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सेंगोल पर झूठ बोल रही कांग्रेस, तथ्यों को तोड़-मरोड़कर किया गया पेश: आदिनम मठ

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Thiruvaduthurai Adheenam said on Sengol

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नई दिल्ली। तमिलनाडु के धार्मिक मठ तिरुवदुथुराई आदिनम ने एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित उस खबर को शरारतपूर्ण बताया है कि आदिनम इस बात को लेकर स्पष्ट नहीं है कि नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल लार्ड माउंटबेटन को सौंपा गया था या नहीं।

आदिनम ने रिपोर्ट को अप्रासंगिक बताया

आदिनम ने इस रिपोर्ट को अप्रासंगिक बताते हुए कहा कि तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि तिरुवदुथुराई आदिनम के कुछ प्रतिनिधि 14 अगस्त, 1947 को सेंगोल सौंपने के लिए दिल्ली पहुंचे थे। यह सेंगोल लार्ड माउंटबेटन को सौंपा गया था। बाद में उनसे लेकर इसका गंगाजल से अभिषेक किया गया। फिर इसे जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया।

जयराम रमेश ने ट्वीट कर किया था दावा

इससे पहले कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित तिरुवदुथुराई आदिनम के प्रमुख स्वामी के बयानों को आधार बनाते हुए दावा किया कि सेंगोल कभी लार्ड माउंटबेटन को नहीं सौंपा गया था। न ही सी राजगोपालाचारी से इस बारे में कोई चर्चा की गई थी।

उन्होंने कहा कि जब सेंगोल लार्ड माउंटबेटन को ही नहीं सौंपा गया, तो फिर माउंटबेटन इसे जवाहरलाल नेहरू को कैसे सौंप सकते थे? नए तथ्यों से साफ हो गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में अंग्रेजों द्वारा सेंगोल सौंपने की कहानी झूठी है और भाजपा की ‘फेक फैक्ट्री’ का पर्दाफाश हो गया है।

किशन रेड्डी बोले-  आपकी शरारत सामने आई

इसके जवाब में केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि एक बार फिर गलत जानकारी दी गई। अंग्रेजी अखबार ने शरारतपूर्ण ढंग से आदिनम का हवाला दिया। यह कैसी पत्रकारिता है? रेड्डी ने जयराम से कहा कि आप जैसे नेता यह सोचकर अधिक शरारत करते हैं कि आदिनम का बयान विरोधाभासी हो जाएगा।

कांग्रेस ने उठाए थे सवाल

जयराम रमेश ने अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित तिरुवदुथुराई आदिनम के प्रमुख श्री ला श्री अंबालावना देसिका परमाचार्य स्वामीगल के साक्षात्कार का हवाला देते हुए सेंगोल सौंपने को लेकर सवाल उठाए थे। जयराम ने कहा था कि पंडित नेहरू को सेंगोल सौंपने के दौरान की तस्वीर में दिखाई दे रहे प्रसिद्ध नागस्वरम कलाकर टीएन राजारत्नम पिल्लई भी हैं।

उनके मुताबिक केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट के एक आलेख में कहा गया है कि जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की तो तिरुवदुथुराई मठम के पंडारसन्नधि द्वारा राजारत्नम को दिल्ली भेजा गया था, ताकि उनकी ओर से सेंगोल भेंट किया जा सके। डा पी सुब्बारायण ने उन्हें पंडित नेहरू से मिलवाया और राजारत्नम ने सेंगोल सौंपने से पहले नागस्वरम की धुन भी सुनाई।

सेंगोल के साथ माउंटबेटन की तस्वीर नहीं होने का दिया जवाब

तिरुवदुथुराई आदिनम ने अपने बयान में कहा कि मासिलमणि पिल्लै (96) सेंगोल सौपे जाने की घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी हैं। उन्होंने हाल ही में स्पष्ट रूप से उस घटना का वर्णन किया है। उन्होंने याद किया है कि माउंटबेटन को सेंगोल सौंपने की अपनी जिम्मेदारी को आदिनम ने सफलतापूर्वक पूरा किया। आदिनम ने यह काम चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की पहल पर किया था।

