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प्रादेशिक

दिल्ली NCR के स्कूल होंगे बंद, ऑनलाइन मोड में चलेंगी क्लासेज – सुप्रीम कोर्ट का आदेश

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि दिल्ली- एनसीआर में 12वीं तक की सभी क्लासेज ऑनलाइन मोड में होंगी। बता दें कि दिल्ली में 10वीं और 12वीं की कक्षा को छोड़कर बाकी सभी क्लासेज को पहले ही ऑनलाइन मोड में कर दिया गया था। लेकिन अब शीर्ष अदालत ने 10वीं और 12वीं की क्लास को भी बंद करने और ऑनलाइन मोड में करने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम NCR क्षेत्र की सभी सरकारों को GRAP 4 को सख्ती से लागू करने का निर्देश देते हैं। सभी राज्य ग्रैप 4 के तहत आवश्यक कार्यों की निगरानी के लिए तुरंत टीमों का गठन करेंगे। NCR राज्य सरकारें और केन्द्र सरकार ग्रैप 4 में दिए गए कदमों पर तुरंत निर्णय लें और अगली सुनवाई से पहले उन्हें हमारे सामने रखें।

‘सभी राज्य और केंद्र सरकारें गुरुवार तक अपना हलफनामा दाखिल करें’

SC ने कहा कि दिल्ली सरकार और अन्य सरकारों को ग्रैप 4 के लिए शिकायत निवारक सिस्ट स्थापित करने का निर्देश दिया जाता है। CAQM शिकायतों पर तुरंत गौर करें। कोर्ट ने कहा कि हम यह स्पष्ट करते हैं कि इस अदालत के अगले आदेश तक ग्रैप 4 का कार्यान्वयन जारी रहेगा, भले ही AQI 450 से नीचे चला जाए। साथ ही कहा कि सभी राज्य और केंद्र सरकारें गुरुवार तक अपना हलफनामा दाखिल करें।

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के अतरैला टोल प्लाजा पर एसटीएफ ने मारा छापा, 120 करोड़ रुपये के घोटाले का किया पर्दाफाश

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मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने NHAI के अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर देशभर में फैले टोल वसूली के नेटवर्क से 120 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है. लखनऊ एसटीएफ ने बीते मंगलवार को मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर टोल मैनेजर समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 5 मोबाइल, दो लैपटॉप, प्रिंटर समेत 19 हजार रुपये भी किये बरामद किये हैं. एसटीएफ के इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने बताया कि एनएचएआई के दर्जनों टोल प्लाजा पर गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया.

इस तरह NHAI को लगा रहे थे चूना

टोल टैक्स में हो रहे इस घोटाले में बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों के ज़रिए हो रहा था। पूरे देश मे ऐसी गाड़ियों से टोल पर दोगना टोल लिया जाता है। इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों से दोगना पैसा तो लिया जाता था। फर्ज़ी रसीद भी दी जाती थी, लेकिन ये पैसा कर्मचारी आपस मे बांट लेते थे।

ये NHAI के खाते में नहीं जमा होता था। टोल का 50 फीसदी पैसा NHAI के खाते में जमा होता है। रोजाना इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए इस अकेले टोल से 40 से 50 हज़ार रुपये की कमाई होती है। इस टोल पर पिछले दो साल से इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर करीब 120 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है।

42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने का दावा

एसटीएफ के मुताबिक इस घोटाले का मुख्य आरोपी आलोक कुमार सिंह ने MCA किया हुआ है। आलोक ने एसटीएफ को बताया कि देश के करीब 200 टोल पर इस तरह का घपला हो रहा है और उसने खुद 42 टोल प्लाजा पर ये सॉफ्टवेयर इंस्टाल किया है। अब एसटीएफ बाकी टोल प्लाजा में लगे इस सॉफ्टवेयर को पकड़ने की कोशिश कर रही है। फिलहाल एसटीएफ ने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि जिन 42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल किए गए हैं वे किन जगहों पर हैं।

 

 

 

 

 

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