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उत्तर प्रदेश

नेशनल स्पेस डे पर ‘भारत की अंतरिक्ष गाथा’ से रूबरू हुए प्रदेश के 1.32 लाख नौनिहाल

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लखनऊ। योगी सरकार ने प्रदेश के सभी परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को ‘अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ के प्रति आकर्षित कराने का निर्णय लेते हुए स्कूली बच्चों के लिए नेशनल स्पेस डे पर विशेष आयोजन किया। ‘टचिंग लाइव्स ह्वाइल टचिंग द मून: इंडियाज स्पेस सागा’ थीम पर शुक्रवार को नेशनल स्पेस डे के अवसर पर बच्चों को अंतरिक्ष के रहस्यों से रूबरू कराया गया। इस दौरान प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों सहित उच्च प्राथमिक, कंपोजिट और केजीबी विद्यालयों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश के 1.32 लाख नौनिहालों ने हिस्सा लिया।

बता दें कि 23 अगस्त 2023 को भारत ने विश्व को अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं से परिचित कराया था। यह अब पहला अवसर रहा, जब भारत में ‘नेशनल स्पेस-डे’ मनाया गया। इस दिन चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर के अवतरण और प्रज्ञान रोवर के परिनियोजन से चंद्रयान-3 की सफलता के साथ भारत, चन्द्रमा पर उतरने वाला विश्व का चौथा और चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के समीप उतरने वाला पहला देश बन गया था।

विद्यालयों में हुईं विभिन्न गतिविधियां- व्याख्यान

‘चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा’ विषय पर मनाये जा रहे ‘नेशनल स्पेस-डे’ के अवसर पर परिषदीय विद्यालयों में अनेक प्रतियोगिताएं हुईं। बच्चों ने कला के माध्यम से चंद्रयान-3 और इसरो से जुड़ी तस्वीरें उकेरी तो कुछ छात्र-छात्राओं ने अंतरिक्ष से जुड़े चाँद तारों का चित्र बनाया। इस दौरान अनेक सत्र चके जिनमें शिक्षकों ने बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान के रहस्यों से परिचिय कराया और विभिन्न प्रकार की जानकारी दी। गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति जागरूक करने की दिशा में शिक्षकों ने पूरी तन्मयता दिखाई। बच्चों को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के महत्व के बारे में भी बताया गया। इस दौरान इसरो की अंतरिक्ष उपलब्धियों (जैसे आदित्य, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी) पर आधारित विशेष कक्षाएं संचालित हुईं। कार्यशालाएं चलीं और प्रदर्शनी व व्याख्यान आदि के सत्र भी चलाये हये। चंद्रयान मॉड्‌यूल के आधार पर एनसीईआरटी, नई दिल्ली द्वारा 30 मिनट का विशेष वीडियो फिल्म भी बच्चों को दिखाया गया। वहीं इस दौरान दीक्षा, निष्ठा ऐप और पीएमआई विद्या चैनल पर उपलब्ध ऑडियो-विजुअल सामग्रियों का भी उपयोग किया गया। विशेष आमंत्री के रूप में समाज के विशिष्ट व्यक्तियों को बुलाकर अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित संवाद भी स्थापित किया गया।

कोट

इस संबंध में बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने बताया कि परिषदीय बच्चों को विशेष दिवसों पर आधुनिक और सम-सामायिक ज्ञान दिया जाता है। नेशनल स्पेस-डे पर बच्चों को ‘अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ के प्रति आकर्षित करना भी ऐसा ही एक प्रयास है। इस दौरान प्रदेश के नौनिहालों में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने को लेकर विभिन्न कार्यक्रम और ऑडियो-वीडियो माध्यम से नवीन और रुचिकर जानकारियां प्रदान की गईं।

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उत्तर प्रदेश

योगी सरकार टीबी रोगियों के करीबियों की हर तीन माह में कराएगी जांच

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लखनऊ |  योगी सरकार ने टीबी रोगियों के संपर्क में रहने वाले व्यक्तियों एवं पूर्व टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया है। यह स्क्रीनिंग हर तीन महीने पर होगी। वहीं साल के खत्म होने में 42 दिन शेष हैं, ऐसे में वर्ष के अंत तक हर जिलों को प्रिजेंम्टिव टीबी परीक्षण दर के कम से कम तीन हजार के लक्ष्य को हासिल करने के निर्देश दिये हैं। इसको लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने सभी जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।

लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को किया जा रहा और अधिक सुदृढ़

प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे मेें टीबी रोगियों की युद्धस्तर पर स्क्रीनिंग की जा रही है। इसी क्रम में सभी डीटीओ डेटा की नियमित माॅनीटरिंग और कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य टीबी मामलों, उससे होने वाली मौतों में कमी लाना और टीबी रोगियों के लिए परिणामों में सुधार करना है। ऐसे में इस दिशा में प्रदेश भर में काफी तेजी से काम हो रहा है। इसी का परिणाम है कि इस साल अब तक प्रदेश में टीबी रोगियों का सर्वाधिक नोटिफिकेशन हुआ है। तय समय पर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीति को और अधिक सुदृढ़ किया गया है।

कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग से टीबी मरीजों की तेजी से होगी पहचान

राज्य क्षय रोग अधिकारी डाॅ. शैलेन्द्र भटनागर ने बताया कि टीबी के संभावित लक्षण वाले रोगियों की कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग को बढ़ाते हुए फेफड़ों की टीबी (पल्मोनरी टीबी) से संक्रमित सभी लोगों के परिवार के सदस्यों और कार्यस्थल पर लोगों की बलगम की जांच को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग और स्क्रीनिंग जितनी ज्यादा होगी, उतने ही अधिक संख्या में टीबी मरीजों की पहचान हो पाएगी और उनका इलाज शुरू हो पाएगा। इसी क्रम में उच्च जोखिम वाले लोगों जैसे 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, डायबिटीज रोगियों, धूम्रपान एवं नशा करने वाले व्यक्तियों, 18 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले व्यक्तियों, एचआईवी ग्रसित व्यक्तियों और वर्तमान में टीबी का इलाज करा रहे रोगियों के सम्पर्क में आए व्यक्तियों की हर तीन माह में टीबी की स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये गये हैं।

हर माह जिलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेने के निर्देश

टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए नैट मशीनों का वितरण सभी ब्लाॅकों पर टीबी की जांच को ध्यान रखने में रखते हुए करने के निर्देश दिये गये हैं। साथ ही उन टीबी इकाइयों की पहचान करने जो आशा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं उनमें सुधार करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया गया है। क्षेत्रीय टीबी कार्यक्रम प्रबन्धन इकाई (आरटीपीएमयू) द्वारा हर माह में जनपदों का भ्रमण करते हुए वहां की स्थिति का जायजा लेने के भी निर्देश दिए हैं।

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