उत्तर प्रदेश
सात स्तरीय सुरक्षा चक्रव्यूह से महाकुंभ को अभेद्य बनाएगी योगी सरकार
लखनऊ। प्रयागराज के संगम तट पट पर आयोजित होने वाले दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ को दिव्य और भव्य बनाने के लिए खुद इसकी तैयारियों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। महाकुंभ को अंतरराष्ट्रीय स्तर की बुनियादी सुविधाओं से परिपूर्ण करने के साथ ही सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी इसे अभेद्य बनाने के लिए रणनीतियां तैयार कर ली गई हैं। इस बार महाकुंभ में श्रद्धालुओं को सात स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के चक्रव्यूह से सुरक्षित किया जा रहा है, जिसमें 37 हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात होंगे। इसके साथ ही संपूर्ण मेला अवधि के दौरान 10 प्रकार के सुरक्षा ऑपरेशन भी चलाए जाएंगे।
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विशेष फोकस है। हाल ही में महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेने सीएम योगी ने खुद प्रयागराज का दौरा किया था, जहां उन्होंने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर आलाधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक कर तैयारी की समीक्षा की भी थी। सीएम ने हर स्तर पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर कड़े दिशा निर्देश दिए थे। सीएम योगी के निर्देश पर अधिकारियों ने महाकुंभ को सात स्तर की सुरक्षा व्यवस्था से लैस करने की तैयारी कर ली है, जिससे किसी भी अप्रिय घटना से न सिर्फ तुरंत निपटा जा सके बल्कि समय रहते किसी भी घटना टाला जा सके।
ये होंगे सुरक्षा के सात चक्र
पहला चक्र – मूल स्थल (प्वाइंट ऑफ ऑरीजन) पर चेकिंग
दूसरा चक्र – ट्रेन, बस और निजी वाहनों की चेकिंग
तीसरा चक्र – प्रदेश की सीमाओं पर व्यापक चेकिंग
चौथा चक्र – जोन की सीमाओं और टोल प्लाजा पर चेकिंग
पांचवा चक्र – प्रयागराज कमिश्नरेट की सीमा पर चेकिंग
छठा चक्र – मेला क्षेत्र आउटर में चेकिंग
सातवां चक्र – इनर व आइसोलेशन कार्डन पर चेकिंग
तैनात होंगे 37 हजार से अधिक पुलिसकर्मी
महाकुंभ 2025 में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं की सुरक्षा में कुल 37,611 पुलिसकर्मी रहेंगे मुस्तैद। जिनमें से महाकुंभ मेला क्षेत्र के लिए 22,953 पुलिस कर्मी, कमिश्नरेट के लिए 6887 और जीआरपी के 7771 पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी। वहीं महिला श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 1378 महिला पुलिसकर्मी तैनात रहेंगी।
पिछले कुंभों से ज्यादा तगड़ी रहेगी निगेहबानी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ 2025 की सुरक्षा के लिहाज से पिछले कुंभों की तुलना में अधिक सख्त बनाने के निर्देश पर इस बार बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती रहेगी। पुलिस के अलग-अलग विभागों की भागीदारी के लिहाज से 2013 के महाकुंभ के 22,998 पुलिसकर्मियों की तुलना में इस बार 14,713 पुलिसकर्मियों की तैनाती होगी। वहीं अर्धकुंभ 2019 की 27,550 पुलिसकर्मियों की तुलना में 10,061 अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी।
अलग-अलग इकाईयों की पुलिस जनशक्ति का विवरण
– नागरिक पुलिस- 18479
– महिला पुलिस- 1378
– यातायात पुलिस- 1405
– सशस्त्र पुलिस- 1158
– घुड़सवार पुलिस- 146
– परिवहन शाखा- 230
– एलआईयू- 510
– जल पुलिस- 340
– होमगार्ड्स- 13,965
इंटेलिजेंस यूनिट से मिलेगी पल पल की खूफिया रिपोर्ट
महाकुंभ 2025 सुरक्षा के लिहाज से श्रद्धालुओं को कोई असुविधा का सामना न करना पड़े और वो निर्भीक रूप से तीर्थयात्रा संपन्न कर सकें इसके लिए सुरक्षा की तगड़ी रणनीति तैयार की गई है। भीड़ प्रबंधन के साथ-साथ प्रयागराज पहुंचने वाले हर व्यक्ति की गतिविधियों पर सुरक्षाकर्मियों की नजर होगी। इसके लिए लोकल इंटेलिजेंस यूनिट्स के साथ पुलिसकर्मियों के अलग-अलग विभाग निरंतर संपर्क में रहेंगे। इसके लिए संपूर्ण मेला अवधि के दौरान 10 प्रकार के सुरक्षा ऑपरेशन भी चलाए जाएंगे, जिससे श्रद्धालुओं को हर कदम पर सुरक्षा का एहसास होता रहे। इसके लिए अभिसूचना आधारित एकीकृत नियंत्रण और कमान केंद्र (आईसीसीसी) के माध्यम से आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (एआई) युक्त सीसीटीवी कैमरों द्वारा फोटो, पहचान के चिह्न और टीएसपी (तकनीकी सेवा प्रदाता) के माध्यम से निगरानी की जाएगी।
