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उत्तर प्रदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने संगम नोज में कुम्भ कलश का किया कुम्भाभिषेक

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महाकुम्भ नगर। प्रयागराज महाकुम्भ के आयोजन से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को त्रिवेणी संगम में पूजा अर्चना कर 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुम्भ के सफल आयोजन की कामना की। इस दौरान पीएम मोदी ने कुम्भ कलश का भी कुम्भाभिषेक किया। यह कुम्भ कलश रत्नजड़ित है और अष्टधातु का बना हुआ है।

पीएम के पास भेजा जाएगा कुम्भ कलश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को महाकुम्भ नगर पहुंचे। इस दौरान त्रिवेणी पूजन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुम्भ कलश का कुम्भाभिषेक भी किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस कुम्भ कलश की पूजा की, वह रत्न जड़ित है। गंगा पूजन कराने आए तीर्थ पुरोहित दीपू तिवारी ने बताया कि प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने मोतियों से सजे इस अष्ठधातु से निर्मित इस कुम्भ कलश को अमृत रूपी कलश बनाने के लिए इसमें आम का पत्ता और नारियल भी रखा है। इसके साथ ही इसमें गऊशाला, तीर्थस्थलों की मिट्टी रखी गई। इसमें गंगाजल, पंचरत्न, दुर्बा, सुपारी, हल्दी रखी भी रखी गई। पीएम के पास इस कुम्भ कलश को भेजा जा रहा है।

संतों ने दिया आशीर्वाद, बोले- महाकुंभ दिव्य और भव्य होगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिवेणी पूजन से पहले साधु संतो से भी मुलाकात की। सभी 13 अखाड़ों से दो-दो प्रतिनिधि संगम नोज में आमंत्रित किए गए। इसके अलावा दंडी बाड़ा, आचार्य बाड़ा और खाक चौक व्यवस्था समिति से भी दो दो संत शामिल हुए। श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी की तरफ से पीएम से मुलाकात के कार्यक्रम में शामिल हुए सचिव महंत जमुना पुरी का कहना है कि त्रिवेणी पूजन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी अखाड़े के साधु संतों से मुलाकात की। सबके हाल समाचार पूछे। कुशल क्षेम पूछने के बाद राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए प्रार्थना की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने खुद ही सभी संतो का परिचय कराया।
कार्यकम में शामिल हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के सचिव आचार्य देवेंद्र सिंह शास्त्री का कहना है कि प्रधानमंत्री ने संतों से मुलाकात कर कहा कि सभी आशीर्वाद दीजिए कि मेला दिव्य और भव्य हो। संतो ने उन्हें आशीर्वाद दिया।

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महाकुम्भ आपको बुला रहा है, सरकार दिल खोलकर स्वागत कर रही है

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महाकुम्भ नगर। तीरथ राज प्रयाग में गंगा, यमुना और अदृश्य त्रिवेणी के महाकुम्भ के बारे में सिर्फ इतना ही कहा जा सकता। खुद में यह अद्भुत, अविस्मरणीय और अकल्पनीय है। यहां सिर्फ दो नदियों का पवित्र संगम ही नहीं, अध्यात्म और विज्ञान का भी संगम है। भारत की विराट संस्कृति और बेहद संपन्न धर्म एवं अध्यात्म का जीवंत स्वरूप है वैश्विक समागम के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज के महाकुम्भ का। महाकुम्भ देश की विविधता को एकता में बांधने का सबसे बड़ा आयोजन है। यहां धर्म,कर्म अध्यात्म,भक्ति, उपासना, दर्शन सब कुछ है। साथ ही इस सबका अद्भुत समावेश भी। महाकुम्भ अपनी सनातन परंपरा वसुधैव कुटुम्बक का उदघोष है।

