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प्रादेशिक

बेंगलुरू में कोरोना का कहर, जांच में हर दूसरा शख्स निकल रहा पॉजिटिव

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नई दिल्ली। देश में कोरोना का कहर लगातार जारी है। इस खतरनाक वायरस की दूसरी लहर से भारत में हर दिन 3 लाख से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं। तेजी से फैलने वाले इस वायरस की वजह से अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतार लगी है।

इलाज के अभाव में कई लोगों की जान चली जा रही है। इस बीच कुछ राज्य ऐसे हैं जहां कोरोना के मामले डराने लगे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू में संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

बंगलूरू में स्थिति ऐसी हो गई है कि यहां हर दूसरा शख्स कोरोना पॉजिटिव निकल रहा है और संक्रमण की दर सोमवार को 55 फीसदी तक पहुंच गई है जो कि सबसे अधिक है। बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से देश में मरने वालों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता चला जा रहा है।

बीते 24 घंटे में कोविड-19 वायरस की वजह से 3780 लोगों की जान चली गई। इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र राज्य है। हालांकि महाराष्ट्र में लगी पाबंदियों की वजह से अब राज्य में संक्रमण के मामलों में कुछ कमी देखने को मिली है।

गुजरात

गुजरात में अल्प्राजोलम बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़, 107 करोड़ रु की प्रतिबंधित दवा के साथ छह लोग गिरफ्तार

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आणंद। गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) ने आणंद जिले में अल्प्राजोलम नाम का पदार्थ बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है. एटीएस टीम ने इस दौरान मौके से 107 करोड़ रुपये की प्रतिबंधित दवा के साथ छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस पूरे मामले को लेकर आरोपियों से पूछताछ की जा रही है.

एजेंसी के अनुसार, एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि आरोपियों ने खंभात शहर के पास एक फैक्ट्री किराए पर ली थी. यहां नींद की गोलियों में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ अल्प्राजोलम का निर्माण कर रहे थे. सहायक पुलिस आयुक्त (एटीएस) हर्ष उपाध्याय ने बताया कि अल्प्राजोलम एक पदार्थ है.

अल्प्राजोलम के दुरुपयोग के कारण यह नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के दायरे में आता है. उन्होंने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर एटीएस ने गुरुवार की शाम फैक्ट्री पर छापा मारा. इस दौरान 107 करोड़ रुपये की कीमत का 107 किलोग्राम अल्प्राजोलम पदार्थ मिला. इसी के साथ छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

अल्प्राजोलम को तैयार करने के लिए केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (सीबीएन) लाइसेंस जारी करता है. यह दवा भी एनडीपीएस अधिनियम के दायरे में आती है. छापेमारी के समय आरोपियों से जब लाइसेंस मांगा गया तो उनके पास कोई लाइसेंस नहीं था. इस दौरान पांच आरोपी यूनिट का संचालन कर रहे थे, जबकि छठा व्यक्ति रिसीवर था. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि पांचों आरोपियों ने साइकोट्रोपिक पदार्थ बनाने के लिए फैक्ट्री किराए पर ली थी.

 

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