अन्तर्राष्ट्रीय
इजरायल पर हमला दुनिया के लिए सबक- हमास की तारीफ कर बोला हिजबुल्ला
तेल अवीव। इजरायल और हमास के बीच जंग चल रही है। हमास ने कल शनिवार को अचानक इजरायल पर हमला बोल दिया। हमास के इस हमले का लेबनान के शिया राजनीतिक व अर्द्धसैनिक संगठन हिजबुल्ला ने समर्थन करते हुए इसे एक वीरतापूर्ण ऑपरेशन बताया।
हमले का महिमामंडन करते हुए हिजबुल्ला ने कहा कि यह हमला इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की मांग करने वाले अरब देशों के लिए एक संदेश है। हिजबुल्ला ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा कि वह स्थिति पर करीब से नजर बनाए हैं और इस हमास नेतृत्व के साथ संपर्क में हैं।
हिजबुल्ला ने यह भी कहा कि हमास का ऑपरेशन अरब और मुस्लिम दुनिया समेत पूरे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय खासकर वह लोग जो इजरायल से सामान्य संबंधों की वकालत करते हैं उनके लिए सबक है।
इजरायल पर यह हमला एक ऐसे समय में हुआ है, जब सऊदी अरब और अमेरिका सैन्य समझौता करने वाले थे। इसके बदले में इजरायल के साथ सऊदी अरब संबंधों को सामान्य करता। सऊदी ने कहा था कि अगर इजरायल फिलिस्तीनियों को रियायत नहीं देता तो कोई समझौता नहीं होगा।
सऊदी-अमेरिका के बीच होगी डील?
इजरायल और सऊदी अरब लंबे समय से विरोधी हैं, लेकिन अमेरिका अब इन दोनों के संबंधों को सुधारना चाहता है। अगर यह डील हो जाती है तो अरब देशों में एक बड़ा बदलाव आएगा। बाइडेन के लिए यह 2024 के चुनाव से पहले एक बड़ी डिप्लोमैटिक जीत होगी। फिलिस्तीनियों को कुछ इजरायली प्रतिबंधों से ढील मिल सकती है, लेकिन एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह फिलिस्तीन के एक देश की मांग को कमजोर करेगा। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सऊदी फिलिस्तीन से ज्यादा अपना फायदा देख रहा है।
इजरायल ने किया युद्ध का ऐलान
हमास के हमले के बाद इजरायल ने युद्ध की घोषणा कर दी है। इजरायल ने कहा है कि हम इस समय युद्ध में हैं। हिजबुल्ला ने हमला करने वाले लोगों को बधाई दी। इससे पहले इजरायल 2006 में हिजबुल्ला के साथ युद्ध में उतरा था। तब 34 दिन का युद्ध चला था। 1200 से ज्यादा लोग लेबनान में मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर आम नागरिक थे। वहीं इजरायल में 160 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर सैनिक थे। हिजबुल्ला ने एक बयान में कहा कि हमास का हमला वर्षों से इजरायल के अपराधों का परिणाम है।
क्या है लेबनान का हिजबुल्ला?
हिज़्बुल्ला लेबनान का एक शिया राजनीतिक और अर्द्धसैनिक संगठन है। हिजबुल्ला लेबनान के नागरिक युद्ध के दौरान स्थापित किया गया था। हिजबुल्ला के नेता हसन नसरूल्लाह है। 1982 में इजराइल ने जब दक्षिणी लेबनान पर आक्रमण किया था तब हिज़्बुल्ला संगठन अस्तित्व में आया था (आधिकारिक रूप से 1985 में) । इस संगठन को ईरान और सीरिया का समर्थन प्राप्त था।
हिजबुल्ला की स्थापना 1982 के लेबनान युद्ध के बाद नजफ़ में अध्ययन करने वाले लेबनानी मौलवियों द्वारा की गई थी। इसने 1979 में ईरानी क्रांति के बाद अयातुल्ला खुमैनी द्वारा निर्धारित मॉडल को अपनाया और पार्टी के संस्थापकों ने खुमैनी द्वारा चुने गए नाम के रूप में “हिजबुल्ला” को अपनाया।
अन्तर्राष्ट्रीय
देश छोड़कर भागने वाले असद की मुश्किलें बढ़ी, पत्नी अस्मा अल-असद ने अदालत में तलाक के लिए दी अर्जी
सीरिया। सीरिया में छिड़े गृहयुद्ध के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर रूस भाग गए। देश छोड़कर भागने वाले असद की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक असद की ब्रिटिश पत्नी अस्मा अल-असद ने रूस की अदालत में तलाक के लिए अर्जी दी है। तुर्की और अरब मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक अस्मा अल असद मॉस्को में खुश नहीं हैं और वो अब लंदन जाना चाहती हैं। बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बशर अल असद के परिवार को अपने देश में राजनीतिक शरण दी है।
25 साल की अस्मा से हुई थी असद की शादी
बशर अल-असद की पत्नी अस्मा अल असद ने रूस के कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की है और मॉस्को छोड़ने के लिए विशेष अनुमति का अनुरोध किया है। उनके दिए गए आवेदन पर रूसी अधिकारियों द्वारा विचार किया जा रहा है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अस्मा के पास ब्रिटेन और सीरिया की दोहरी नागरिकता है। अस्मा का घर लंदन में है जहां सीरियाई माता-पिता के यहां उनका जन्म हुआ था। अस्मा साल 2000 में सीरिया चली गईं थीं। साल 2000 में ही उनकी शादी बशर अल असद से हुई थी। उस वक्त अस्मा की उम्र 25 साल थी।
रूस में असद पर लगाए गए हैं गंभीर प्रतिबंध
अपना देश छोड़कर भागे सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल असद को भले ही रूस ने राजनीतिक शरण दिया था, लेकिन रूस में उनपर गंभीर प्रतिबंध लगाए गए हैं। असद को मॉस्को छोड़ने या किसी भी राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति नहीं है। जानकारी के मुताबिक रूसी अधिकारियों ने बशर अल-असद की संपत्ति और पैसा भी जब्त कर लिया है। असद सीरिया छोड़ते वक्त 270 किलोग्राम सोना लेकर आए थे। उनकी संपत्ति में 2 अरब डॉलर और मॉस्को में 18 अपार्टमेंट शामिल हैं।
असद के भाई को रूस में नहीं मिली है शरण
सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के भाई, माहेर अल-असद को रूस ने अपने देश में शरण नहीं दी है। उन्हें शरण देने के अनुरोध की अब भी समीक्षा की जा रही है। जानकारीा के मुताबिक असद के भाई माहेर और उनका परिवार रूस में ही नजरबंद हैं।
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