सेंगोल की व्यवस्था के सिलसिले में मद्रास के जिलाधिकारी भी अगस्त 1947 में आदिनम आए थे। आदिनम ने कहा, हमें इस बात का बहुत दुख है कि मीडिया का एक वर्ग लगातार हमें बदनाम करने का प्रयास कर रहा है।

सेंगोल के साथ माउंटबेटन की तस्वीर इसलिए नहीं है, क्योंकि आदिनम के लोग उस समय अपने साथ कैमरा लेकर नहीं चलते थे। वे सेंगोल सौंपने गए थे और अपनी जिम्मेदारी को उन्होंने सफलतापूर्वक निभाया। यह बात कई मीडिया रिकार्ड में दर्ज है।

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पीएम मोदी ने ‘पराक्रम दिवस’ पर सुभाष चंद्र बोस को अर्पित की श्रद्धांजलि

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोगों से ‘विकसित भारत’ के लिए एकजुट रहने का आह्वान किया और देश को कमजोर करने और इसकी एकता को तोड़ने की कोशिश करने वाली ताकतों के खिलाफ चेतावनी दी। सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती के उपलक्ष्य में कटक में आयोजित ‘पराक्रम दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी का जीवन लोगों के लिए निरंतर प्रेरणा का स्रोत है।

वे कभी भी आराम के दायरे में नहीं फंसे- पीएम

अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी ने आराम के दायरे से बाहर निकलकर देश की आजादी के लिए संघर्ष करना पसंद किया। पीएम ने आगे कहा, ‘वे कभी भी आराम के दायरे में नहीं फंसे। इसी तरह, हम सभी को एक विकसित भारत बनाने के लिए अपने आराम के दायरे से बाहर निकलना होगा। हमें खुद को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा। हमें उत्कृष्टता को चुनना होगा और दक्षता पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

‘देश के ‘स्वराज’ पर पूरी तरह केंद्रित थे नेताजी’

उन्होंने कहा कि बोस देश के ‘स्वराज’ (स्वशासन) पर पूरी तरह केंद्रित थे और कई पृष्ठभूमि के लोग इस उद्देश्य के लिए एकजुट हुए। उन्होंने कहा, ‘अब हमें विकसित भारत के लिए एकजुट रहना होगा।’ उन्होंने कहा कि लोगों को भारत की एकता के लिए बोस के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमें उन लोगों से सावधान रहना होगा जो देश को कमजोर करना चाहते हैं और इसकी एकता को तोड़ना चाहते हैं।’

‘विरासत को बढ़ावा देने पर सरकार कर रही काम’

प्रधानमंत्री ने बोस के नाम पर अंडमान में द्वीपों का नामकरण, इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा स्थापित करना और उनकी जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाना जैसे कई फैसलों का हवाला दिया, जो उनकी विरासत को बढ़ावा देने के लिए उनके काम पर जोर देने के लिए उनकी सरकार की तरफ से लिए गए थे। उन्होंने कहा कि बोस को भारत की विरासत पर गर्व था। उन्होंने कहा कि विकास की तेज गति लोगों की प्रगति, सशस्त्र बलों को मजबूत करने और समग्र विकास के साथ-साथ चलती है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है, आधुनिक बुनियादी ढांचे का भी निर्माण किया जा रहा है और सशस्त्र बलों की ताकत अभूतपूर्व तरीके से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर एक मजबूत आवाज के रूप में उभरा है।

पीएम मोदी ने नेताजी को किया नमन

इससे पहले पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में एक वीडियो साझा करते हुए लिखा- आज पराक्रम दिवस पर मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अद्वितीय है। वे साहस और धैर्य के प्रतीक थे। उनका विजन हमें प्रेरित करता रहता है, क्योंकि हम उनके सपनों का भारत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

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