नेशनल
राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार ब्रह्म कुमारी मुख्यालय जाएंगी द्रौपदी मुर्मू
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 11 सितंबर को माउंट आबू स्थित ब्रह्म कुमारी मुख्यालय का दौरा करेंगी। यहां वह संगठन के ग्लोबल समिट में एक सत्र को संबोधित करेंगी। राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद द्रौपदी मुर्मू पहली बार ब्रह्म कुमारी आश्रम का दौरा कर रही हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति बनने से पूर्व द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर स्थित ब्रह्म कुमारी आश्रम में सेवा करने के लिए अपनी तीनों बहनों के साथ जाया करती थीं। उनकी एक करीबी सहयोगी लीना बहन का कहना है कि यहां वह खाना परोसने से लेकर खुद के बर्तन साफ करने तक का काम करती थीं। इस सुदूर गांव से उनका जुड़ाव 2009 से 2013 तक चला।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ इस दौरे में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी होंगे। उनके साथ पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, राजस्थान और केंद्र सरकार के कई आईएएस अधिकारी और लंदन से आया ब्रह्म कुमारी का एक दल भी शामिल होगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आध्यात्मिक संगठन के साथ जुड़ाव 2009 से है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा वह हमारे पास तब आईं जब अपने बुरे दौर में थीं। इस जगह ने उन्हें दुनिया में अपना स्थान खोजने में मदद की। अधिकारी ने कहा कि 2009 के बाद से द्रौपदी मुर्मू ने ब्रह्म कुमारियों के दर्शन को फैलाने के लिए दूरदराज के आदिवासी गांवों में कई शिविर और कार्यक्रम आयोजित किए। उन्होंने इस संगठन को दो घर भी दान किए हैं।
हरियाणा की रहने वाली रत्ना बहन ने कहा, ”उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि जिस महिला को उन्होंने राज्यपाल के रूप में देखा वह एक दिन राष्ट्रपति के पद पर आसीन होगी। लगभग पांच या छह साल पहले उन्होंने माउंट आबू परिसर का दौरा किया था। उस दौरान हमारी सिर्फ ओम शांति के जरिए ही बात हुई। वह काफी जमीनी लग रही थीं। उन्होंने कॉमन डाइनिंग हॉल में सबके साथ लंच भी किया।
ब्रह्मकुमारियों के दर्शन को अपने जीवन के 55 वर्ष देने वाले पचहत्तर वर्षीय आरएस सिंह ने कहा कि मुर्मू संगठन में तब आईं जब उन्होंने खुद को खोया हुआ महसूस किया। वह अपने भीतर कुछ खोज रही थीं और उन्होंने उसे यहां पाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी इस संस्था से जुड़ाव रहा है। उनके अलावा कई प्रमुख राजनीतिक, धार्मिक और उद्योग जगत के दिग्गजों का इस संस्था से लगाव रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल, मदर टेरेसा, दलाई लामा और अभिनेता अमिताभ बच्चन जैसे लोग भी यहां पहुंचे हैं। उद्योग जगत से दिग्गज और विराज समूह के अध्यक्ष नीरज कोचर भी महामारी के दौरान खुद को एक सदस्य के रूप में इस संस्था से जोड़ा।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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