आध्यात्म
अक्षय तृतीया पर भूल से भी न करें ये काम, वरना मां लक्ष्मी हमेशा के लिए हो जाएंगी आपके घर से दूर
नई दिल्ली। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का खास महत्व है।
हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना पंचाग देखे किया जा सकता है। माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से जो मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं मां की कृपा उनपर सदैव बनी रहती है।
अक्षय तृतीय पर आज हम आपको कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे इन दिन भूल से भी नहीं करना चाहिए वरना मां लक्ष्मी आपसे नाराज हो सकती हैं। आईए जानते हैं कौन से हैं वो काम
- न तोड़ें तुलसी का पत्ता
तुलसी के पत्तों में भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए भूल से भी इस दिन तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए।
- बिना नई वस्तु के पूजन न करें
इस दिन घर में सोना-चांदी, कपड़े, बर्तन या कोई भी नई वस्तु खरीदना शुभ माना जाता है। बिना कोई नई वस्तु खरीदे पूजा नहीं करनी चाहिए वरना मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
- बिना साफ-सफाई के पूजा न करें
माना जाता है इस दिन साफ सफाई का खास ख्याल रखना चाहिए क्योंकि इस दिन घर में लक्ष्मी जी का वास होता है। इसलिए घर में साफ-सफाई के बाद ही मां-लक्ष्मी जी की पूजा करें।
- बुजुर्गों का निरादर न करें
इस दिन अपने बड़े बुजुर्गों का निरादर न करें और घर के बाहर आए व्यक्ति को जरूर कुछ दान करें।
- मन में किसी के लिए बुरा न सोचे
मान्यात है कि इस दिन सच्चे मन से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने पर लाभ प्राप्त होता है। पूजा करने के दौरान मन में किसी के प्रति दुर्भावना या ईर्ष्या न रखें वरना आपकी पूजा असफल हो जाएगी।
आध्यात्म
आज है गोवर्धन पूजा, जानें पूजन विधि व शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की जाती है। यानी दिवाली अगले दिन ये पर्व मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 नवंबर की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू हो रही है और यह 2 नवंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट पर खत्म होगी। इस तरह से गोवर्धन पूजा का सही दिन 2 नवंबर ही माना गया है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाती हैं और उसकी पूजा करती हैं।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 23 मिनट से शाम 5 बजकर 35 मिनट तक है। इस समय पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह काल जल्दी उठकर स्नानादि करें। फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें। भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें। इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।
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