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अन्तर्राष्ट्रीय

रूसी सैन्य उपकरणों के विकल्प खोजने में हमें करनी चाहिए भारत की मदद: विक्टोरिया नूलैंड

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victoria nuland

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वाशिंगटन/नई दिल्ली। अपनी भारत यात्रा से पहले अमेरिकी राजनीतिक मामलों की अवर सचिव विक्टोरिया नूलैंड ने सभी सांसदों से कहा है कि रूसी सैन्य उपकरणों के विकल्प खोजने में हमें भारत की मदद करनी चाहिए ताकि भारत की निर्भरता रूस पर से कम हो।

दरअसल, यूक्रेन के ऊपर लगातार रूसी हमले से परेशान अमेरिका अब भारत को अपनी तरफ खींचने की पूरी कोशिश करने में लगा है। हालांकि, अमेरिका के बयान को भारत कितना तरजीह देता है यह देखने वाली बात होगी क्योंकि पूरी दुनिया को भारत और रूस की नजदीकी का पता है। ऐसे में भारत इसके लिए तैयार हो यह संभव लग नहीं रहा है।

60 साल के बाद भारत ले मजबूत फैसला

अमेरिकी नेता विक्टोरिया नूलैंड ने कहा कि भारत 60 सालों से उलझन में फंसा हुआ है लेकिन दुनिया की भलाई के लिए उसे ठोस कदम उठाना होगा। अमेरिका को उम्मीद है कि रूसी सैन्य उपकरण के विकल्प खोजने में भारत  अमेरिका की मदद लेने के लिए तैयार हो जाएगा।

इस दौरान कई सांसदों ने भारत के पुराने रुख का भी जिक्र किया कि कैसे भारत रूस के खिलाफ वोटिंग करने से बचता रहा है। क्या रूस से नजदीकी के चलते भारत इस अभियान में अमेरिका की मदद करेगा?

भारत के पिछले रुख पर उठा सवाल

अमेरिकी अधिकारियों ने रूस द्वारा भारत द्वारा एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद पर भी चिंता व्यक्त की है और कहा कि जब भारत अमेरिका के प्रतिबंधों को नहीं माना तो कैसे आगे वह मदद करेगा?

नूलैंड ने जवाब में कहा भारत की मेरी पिछली यात्रा पर, हमने जो पहली बातें कही थीं, उनमें से एक यह थी कि देखें कि युद्ध के मैदान में ये हथियार कैसा प्रदर्शन करते हैं।

मर्कले ने कहा कि आसियान देशों के साथ-साथ भारत और दक्षिण अफ्रीका दोनों, जिनके साथ अमेरिका को रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने में कठिनाई हो रही है। मुझे लगता है कि यह विशेष रूप से दक्षिण अफ्रीका में लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

भारत ने रूस से खरीदा एस-400 मिसाइल प्रणाली

गौरतलब है कि अमेरिका की कड़ी आपत्तियों और बाइडन प्रशासन की ओर से प्रतिबंधों की धमकी के बावजूद भारत ने अपने फैसले में कोई भी बदलाव करने से इनकार कर दिया है और मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के साथ आगे बढ़ रहा है।

विदेश मंत्रालय ने नवंबर 2021 में कहा कि भारत एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है और इसके रक्षा अधिग्रहण उसके राष्ट्रीय सुरक्षा हितों द्वारा निर्देशित होते हैं। रूसी तेल के लिए भारत की जरूरत तब से बढ़ गई है जब से उसने छूट पर व्यापार करना शुरू किया।

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अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को मिलेगा ‘विश्व शांति पुरस्कार’

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिका में प्रदान किया जाएगा। इंडियन अमेरिकन माइनॉरटीज एसोसिएशन (एआइएएम) ने मैरीलैंड के स्लिगो सेवंथ डे एडवेंटिस्ट चर्च ने यह ऐलान किया है। यह एक गैर सरकारी संगठन है। यह कदम उठाने का मकसद अमेरिका में भारतीय अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के कल्याण को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें एकजुट करना है। पीएम मोदी को यह पुरस्कार विश्व शांति के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों और समाज को एकजुट करने के लिए दिया जाएगा।

इसी कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों का उत्थान करने के लिए वाशिंगटन में पीएम मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर ग्लोबल पीस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस पुरस्कार को वाशिंगटन एडवेंटिस्ट यूनिवर्सिटी और एआइएएम द्वारा संयुक्त रूप से दिया जाएगा। जिसका मकसद अस्पसंख्यकों के कल्याण के साथ उनका समावेशी विकास करना भी है।

जाने माने परोपकारी जसदीप सिंह एआइएम के संस्थापक और चेयरमैन नियुक्त किए गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को प्रोत्साहित करने के लिए 7 सदस्यीय बोर्ड डायरेक्टर भी हैं। इसमें बलजिंदर सिंह, डॉ. सुखपाल धनोआ (सिख), पवन बेजवाडा और एलिशा पुलिवार्ती (ईसाई), दीपक ठक्कर (हिंदू), जुनेद काजी (मुस्लिम) और भारतीय जुलाहे निस्सिम रिव्बेन शाल है।

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