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बालासोर ट्रेन हादसा: अब तक 238 की मौत, स्थानीय लोगों ने देवदूत बनकर की मदद  

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Balasore train accident

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नई दिल्ली/बालासोर। ओडिशा के बालासोर जिले के बहानागा रेलवे स्टेशन के पास शुक्रवार को बड़ा ट्रेन हादसा हो गया। स्टेशन के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस (12841-अप), बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी आपस में भिड़ गई। मिली जानकारी के मुताबिक, ओडिशा में तीन ट्रेनें दुर्घटनाग्रस्त हो गई हैं।

इस हादसे में अब तक 238 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 650 लोगों के घायल होने की जानकारी है। राहत एवं बचाव कार्य जारी है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी शनिवार की सुबह दुर्घटनास्थल पर पहुंचे।

रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे, NDRF, SDRF की टीम बचाव कार्य में जुटी है। फिलहाल, हमारा ध्यान बचाव कार्य पर है। राहत और बचाव कार्य खत्म होने के बाद ही बहाली का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। पहले से ही बहाली के लिए मशीनें तैनात हैं।

बेंगलुरु से हावड़ा जा रही एक्सप्रेस के साथ कोरोमंडल एक्सप्रेस की टक्कर हुई। खड़गपुर डीआरएम ने इसकी पुष्टि की है। पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस बेपटरी हुई थी, जिससे बेंगलुरु हावड़ा एक्सप्रेस की टक्कर हुई। इस दुर्घटना में दोनों ट्रेन के 12 कोच बेपटरी हो गए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित लगभग सभी नेताओं ने इस हादसे पर दुख जताया है। pm मोदी ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से बात की और स्थिति का जायजा लिया। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक बालासोर जिला अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने घायलों से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना। इससे पहले, उन्होंने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया था।

स्थानीय लोग बने देवदूत

घटनाक्रम के अनुसार ओडिशा के बालासोर में दो ट्रेनों के पटरी से उतरने के बाद मालगाड़ी से टकराने से यह भीषण हादसा हुआ। पहले हावड़ा जा रही 12864 बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई डिब्बे बाहानगा बाजार में पटरी से उतर गए और दूसरी पटरी पर जा गिरे।

पटरी से उतरे ये डिब्बे 12841 शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा गए और इसके डिब्बे भी पलट गए। इसके बाद ये डिब्बे मालगाड़ी से टकरा गए। हादसे के बाद लोग मदद के लिए चीख-पुकार मचा रहे थे। ऐसे में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने ट्रेन में फंसे लोगों को बाहर निकालने में मदद की।

स्थानीय लोगों की मदद से कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सका। साथ ही ट्रेन में सवार कई यात्रियों ने भी अपने आसपास के यात्रियों को बचाने में मदद की। हादसे में लोगों ने मानवता की मिसाल कायम की।

300-400 लोगों को सुरक्षित निकाला

ट्रेन हादसे के बारे में स्थानीय नागरिक गणेश ने कहा कि जिस समय हादसा हुआ हम यहां से 200 मीटर दूर मार्केट में थे। जोर की आवाज सुनने के बाद हम लोग घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि दुर्घटना की सुनकर हम लोग यहां पहुंचे। यहां ट्रेन की बोगी में कई लोग फंसे हुए। लोगों में चीख पुकार मची हुई थी। उन्होंने कहा कि बोगो में फंसे लोगों को अंदर से निकाला। गणेश ने कहा कि हमने ट्रेन में फंसे करीब 300 से 400 लोगों को बाहर निकाला।

सीट के नीचे था 2 साल का बच्चा

हादसे को लेकर एक यात्री ने बताया कि हम S5 बोगी में थे और जिस समय हादसा हुआ उस उस समय मैं सोया हुआ था। यात्री ने कहा, हमने देखा कि किसी का सर, हाथ, पैर नहीं था… हमारी सीट के निचे एक 2 साल का बच्चा था जो पूरी तरह से सुरक्षित है। बाद में हमने उसके परिवारिजन को बचाया। यात्री ने कहा कि स्थिति बहुत भयानक थी। उस समय सभी यात्री एक दूसरे की मदद कर रहे थे। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी थे जो मदद की गुहार लगा रहे थे।

