। धर्म पथ सड़क के किनारे टेराकोटा भित्तिचित्रों के निर्माण से यहां आध्यात्मिक शांति की तलाश में बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों और यात्रियों को आकर्षित करेगा। ये भित्तिचित्र दृश्य इतिहास के रूप में काम करेंगे, जो पवित्र किंवदंतियों, महाकाव्यों और कहानियों का वर्णन करते हैं, जो सदियों से अयोध्या के हदयस्थल पर अंकित हैं। ये भित्तिचित्र तीर्थयात्रियों के सांस्कृतिक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करेंगे जो पवित्र अतीत और कोलाहल भरे वर्तमान के बीच की खाई को पाटते हैं। ये भित्ति चित्र न केवल कलात्मक अभिव्यक्ति बन जाते हैं, बल्कि ज्ञान, समझ और एकता के मार्ग भी प्रशस्त करेंगे। ये शहर के सौंदर्यीकरण को बढ़ावा देने के साथ ही ओपन एयर गैलरी के तौर पर भी कार्य करेंगे।

9 फीट ऊंचाई व 20 फीट चौड़े होंगी टेराकोटा कलाकृतियां

टेराकोटा भित्तिचित्र पहल ऐतिहासिक सिटी सर्किट और हेरिटेज वॉक की एडीए की रणनीति के अनुरूप है। कला, विरासत और बुनियादी ढांचे को एकीकृत करके, यह पहल ऐसे स्थान बनाने के रणनीतिक उद्देश्य को पूरा करती है जो निवासियों और यहां आने वाले तीर्थयात्रियों के बीच समान रूप से गर्व और अपनेपन की भावना पैदा करेगी। इसके अतिरिक्त, यह परियोजना सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने और अयोध्या को वैश्विक पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित करने के एडीए के लक्ष्य में सीधे योगदान देगी। इस क्रम में, बनने वाले 50 से ज्यादा म्यूरल स्कल्प्चर्स व भित्ति चित्र पेंटिंग्स की ऊंचाई 9 फीट और चौड़ाई 20 फीट होगी। इनकी थीम अलग-अलग रामायण कांड पर आधारित होगी। इन्हें महीन मिट्टी (केवल नदी तल की फाइन क्ले) का उपयोग होगा। संक्षारण से बचने के लिए कलाकृतियों के निर्माण के लिए चयनित मिट्टी यूरिया और नमक से मुक्त होगी। वहीं, कलाकृतियों की बेकिंग (फायरिंग) को 970-1050-डिग्री तापमान पर पकाया जाएगा। भित्तिचित्रों का उभार 8 इंच होगा तथा प्रत्येक भाग, टुकड़े और ब्लॉक को पॉलिमर मोर्टार द्वारा दीवार पर लगाया जाएगा जिन पर वेदर कोटिंग वाले पेंट ही लगाए जाएंगे।

वशिष्ठ कुंज समेत कई परियोजनाओं पर तेजी से हो रहा काम

अयोध्या में 22 जनवरी को प्रस्तावित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भव्य प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पहले कई परियोजनाओं की पूर्ति पर तेजी से काम हो रहा है। इसमें वशिष्ठ कुंज में रेजिडेंशियल हॉलिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए डेवलपमेंट एजेंसी के चयन, मल्टी कलर्ड आउटडोर नियोन लाइट्स की स्थापना समेत शहर भर में अयोध्या के लोगो को लगाने के लिए एजेंसी के निर्धारण की प्रक्रिया पर भी तेजी से कार्य हो रहा है।

उत्तर प्रदेश

डिजिटल महाकुम्भ: तकनीक बनी हथियार, 2,750 एआई सीसीटीवी संदिग्ध गतिविधियों पर रख रहे नजर

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महाकुंभ नगर। दिव्य और भव्य महाकुम्भ को पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए प्रबंधन ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। इस बार एआई तकनीक को पुलिस ने अपना हथियार बनाया है। 2700 से ज्यादा एआई सीसीटीवी महाकुम्भ नगर में लगाए गए हैं। वह सीधे संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखेंगे और उसकी रिपोर्ट कंट्रोल रूम को देंगे। मेले के दौरान 37,000 पुलिसकर्मी और 14,000 होमगार्ड तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही एनएसजी, एटीएस, एसटीएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी चौकसी बरत रही हैं। सीसीटीवी और खुफिया एजेंसियों की निगरानी में हर कोना सुरक्षित है। यहां तक कि मेले में परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा।

वॉच टावरों से बनाया सुरक्षा का अभेद्य घेरा

पूरे मेला क्षेत्र में अब तक 123 वॉच टावर बनाए गए हैं, जहां स्नाइपर, एनएसजी, एटीएस और सिविल पुलिस के जवान तैनात हैं। वॉच टावरों को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि इनसे दूरबीन की मदद से पूरे क्षेत्र की निगरानी की जा सके। हर वॉच टावर पर अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं। सभी वॉच टावरों को ऊंचाई और रणनीतिक स्थानों पर स्थापित किया गया है ताकि सुरक्षा में कोई चूक न हो। पुलिस के साथ जल पुलिस और फायर ब्रिगेड भी पूरी तरह मुस्तैद हैं।

स्नानार्थियों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्राथमिकता

महाकुंभ मेले के डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि महाकुंभ में देश-विदेश से करीब 45 करोड़ श्रद्धालु, स्नानार्थी, कल्पवासी और पर्यटक आने की संभावना है। ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे पर सख्त निगरानी रखी जा रही है। मेले के सभी जोन और सेक्टर में अलग-अलग स्थानों पर वॉच टावर बनाए गए हैं। प्रवेश के सात मुख्य मार्गों पर भी सुरक्षा के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।

मुख्य धार्मिक स्थलों पर कड़ी की सुरक्षा

अखाड़ा क्षेत्र, बड़े हनुमान मंदिर, परेड मैदान, वीआईपी घाट, अरैल, झूसी, और सलोरी जैसे संवेदनशील स्थानों पर विशेष वॉच टावर बनाए गए हैं। यहां तैनात जवान आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस हैं।

अत्याधुनिक तकनीक से लैस हुई कुम्भ की सुरक्षा

– 2,750 AI आधारित सीसीटीवी कैमरे और 80 VMD स्क्रीन मेले की हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं।
– 3 जल पुलिस स्टेशन और 18 जल पुलिस कंट्रोल रूम तैनात हैं।
– 50 फायर स्टेशन और 20 फायर पोस्ट बनाए गए हैं।
– 4,300 फायर हाइड्रेंट किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।

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