प्रादेशिक
संभलः 275 करोड़ रुपये लागत की 62 विकास परियोजनाओं का सीएम योगी ने किया लोकार्पण व शिलांयास
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज जनपद सम्भल में 275 करोड़ रुपये लागत की 62 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। इन परियोजनाओें में विधान सभा क्षेत्र असमोली में 45.05 करोड़ रुपये के 132 के0वी0 विद्युत उपकेन्द्र कैला देवी परियोजना का शिलान्यास, जनपद में 36.91 करोड़ रुपये की लागत से 91 एकड़ भूमि पर बनने वाली रिजर्व पुलिस लाइन का शिलान्यास, विधानसभा क्षेत्र चंदौसी में नवीन मंडी स्थल चंदौसी परियोजना का लोकार्पण, पलथामिठनपुर में कृषि विज्ञान केंद्र के प्रशासनिक भवन का लोकार्पण भी शामिल हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को प्रमाण-पत्र एवं स्वीकृत-पत्र प्रदान किये।
मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि जनपद सम्भल के पर्यटन विकास के लिए कई योजनाएं बनायी गयी हैं। सम्भल स्थित मां कैला देवी का मन्दिर एक नयी आभा के साथ आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में उभरकर सामने आया है। उन्होंने जनपद सम्भल के पौराणिक और ऐतिहासिक अतीत का स्मरण करते हुए कहा कि अलग-अलग काल खण्डों में अलग-अलग नामांे से इस जनपद को जाना जाता रहा है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार विकास के सिद्धान्त पर चल रही है। विकास प्रत्येक नागरिक के जीवन में परिवर्तन लाएगा। इससे हर एक नागरिक के चेहरे पर खुशहाली आएगी। उन्होंने कहा कि जिस क्षेत्र में जिन नागरिक सुविधाओं बिजली, पानी, स्कूल, आंगनवाड़ी आदि की आवश्यकता होगी, उसे उपलब्ध कराया जाएगा। हम लोग उसी संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना काल खण्ड के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार जनता जनार्दन के प्रति समर्पित भाव से कार्य कर रही थी। कोरोना काल खण्ड के दौरान जनधन एकाउण्ट में धनराशि अंतरित करने, किसान सम्मान निधि देने, निराश्रित महिला पेंशन, दिव्यांगजन और वृद्धजन पेंशन देने, स्ट्रीट वेण्डर्स, ठेला, खोमचा, रेहड़ी लगाने वाले लोगों सहित प्रवासी कामगार और श्रमिकों को भरण-पोषण भत्ता देने का कार्य किया गया। निःशुल्क उपचार व चिकित्सा व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गयीं। संकट के समय गरीबों को मुफ्त राशन देने की भी व्यवस्था प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में की गयी। उन्होंने कहा कि गरीबों को आवास की सुविधा उपलब्ध हुई। बड़े पैमाने पर शौचालयों का निर्माण हुआ। गरीबों को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन, गैस कनेक्शन उपलब्ध कराये गये। आयुष्मान भारत योजना के तहत चिकित्सा सुविधा के लिए 05 लाख रुपये तक का बीमा कवर उपलब्ध कराया गया। निराश्रित गोवंश की सुरक्षा और देखभाल सुनिश्चित की गयी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बालिकाओं व महिलाओं की सुरक्षा, स्वाभिमान व स्वावलम्बन के लिए कई कार्यक्रम संचालित किये गये। पुलिस भर्तियों में पारदर्शिता, शुचिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की गयी। पुलिस में महिलाओं की भर्ती के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गयी। आज पुलिस बल में 30 हजार महिला आरक्षी तैनात हैं। मिशन शक्ति अभियान के तीसरा चरण संचालित है। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत बालिकाओं की शिक्षा व देखभाल के लिए 15,000 रुपये धनराशि की व्यवस्था की गयी है। इस योजना के तहत लगभग 10 लाख बालिकाएं लाभान्वित हुई हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना, निराश्रित महिला पेंशन योजना, दिव्यांगजन पेंशन योजना सहित सभी योजनाओं का लाभ पात्र लाभार्थियों को मिल रहा है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, प्रधानमंत्री मातृ वन्दना जैसी योजनाओं से महिलाओं को जोड़ा गया है। शांति और सौहार्द का वातावरण प्रदेश में सुनिश्चित हुआ है। अयोध्या में श्रीराम के भव्य मन्दिर का निर्माण हो रहा है। सभी पर्व और त्योहार शांति के साथ सफलतापूर्वक सम्पन्न हो रहे हैं। सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गयी। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जनपद के विकास के लिए सभी जनप्रतिनिधिगण मिलकर कार्य करें। विकास के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। आने वाले समय में प्रदेश के सभी 75 जनपदों में मेडिकल कॉलेज की उपलब्धता होगी। 59 जनपदों में मेडिकल कॉलेज बन चुके हैं या बनने की प्रक्रिया में शेष 16 जनपदों में पी0पी0पी0 मोड पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना की कार्यवाही की जा रही है। इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तर प्रदेश