​हमारे खून से किसी की जिंदगी बच जाए तो…

ट्रेन हादसे के बाद बड़ी संख्या में लोग रक्तदान करने पहुंचे। रक्तदान कैंप के बाहर खड़े एक शख्स ने बताया कि हादसे की खबर सुनकर हम ब्लड देने के लिए भद्रक से आए हैं। मेरे साथ हमारे संगठन के 20-25 लोग आए हैं। अपनी अपनी इच्छा से नि:स्वार्थ भाव से रक्तदान के लिए आए हैं।

हमारे खून से किसी की जिंदगी बच जाए, इससे खुशी की बात दुनिया में कोई नही है। इसलिए जैसे ही हमें इस हादसे की खबर मिली हम रक्तदान के लिए पहुंच गए। इसी तरह एसके कुर्बान बताते हैं कि उन्होंने हादसे में कई लोगों के मारे जाने की खबर सुनी। घायलों को खून की जरूरत है। किसी का भला हो जाए बस इसलिए मैं अपनी मर्जी से यहां रक्तदान करने आया हूं।

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पीएम मोदी ने ‘पराक्रम दिवस’ पर सुभाष चंद्र बोस को अर्पित की श्रद्धांजलि

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोगों से ‘विकसित भारत’ के लिए एकजुट रहने का आह्वान किया और देश को कमजोर करने और इसकी एकता को तोड़ने की कोशिश करने वाली ताकतों के खिलाफ चेतावनी दी। सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती के उपलक्ष्य में कटक में आयोजित ‘पराक्रम दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी का जीवन लोगों के लिए निरंतर प्रेरणा का स्रोत है।

वे कभी भी आराम के दायरे में नहीं फंसे- पीएम

अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी ने आराम के दायरे से बाहर निकलकर देश की आजादी के लिए संघर्ष करना पसंद किया। पीएम ने आगे कहा, ‘वे कभी भी आराम के दायरे में नहीं फंसे। इसी तरह, हम सभी को एक विकसित भारत बनाने के लिए अपने आराम के दायरे से बाहर निकलना होगा। हमें खुद को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा। हमें उत्कृष्टता को चुनना होगा और दक्षता पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

‘देश के ‘स्वराज’ पर पूरी तरह केंद्रित थे नेताजी’

उन्होंने कहा कि बोस देश के ‘स्वराज’ (स्वशासन) पर पूरी तरह केंद्रित थे और कई पृष्ठभूमि के लोग इस उद्देश्य के लिए एकजुट हुए। उन्होंने कहा, ‘अब हमें विकसित भारत के लिए एकजुट रहना होगा।’ उन्होंने कहा कि लोगों को भारत की एकता के लिए बोस के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमें उन लोगों से सावधान रहना होगा जो देश को कमजोर करना चाहते हैं और इसकी एकता को तोड़ना चाहते हैं।’

‘विरासत को बढ़ावा देने पर सरकार कर रही काम’

प्रधानमंत्री ने बोस के नाम पर अंडमान में द्वीपों का नामकरण, इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा स्थापित करना और उनकी जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाना जैसे कई फैसलों का हवाला दिया, जो उनकी विरासत को बढ़ावा देने के लिए उनके काम पर जोर देने के लिए उनकी सरकार की तरफ से लिए गए थे। उन्होंने कहा कि बोस को भारत की विरासत पर गर्व था। उन्होंने कहा कि विकास की तेज गति लोगों की प्रगति, सशस्त्र बलों को मजबूत करने और समग्र विकास के साथ-साथ चलती है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है, आधुनिक बुनियादी ढांचे का भी निर्माण किया जा रहा है और सशस्त्र बलों की ताकत अभूतपूर्व तरीके से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर एक मजबूत आवाज के रूप में उभरा है।

पीएम मोदी ने नेताजी को किया नमन

इससे पहले पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में एक वीडियो साझा करते हुए लिखा- आज पराक्रम दिवस पर मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अद्वितीय है। वे साहस और धैर्य के प्रतीक थे। उनका विजन हमें प्रेरित करता रहता है, क्योंकि हम उनके सपनों का भारत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

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