प्रादेशिक
मुरादनगर हादसा: पीड़ित परिवारों को मिलेगा शासन की योजनाओं का लाभ, बच्चों की स्कूल फीस माफ़
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुरादनगर शमशान घाट हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को हर संभव सहायता उपलब्ध कराए जाने के निर्देश प्रशासन को दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से प्रत्येक मृतक परिवार को 10-10 लाख रुपए दिये जाने की घोषणा की है।
डीएम के निर्देश पर जिला विकास अधिकारी के नेतृत्व में टीम गठित कर हादसा पीड़ित परिवारों का सर्वे कराया जा रहा है। साथ ही शासन की समस्त कल्याणकारी योजनाओं में पात्रता के अनुसार लाभ दिलाये जाने की कार्रवाई भी शुरू हो गई है।
जिला विकास अधिकारी गाजियाबाद ने मंगलवार को मुरादनगर क्षेत्र के कुल 18 परिवारों में से 12 परिवारों का सर्वे किया। पीड़ित परिवारों को शासन की विक्लांग योजना, पारिवारिक योजना, विधवा पेंशन योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, कृषक छात्र वित्तीय योजना आदि में पात्रता के अनुसार लाभ दिलाए जाने की कार्रवाई शुरू हो गई है।
प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवार के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराए जाने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया है। जो मृतक परिवारों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा ग्रहण कराये जाने तथा घायल परिवारों के बच्चों की फीस माफ कराने का काम कर रही है। शिक्षा विभाग की टीम द्वारा अभी तक 13 परिवारों का सर्वे किया जा चुका है। सर्वे के आधार पर पीड़ित परिवारों के बच्चों को स्कॉलरशिप दिलाए जाने की कार्रवाई हो रही है।
उत्तर प्रदेश
टीबी नोटिफिकेशन में इस साल भी सबसे आगे योगी सरकार, लक्ष्य के करीब पहुंचा उत्तर प्रदेश
लखनऊ | योगी सरकार ने ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के मरीजों की पहचान कर इलाज करने में एक बार फिर बड़ी सफलता हासिल की है। योगी सरकार ने पिछले वर्ष की तरह इस वित्तीय वर्ष में भी उत्तर प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य में अन्य प्रदेशों की तुलना में आगे चलने का कीर्तिमान दर्ज किया है। योगी सरकार को इस साल 6.5 लाख मरीजों के चिन्हिकरण का लक्ष्य मिला था। अक्तूबर माह की समाप्ति तक लक्ष्य के सापेक्ष 86 प्रतिशत मरीजों की पहचान कर देश में पहले स्थान पर है जबकि दूसरे स्थान पर महराष्ट्र है, जहां पर 1,85,765 मरीजों का नोटिफिकेशन किया गया। इसी तरह बिहार तीसरे स्थान पर है, जहां 1,67,161 मरीजों का नोटिफिकेशन किया गया है। यानी इस साल भी बीते साल की तरह प्रदेश लक्ष्य से ऊपर टीबी नोटिफिकेशन कर लेगा।
लखनऊ, गोरखपुर में सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को नोटिफिकेशन रहा बराबर
विशेषज्ञों का मानना है कि देश-प्रदेश से टीबी उन्मूलन का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा मरीजों का चिन्हिकरण व इलाज किया जाए। इसी के मद्देनजर केंद्रीय टीबी डिवीजन ने सभी प्रदेशों को साल की शुरुआत में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य तय किया था। उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख मरीज खोजने का लक्ष्य दिया गया था। बीते साल यह 5.5 लाख का था। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 अक्तूबर तक प्रदेश में पांच लाख 59 हजार टीबी मरीजों की पहचान की जा चुकी है। इसमें प्राइवेट डाॅक्टरों की भूमिका भी सराहनीय रही है। दो लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान यानी तकरीबन 40 प्रतिशत मरीज प्राइवेट डाॅक्टरों के माध्यम से पंजीकृत हुए हैं। आगरा, मथुरा, झांसी, कानपुर, मेरठ व मुरादाबाद में तो प्राइवेट डाक्टरों ने सरकारी डाॅक्टरों से भी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है। लखनऊ, गोरखपुर व बरेली में सरकारी व प्राइवेट नोटिफिकेशन बराबर का रहा है।
बीते साल भी प्रदेश ने लक्ष्य के सापेक्ष 115 प्रतिशत किया था टीबी नोटिफिकेशन
राज्य टीबी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने बताया कि सीएम योगी मंशा के अनुरुप वर्ष 2025 तक प्रदेश को टीबी मुक्त करने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है। इसी का नजीजा है कि इस वर्ष भी प्रदेश टीबी नोटिफिकेशन में अन्य प्रदेशों की तुलना में आगे चल रहा है। काबिले गौर है कि केंद्र द्वारा दिए गए इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग द्वारा तरह-तरह के प्रयास किए गए हैं। इनमें हर माह की 15 तारीख को एकीकृत निक्षय दिवस, एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान व दस्तक अभियान का बार-बार चलाया जाना प्रमुख है। यही कारण है कि बीते साल भी प्रदेश ने लक्ष्य के सापेक्ष 115 प्रतिशत टीबी नोटिफिकेशन किया था। वर्ष 2023 में टीबी नोटिफिकेशन का लक्ष्य 5.5 लाख था जिसके सापेक्ष प्रदेश ने 6.33 लाख मरीज खोजे थे।
यहां प्राइवेट नोटिफिकेशन बढ़ने की जरूरत
टीबी उन्मूलन के लिए प्रदेश में ज्यादातर जनपदों में प्राइवेट डाक्टर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं लेकिन कुछ जनपद ऐसे भी हैं जहां प्राइवेट नोटिफिकेशन बहुत कम हो रहा है। जैसे श्रावस्ती में इस साल सिर्फ 38 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इसके अलावा महोबा में सिर्फ 215, संतरवीदास नगर में 271, हमीरपुर में 277, कन्नौज में 293, सोनभद्र में 297, चित्रकूट में 312, सुलतानपुर में 370, अमेठी में 392 और कानपुर देहात में सिर्फ 395 प्राइवेट नोटिफिकेशन हुए हैं। इन जनपदों में प्राइवेट डाक्टरों की प्रतिभागिता बढ़े जाने की जरूरत है।
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