महाकुंभ में कैलाश मानसरोवर शिविर का आयोजन, एनआरआई हरि गुप्ता करेंगे मानसरोवर से जुड़े रहस्यों का पर्दाफाश
महाकुंभ में एनआरआई हरि गुप्ता द्वारा कैलाश यात्रा शिविर कैलाश मानसरोवर से जुड़ी समस्याओं और रहस्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए महाकुंभ में एक शिविर का आयोजन किया गया है, जिसमें भारत और विदेश से कई मशहूर हस्तियों, अधिकारियों और सफल व्यवसायियों के शामिल होने की उम्मीद है। जिसमें चर्चित भारतीय फिल्म निर्देशक दुष्यंत प्रताप सिंह मौजूद रहेंगे । दुष्यंत प्रताप सिंह अपने बेहतरीन निर्देशन के साथ – साथ पटकथा लेखन के लिए भी मशहूर हैं और साथ ही अमरजीत मिश्रा ट्रस्टी (दिव्य प्रेम सेवा मिशन) हरिद्वार और मशहूर व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर हलवासिया मौजूद रहेंगे। साथ ही सुधीर हलवासिया ने कहा कि कैलाश मानसरोवर शिविर हमारी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देगा और उसमें सभी प्रकार से सहयोग करने की बात कही।
इस अवसर पर बॉलीवुड डायरेक्टर दुष्यंत प्रताप सिंह ने कहा कि किसी भी अन्य वासि भारतीयों द्वारा कैलाश मुक्ति अभियान के बैनर तले इतने बड़े अभियान का बीड़ा उठाना अपने आप में ही अद्भुत और बहुत साहस व लगन का विषय है और इस परिपेक्ष में सारे अन्य वासि भारतीयों को तकरीबन 15 से 20 अलग-अलग देशों के भारतीयों को एक झंडे तले लाना और अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए आध्यात्मिक विरासत के लिए भोलेनाथ शिव के लिए संघर्ष शुरू करना अपने आप में बहुत ही प्रेरणादायक है और हम लोग भी इस कार्य में जो भी योगदान हमारा हो सकता है वो हम लोग अपना योगदान दे रहे हैं हरि गुप्ता के साथ वहीं दिव्य प्रेम सेवा मिशन के ट्रस्टी अमरजीत मिश्रा जी ने कहा भारत एक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक देश के तौर पर वैश्विक रूप से सभी देशों का अगवा है और हरि गुप्ता जी ने यह जो प्रकल्प छेड़ा है l कैलाश मुक्ति अभियान वास्तव में ही बहुत प्रेरणादायक एवं एक अरुण संकल्प है और उन्होंने यह आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास व्यक्त किया की बहुत जल्द ही सभी भारतीयों को जो देश-विदेश पूरे विश्व में जहा जाएं उन्हें अपने आराध्य देव के दर्शन सुगम रूप से उपलब्ध हो सकें।
यह एक विडंबना है कि पिछले 5 सालों से भारतीय पासपोर्ट धारकों को मानसरोवर जाने की अनुमति नहीं है, जबकि अन्य देशों के नागरिक आसानी से वहां जा सकते हैं। किसी भी सरकार द्वारा किसी भी कारण से हिंदू धर्म की तीर्थयात्रा को रोकना उचित नहीं है। यह हिंदू शिवभक्तों के मानवाधिकारों के बिल्कुल खिलाफ है। जबकि भारत सरकार ने 50 किलोमीटर दूर से कैलाश पर्वत को देखने के लिए कुछ मार्ग बनाए हैं, लेकिन यह कुछ ऐसा है जैसे भोजन की थाली को देखना लेकिन उसे सूंघना, छूना, महसूस करना या खाना नहीं। जब भोजन को देखकर सामान्य भूख नहीं मिटती है l तो 50 किलोमीटर दूर से उसे देखने से आध्यात्मिक भूख कैसे मिटेगी।
भले ही यात्रा की अनुमति मिल गई हो, लेकिन वास्तविक यात्रा से भारतीय यात्रियों को कोई लाभ नहीं होगा। उन्हें अभी भी कैलाश की यात्रा के लिए नेपाल और उसके मागों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत से पिथौरागढ़ या सिक्किम के रास्ते बहुत लंबे और उबड़-खाबड़ रास्ते हैं। हरि गुप्ता दिल्ली से कैलाश के लिए सीधी चार्टर उड़ानें शुरू करने के इच्छुक हैं और एयरलाइन ऑपरेटरों से बातचीत कर रहे हैं। दिल्ली से कैलाश तक की केवल 500 किमी की उड़ान है।
आचार्य हरि गुप्ता विदेश में 30 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं और एक सफल व्यवसायी है। उन्होंने भोलेनाथ ने कई बार दर्शन किए हैं और कैलाश मुक्ति के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए मार्गदर्शन दिया है। वे इस अनुभव को भोलेनाथ की लीला के रूप में भी लिख रहे हैं। आचार्य हरि गुप्ता ने कहा कि कैलाश न केवल हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह सिख, जैन और बौद्धों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरु गुरुनानक जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी।
