Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में 1.71 करोड़ रुपए से खेलकूद इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करेगी योगी सरकार

Published

on

Loading

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ग्रास रूट लेवल पर खेलों को बढ़ावा दे रही योगी सरकार अब महाविद्यालयों में खेलों का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर वहां भी खिलाड़ियों को तैयार करने में जुट गई है। इसके लिए सरकार ने मेजर ध्यानचंद मिशन के तहत राजकीय महाविद्यायलों में खेलकूद इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1.71 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है। इस राशि को 31 मार्च 2024 तक किया जाना अनिवार्य होगा। इस राशि से खेलकूद से संबंधित विभिन्न निर्माण कार्य कराए जाएंगे, ताकि महाविद्यालयों में आने वाले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण और विभिन्न प्रतियोगिताओं की तैयारियों के लिए कहीं अन्य जगह भटकना न पड़े।

प्रत्येक महाविद्यालय को मिलेंगे एक लाख रुपए

प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की मंशा के अनुरूप प्रदेश भर के राजकीय महाविद्यालयों में खिलाड़ियों को तैयार किए जाने की योजना है। साथ ही, पहले से जो खिलाड़ी महाविद्यालयों में अध्ययनरत हैं उन्हें खेल का इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है। इसी क्रम में शासन स्तर पर कुल 171 राजकीय महाविद्यालयों में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए प्राविधानित बजट 1.72 करोड़ के सापेक्ष 1.71 करोड़ की राशि जारी की जा रही है। इसके तहत प्रत्येक राजकीय महाविद्यालय को एक लाख रुपए मुहैया कराए जाएंगे, ताकि वो अपने यहां आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर सकें। इसके माध्यम से खिलाड़ी महाविद्यालय में अध्ययन के साथ-साथ अपने पसंदीदा खेलों में करियर बनाने की संभावनाओं को भी मूर्त रूप दे सकेंगे।

गुणवत्ता से नहीं होगा समझौता

मालूम हो कि महाविद्यालय इस राशि से खेल से संबंधित नए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर सकेंगे। इसमें विभिन्न खेलों से संबंधित कोर्ट, टर्फ आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि स्वीकृत की जा रही धनराशि निदेशक, उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश प्रयागराज द्वारा आरटीजीएस के माध्यम से निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग को उपलब्ध कराने में वित्त विभाग के द्वारा निर्धारित शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। इस राशि का उपयोग हर हाल में 31 मार्च 2024 तक किया जाना है। स्वीकृत राशि बैंक खाते में नहीं रखी जाएगी एवं इसका व्यय वित्तीय हस्तपुस्तिका के सुसंगत प्राविधानें एवं समय-समय पर शासन द्वारा निर्गत शासनादेशों के अनुरूप किया जाएगा। कार्यों का सम्यक परीक्षण नियमानुसार किया जाए एवं कार्य की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए, इसके संबंध में सभी राजकीय महाविद्यालयों को निर्देशित किया गया है।

उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

Published

on

Loading

लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

Continue Reading

Trending