उत्तर प्रदेश
महाकुंभ में कैलाश मानसरोवर शिविर का आयोजन, एनआरआई हरि गुप्ता करेंगे मानसरोवर से जुड़े रहस्यों का पर्दाफाश
महाकुंभ में एनआरआई हरि गुप्ता द्वारा कैलाश यात्रा शिविर कैलाश मानसरोवर से जुड़ी समस्याओं और रहस्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए महाकुंभ में एक शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें भारत और विदेश से कई मशहूर हस्तियों, अधिकारियों और सफल व्यवसायियों के शामिल होने की उम्मीद है। जिसमें चर्चित भारतीय फिल्म निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह मौजूद रहेंगे । दुष्यंत प्रताप सिंह अपने बेहतरीन निर्देशन के साथ – साथ पटकथा लेखन के लिए भी मशहूर हैं और साथ ही अमरजीत मिश्रा ट्रस्टी (दिव्य प्रेम सेवा मिशन) हरिद्वार और मशहूर व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर हलवासिया मौजूद रहेंगे। साथ ही सुधीर हलवासिया ने कहा कि कैलाश मानसरोवर शिविर हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देगा और उसमें सभी प्रकार से सहयोग करने की बात कही।
इस अवसर पर बॉलीवुड डायरेक्टर दुष्यंत प्रताप सिंह ने कहा कि किसी भी अन्य वासि भारतीयों द्वारा कैलाश मुक्ति अभियान के बैनर तले इतने बड़े अभियान का बीड़ा उठाना अपने आप में ही अद्भुत और बहुत साहस व लगन का विषय है और इस परिपेक्ष में सारे अन्य वासि भारतीयों को तकरीबन 15 से 20 अलग-अलग देशों के भारतीयों को एक झंडे तले लाना और अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए आध्यात्मिक विरासत के लिए भोलेनाथ शिव के लिए संघर्ष शुरू करना अपने आप में बहुत ही प्रेरणादायक है और हम लोग भी इस कार्य में जो भी योगदान हमारा हो सकता है वो हम लोग अपना योगदान दे रहे हैं हरि गुप्ता के साथ वहीं दिव्य प्रेम सेवा मिशन के ट्रस्टी अमरजीत मिश्रा जी ने कहा भारत एक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक देश के तौर पर वैश्विक रूप से सभी देशों का अगवा है और हरि गुप्ता जी ने यह जो प्रकल्प छेड़ा है l कैलाश मुक्ति अभियान वास्तव में ही बहुत प्रेरणादायक एवं एक अरुण संकल्प है और उन्होंने यह आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास व्यक्त किया की बहुत जल्द ही सभी भारतीयों को जो देश-विदेश पूरे विश्व में जहा जाएं उन्हें अपने आराध्य देव के दर्शन सुगम रूप से उपलब्ध हो सकें।
यह एक विडंबना है कि पिछले 5 सालों से भारतीय पासपोर्ट धारकों को मानसरोवर जाने की अनुमति नहीं है, जबकि अन्य देशों के नागरिक आसानी से वहां जा सकते हैं। किसी भी सरकार द्वारा किसी भी कारण से हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा को रोकना उचित नहीं है। यह हिंदू शिवभक्तों के मानवाधिकारों के बिल्कुल खिलाफ है। जबकि भारत सरकार ने 50 किलोमीटर दूर से कैलाश पर्वत को देखने के लिए कुछ मार्ग बनाए हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जैसे भोजन की थाली को देखना लेकिन उसे सूंघना, छूना, महसूस करना या खाना नहीं। जब भोजन को देखकर सामान्य भूख नहीं मिटती है l तो 50 किलोमीटर दूर से उसे देखने से आध्यात्मिक भूख कैसे मिटेगी।
भले ही यात्रा की अनुमति मिल गई हो, लेकिन वास्तविक यात्रा से भारतीय यात्रियों को कोई लाभ नहीं होगा। उन्हें अभी भी कैलाश की यात्रा के लिए नेपाल और उसके मागों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत से पिथौरागढ़ या सिक्किम के रास्ते बहुत लंबे और उबड़-खाबड़ रास्ते हैं। हरि गुप्ता दिल्ली से कैलाश के लिए सीधी चार्टर उड़ानें शुरू करने के इच्छुक हैं और एयरलाइन ऑपरेटरों से बातचीत कर रहे हैं। दिल्ली से कैलाश तक की केवल 500 किमी की उड़ान है।
आचार्य हरि गुप्ता विदेश में 30 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं और एक सफल व्यवसायी है। उन्होंने भोलेनाथ ने कई बार दर्शन किए हैं और कैलाश मुक्ति के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए मार्गदर्शन दिया है। वे इस अनुभव को भोलेनाथ की लीला के रूप में भी लिख रहे हैं। आचार्य हरि गुप्ता ने कहा कि कैलाश न केवल हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह सिख, जैन और बौद्धों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी।