पहले जैन गुरु ऋषभदेव जी ने भी कैलाश की यात्रा की थी। आचार्य हरि गुप्ता को भोलेनाथ ने कई रहस्य बताए हैं जैसे पांच कैलाश हैं, जिनमें भोलेनाथ की अलग-अलग लीलाएं हैं। इनमें से एक मुख्य कैलाश वर्तमान में तिब्बत के अंतर्गत है, जो चीन के अंतर्गत आता है। उन्हें रहस्यमयी तरीके से कई लोगों से मिलने का मौका भी मिलता है, जिनमें से एक ने भगवान शिव के एक मंदिर के बारे में बताया है जो कैलाश के पास है और जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो, जिसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग उनके पास है।
यह अद्भुत शिव मंदिर पास के शहर में एक पहाड़ पर है और सीढ़ियाँ चढ़कर पहुँचा जा सकता है। इसके एक तरफ पानी का झरना है। इसकी परिक्रमा के चारों ओर गहरी घाटी है। भक्तों को खीर का प्रसाद दिया जाता है जिसे चावल को सिर्फ़ इतना पकाकर मीठा किया जाता है कि वह मीठा हो जाए और उसमें कोई मीठा पदार्थ नहीं मिलाया जाता। आगंतुकों को कभी-कभी चार काले कुत्ते भी दिखाई देते हैं जिन्हें चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। मंदिर को हर साल पशुपति नाथ मंदिर से पहला एकमुखी रुद्राक्ष भी मिलता है जिस पर नेपाल के राजा का पहला अधिकार होता है।
कुछ साल पहले कैलाश की यात्रा करने वाले संजय जैन ने उन्हें मानसरोवर ताल के बारे में कुछ रहस्य भी बताए हैं। उन्होंने बताया कि मानसरोवर झील में कई पत्थर हैं जिन पर ओम, सांप या डमरू के प्राकृतिक निशान हैं। उन्होंने न केवल उन्हें अपनी आँखों से देखा है बल्कि उन्हें अपने साथ भी लाया है। सत्यापन के लिए दिल्ली में भी ऐसे दो पत्थर उपलब्ध हैं।
दूसरा रहस्य यह है कि मानसरोवर ताल के पास पक्षी किसी से भी भोजन ले लेते हैं जबकि राक्षस ताल के पास पक्षी कोई भी भोजन स्वीकार नहीं करते। यह जानकर आश्चर्य होता है कि यहाँ दो ताल हैं, एक में मीठा और साफ पानी है जबकि दूसरे में वह नहीं है। एक में लहरें हैं और दूसरे में नहीं। एक बर्फ में जम जाता है जबकि दूसरा नहीं। भोलेनाथ द्वारा दी गई एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंत र्दृष्टि यह है कि जब हम गूगल मैप को 180 डिग्री घुमाते हैं- तो हम झीलों के आकार को शिवलिंग और योनि के रूप में पहचान सकते हैं।
आचार्य हरि गुप्ता सभी संतों से संपर्क कर रहे हैं और उन्हें इसके लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए सांसदों को ईमेल के जरिए पत्र भी भेजे हैं। भोलेनाथ की प्रेरणा से उन्होंने जय कैलाश नाम से एक भजन भी लिखा है जिसमें भगवान शिव, कैलाश पर्वत और उसके महत्व के बारे में आसानी से बताया गया है। यह गीत Youtube.com/@JaiKailasha पर है। गौरतलब है कि 60 साल के अपने पूरे जीवन में उन्होंने शायद ही कभी संगीत सुना हो और कभी कोई कविता या गीत नहीं लिखा हो। आचार्य हरि गुप्ता इस उद्देश्य के लिए www.kailashmukti.com के नाम से एक वेबसाइट भी बना रहे हैं।
कैलाश आने वाले कई लोगों ने बताया है कि मानसरोवर और उसके आस-पास के स्थानों पर तीर्थयात्रियों के ठहरने, शौचालय, चिकित्सा और यात्रा के लिए शायद ही कोई सुविधा है। उनका इरादा तीर्थयात्रियों के लिए वहां भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का है और इसके लिए वे भारत और चीन सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। आचार्य हरि गुप्ता को पूरा विश्वास है कि यह काम जल्द ही पूरा हो जाएगा क्योंकि इस आंदोलन का मार्गदर्शन स्वयं भोलेनाथ कर रहे हैं। यह भोलेनाथ की ही कृपा है कि 4 महीने पहले एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया प्रयास अब करोड़ों लोगों तक पहुँच रहा है। वे सभी शिवभक्तों, मीडिया, अधिकारियों और राजनेताओं से अपील कर रहे हैं कि वे इस बारे में आवाज उठाएं और इसे जल्द से जल्द हल करने के लिए मिलकर काम करें ताकि शिवभक्त बिना किसी प्रतिबंध, भय या परेशानी के इस पवित्र स्थान की यात्रा करके अपने इष्ट देव की पूजा से आध्यात्मिक लाभ उठाएँ।
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