वैश्विक है मानवता के सबसे बड़े संगम महाकुम्भ का स्वरूप

यहां उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक पूरा भारत मौजूद है। सिर्फ भारत ही क्या संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, रूस, फिजी, मॉरीशस, ट्रिनिडाड, टोबेको, फिजी, फिनलैंड, गुयाना, मलेशिया सिंगापुर, आइसलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, ग्रीस दुबई सब कुछ है। इसके इसी विशालता के कारण 2017 यूनेस्को ने कुंभ मानवता के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिया। यूनेस्को की मान्यता योगी की ब्रांडिंग और कुंभ 2019 के सफल आयोजन से वैश्विक आकर्षण का और बड़ा केंद्र हो गया।

महाकुम्भ की सफलता एक सन्यासी का संकल्प

उल्लेखनीय है कि 2017 में ही प्रदेश को योगी आदित्यनाथ के रूप में एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला जो मूलतः सन्यासी हैं। वह गोरखपुर स्थित उत्तर भारत की प्रमुख पीठ गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं। स्वाभाविक है धर्म, आध्यात्म और योग उनके रुचि के विषय हैं। इसकी वजह से उन्होंने 2019 के कुंभ के सफल आयोजन को मिशन बना लिया। आयोजन सफल भी रहा। अब जब 2025 में महाकुम्भ का आयोजन चल रहा है तब योगी और भी शिद्दत से इसके आयोजन में लगे हैं। उन्होंने कुंभ को तकनीक के इस युग में डिजिटल बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। सुरक्षा और सफाई शुरू से उनकी प्रतिबद्धता रही है। वह इस आयोजन में भी दिख रही है।

गंगा की रेती पर बसा है एक संसार

गंगा की रेती पर कुछ दिन के लिए ही सही पूरा संसार बसा है। ऐसा संसार जिसमें सबके रहने और खाने का इंतजाम है। रात होते ही रेती पर जगमग तंबुओं के यह संसार झक रोशनी से और निखर जाता है। जगह धर्म, अध्यात्म और भक्ति की गंगा प्रवाहित होने लगती है। तड़के पवित्र संगम या मोक्षदायिनी, पापनाशिनी गंगा में डुबकी लगाने वाले हाथ जोड़े, श्रद्धा से सिर झुकाए धर्म और अध्यात्म के इस संगम में गोता लगाते हैं। अपलक आंखों से उनको देख किसी फिल्म का यह गीत बरबस याद जाता है,”अभी न जाओ छोड़ के कि दिल अभी भरा नहीं।

महाकुम्भ आपको बुला रहा है, सरकार दिल खोलकर स्वागत कर रही है

जन मन का यह आयोजन आपको भी बुला रहा है। जरूर जाइए। आप देखेंगे कि यहां किसी से भेद नहीं होता। यहां लोगों के ललाट पर लगे चंदन के बीच के टीकों को देखिए। इन पर निज श्रद्धा के अनुसार राधे राधे, जय श्रीराम, हर हर महादेव, हर हर गंगे, राधा कृष्ण सब मिल जाएगा। महाकुम्भ में आने वाले सबका एक ही मकसद है। पावन संगम में डुबकी लगाकर पापमुक्त होने और मोक्ष का। कुछ स्नान करने आ रहे हैं तो अगले को बिना पूछे बता रहे हैं कि आपको कहां कैसे जाना है। कुछ जिनको अभी स्नान करना है, वह संगम का पता पूछ रहे है। बताने वाला पूरे इत्मीनान से उनको बता भी रहा है। यहां के धार्मिक और आध्यात्मिक वातावरण में शांति है, सकून है और तीरथराज की ऊर्जा भी। खुद के साथ लोककल्याण की भावना भी। अपनी सनातन परंपरा वसुधैव कुटुम्बक के अनुरूप। गंगा की हिलोरें लेती धारा यमुना की अगाध जलराशि आपको पुण्य की डुबकी लेने को आमंत्रित करती हैं। इधर रेती में तंबूओं में बसा मनुष्यों का सैलाब संगम में समाने को आतुर रहता है। इस अहसास की कल्पना वही कर सकता जिसने कुंभ को देखा हो। उसकी भावनाओं को आत्मसात किया हो। यह करने के लिए प्रयागराज का यह महाकुम्भ अब भी आपको बुला रहा है। योगी सरकार भी आपके स्वागत सत्कार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने को आमादा है।

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