पहले जैन गुरु ऋषभदेव जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी। आचार्य हरि गुप्ता को भोलेनाथ ने कई रहस्य बताए हैं जैसे पांच कैलाश हैं, जिनमें भोलेनाथ की अलग-अलग लीलाएं हैं। इनमें से एक मुख्य कैलाश वर्तमान में तिब्बत के अंतर्गत है, जो चीन के अंतर्गत आता है। उन्हें रहस्यमयी तरीके से कई लोगों से मिलने का मौका भी मिलता है, जिनमें से एक ने भगवान शिव के एक मंदिर के बारे में बताया है जो कैलाश के पास है और जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है।
यह अद्भुत शिव मंदिर पास के शहर में एक पहाड़ पर है और सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है। इसके एक तरफ पानी का झरना है। इसकी परिक्रमा के चारों ओर गहरी घाटी है। भक्तों को खीर का प्रसाद दिया जाता है जिसे चावल को सिर्फ़ इतना पकाकर मीठा किया जाता है कि वह मीठा हो जाए और उसमें कोई मीठा पदार्थ नहीं मिलाया जाता। आगंतुकों को कभी-कभी चार काले कुत्ते भी दिखाई देते हैं जिन्हें चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। मंदिर को हर साल पशुपति नाथ मंदिर से पहला एकमुखी रुद्राक्ष भी मिलता है जिस पर नेपाल के राजा का पहला अधिकार होता है।
कुछ साल पहले कैलाश की यात्रा करने वाले संजय जैन ने उन्हें मानसरोवर ताल के बारे में कुछ रहस्य भी बताए हैं। उन्होंने बताया कि मानसरोवर झील में कई पत्थर हैं जिन पर ओम, सांप या डमरू के प्राकृतिक निशान हैं। उन्होंने न केवल उन्हें अपनी आँखों से देखा है बल्कि उन्हें अपने साथ भी लाया है। सत्यापन के लिए दिल्ली में भी ऐसे दो पत्थर उपलब्ध हैं।
दूसरा रहस्य यह है कि मानसरोवर ताल के पास पक्षी किसी से भी भोजन ले लेते हैं जबकि राक्षस ताल के पास पक्षी कोई भी भोजन स्वीकार नहीं करते। यह जानकर आश्चर्य होता है कि यहाँ दो ताल हैं, एक में मीठा और साफ पानी है जबकि दूसरे में वह नहीं है। एक में लहरें हैं और दूसरे में नहीं। एक बर्फ में जम जाता है जबकि दूसरा नहीं। भोलेनाथ द्वारा दी गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंत र्दृष्टि यह है कि जब हम गूगल मैप को 180 डिग्री घुमाते हैं- तो हम झीलों के आकार को शिवलिंग और योनि के रूप में पहचान सकते हैं।
आचार्य हरि गुप्ता सभी संतों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए सांसदों को ईमेल के जरिए पत्र भी भेजे हैं। भोलेनाथ की प्रेरणा से उन्होंने जय कैलाश नाम से एक भजन भी लिखा है जिसमें भगवान शिव, कैलाश पर्वत और उसके महत्व के बारे में आसानी से बताया गया है। यह गीत Youtube.com/@JaiKailasha पर है। गौरतलब है कि 60 साल के अपने पूरे जीवन में उन्होंने शायद ही कभी संगीत सुना हो और कभी कोई कविता या गीत नहीं लिखा हो। आचार्य हरि गुप्ता इस उद्देश्य के लिए www.kailashmukti.com के नाम से एक वेबसाइट भी बना रहे हैं।
कैलाश आने वाले कई लोगों ने बताया है कि मानसरोवर और उसके आस-पास के स्थानों पर तीर्थयात्रियों के ठहरने, शौचालय, चिकित्सा और यात्रा के लिए शायद ही कोई सुविधा है। उनका इरादा तीर्थयात्रियों के लिए वहां भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का है और इसके लिए वे भारत और चीन सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। आचार्य हरि गुप्ता को पूरा विश्वास है कि यह काम जल्द ही पूरा हो जाएगा क्योंकि इस आंदोलन का मार्गदर्शन स्वयं भोलेनाथ कर रहे हैं। यह भोलेनाथ की ही कृपा है कि 4 महीने पहले एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया प्रयास अब करोड़ों लोगों तक पहुँच रहा है। वे सभी शिवभक्तों, मीडिया, अधिकारियों और राजनेताओं से अपील कर रहे हैं कि वे इस बारे में आवाज उठाएं और इसे जल्द से जल्द हल करने के लिए मिलकर काम करें ताकि शिवभक्त बिना किसी प्रतिबंध, भय या परेशानी के इस पवित्र स्थान की यात्रा करके अपने इष्ट देव की पूजा से आध्यात्मिक लाभ उठाएँ।
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