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उप्र : कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों श्रद्घालुओं ने लगाई डुबकी

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लखनऊ/इलाहाबाद, 4 नवंबर (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में शनिवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अलग-अलग शहरों में लाखों श्रद्घालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। वाराणसी, कानपुर और इलाहाबाद में गंगा घाटों पर श्रद्घालुओं का मेला सा लग गया। इस मौके पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर शनिवार को कानपुर के गंगा घाटों पर श्रद्घा, आस्था और भक्ति का सैलाब उमड़ा। हर-हर गंगे की गूंज के बीच भक्तों ने गंगा में डुबकी लगाई। घर-घर महिलाओं ने पूजा-अर्चना की। बिठूर, सरसैया घाट, गंगा घाट, मैस्कर घाट समेत शहर के प्रमुख घाटों पर हरिद्वार की हरकी पैड़ी जैसा नजारा देखने को मिला।

सूर्योदय से पहले ही गंगा घाटों की ओर भक्तों के झुंड जाते दिखने लगे। भक्तों ने भोर में ही गंगा में डुबकी लगाकर घाट किनारे शिव, गंगा और अन्य देवी-देवताओं की पूजा की।

संगम नगरी इलाहाबाद में कार्तिक पूर्णिमा के स्नान पर्व के मौके पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर श्रद्घालुओं का सैलाब उड़ पड़ा। सुबह से श्रद्घालु संगम में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।

वाराणसी में भी सुबह से ही आसपास के जिलों के लोग गंगा स्नान के लिए भारी संख्या में पहुंचे।

इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्घालु संगम तट पर पूजा अर्चना के साथ ही दानपुण्य भी कर रहे हैं।

ऐसी मान्यता है कि कार्तिक मास के आखिरी स्नान पर्व कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान मात्र से ही सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है और पापों से भी मुक्ति मिलती है। इस मौके पर गंगा और यमुना नदियों में श्रद्घालु दीपदान भी करते हैं और कार्तिक पूर्णिमा को ही देव दीपावली का भी पर्व मनाया जाता है।

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नेशनल

बेंगलुरु में दस साल से शर्मा बनकर रह रहा था पाकिस्तानी परिवार, घर की दीवारों से खुला राज, गिरफ्तार

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बेंगलुरु। पिछले 10 साल से भारत में फर्जी पहचान के साथ रहने वाले 4 पाकिस्तानियों को 30 सितंबर को गिरफ्तार किया गया है। इनके असली नाम राशिद अली सिद्दीकी (47), आयशा (38), हानिफ मोहम्मद (73) और रुबीना (61) है। ये लोग राजपुरा गाँव में शंकर शर्मा, आशा रानी, राम बाबू शर्मा और रानी शर्मा नाम से रह रहे थे।

‘मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल जश्न-ए-युनूस’ घर की दीवारों पर लिखा था।

पुलिस ने खुफिया इनपुट्स के आधार पर इन्हें चेन्नई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया है। ये लोग ढाका से चन्नई एयरपोर्ट पर उतरे थे। जाँच के दौरान आव्रजन अधिकारियों ने इन्हें इनके फर्जी पासपोर्टों के साथ गिरफ्तार किया गया।पूछताछ में पहले इन्होंने बताया कि ये लोग शर्मा परिवार है और बेंगलुरु में 2018 से रह रहे हैं। इनके पास जो पहचान पत्र मिले उनमें भी हिंदू नाम दिखे। हालाँकि जब पुलिस छानबीन के लिए इनके घर गई तो इनके घर की दीवार पर बड़ा-बड़ा ‘मेहदी फाउंडेशन इंटरनेशनल जश्न-ए-युनूस’ लिखा था।

जब सिद्दीकी से सख्ती से पूछताछ हुई तो उसने मान लिया कि वो पाकिस्तानी है और कराची के लियायकतबाद के निवासी है। वहीं उसकी बीवी और उसका परिवार लाहौर का है। उसने बताया कि उसका निकाह आयशा से साल 2011 में ऑनलाइन हुआ था जब वो अपने माता पिता के साथ बांग्लादेश में रहती थी। बाद में राशिद को भी बांग्लादेश आना पड़ा क्योंकि पाकिस्तान मे उसका विरोध होने लगा था।

बांग्लादेश में उसने मेहदी फाउंडेशन में उलेमा का काम शुरू किया। जहाँ संस्था ही उसका सारा खर्चा उठाती थी। बाद में 2014 में भी सिद्दीकी पर हमला हुआ और तब उसे किसी परवेज नाम के शख्स ने भारत में अवैध रूप से एंट्री करा दी।

पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा

हकीकत खुलने के बाद पुलिस ने इन चारों की गिरफ्तारी कर ली है। मले को आईपीसी की धारा 420, 468, 471 के तहत और पासपोर्ट एक्ट की सुसंगत धाराओं के तहत दर्ज किया है।

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