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अन्तर्राष्ट्रीय

जयशंकर ने चीन पर बोला हमला, कहा- अधिग्रहीत अर्थव्यवस्था नहीं है भारत

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S Jaishankar in Dar-es-Salaam

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दार-एस-सलाम (तंजानिया)। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि कुछ अन्य देशों के विपरीत भारत “एक अधिग्रहीत अर्थव्यवस्था” नहीं है और यह संसाधन संपन्न अफ्रीकी महाद्वीप में “संकीर्ण आर्थिक गतिविधियां” नहीं चला रहा है। जंजीबार का दौरा करने के बाद गुरुवार को यहां पहुंचे जयशंकर ने तंजानिया के दार-एस-सलाम शहर में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।

जयशंकर ने ट्वीट किया, दार एस सलाम में भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ रोचक बातचीत हुई। मिशन आईटी (इंडिया और तंजानिया) के महत्व पर जोर दिया। मजबूत भारत-अफ्रीका संबंध, विशेष रूप से पूर्वी अफ्रीका के साथ हमारे गहरे संबंधों पर जोर दिया गया; भारत और तंजानिया का संबंध हृदय भावना की एकजुटता और हितों की पारस्परिकता है।

उन्होंने ट्वीट किया, यह माना जाता है कि भारतीय समुदाय इस रिश्ते की अभिव्यक्ति, योगदानकर्ता और शक्ति हैं। उन्होंने बताया कि कैसे भारत और तंजानिया की दोस्ती तंजानिया के औसत जीवन में बदलाव ला रही है। हमारी जल परियोजनाओं से सालाना 750 स्लॉट के साथ 80 लाख लोगों को लाभ होगा।

तंजानिया प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में भारत का सबसे बड़ा अफ्रीकी साझेदार है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, भारतीय समुदाय ऐतिहासिक रूप से रिश्ते की ताकत का स्रोत रहा है। जैसे-जैसे हमारे संबंधों का विस्तार होगा, वैसे-वैसे उनकी भूमिका भी बढ़ेगी।

भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, आज हम अफ्रीका को विकसित होते देखना चाहते हैं। हम अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाओं को विकसित होते देखना चाहते हैं। और आज अफ्रीका के प्रति हमारा दृष्टिकोण अफ्रीका के साथ अधिक व्यापार करना, अफ्रीका में निवेश करना, अफ्रीका के साथ काम करना, अफ्रीका में क्षमताएं बनाना है, ताकि अफ्रीका का भी उत्थान हो जैसे भारत जैसे देश एशिया में बढ़ रहे हैं।

जयशंकर ने अफ्रीका में चीन की सेना सहित उसके आक्रमणों के स्पष्ट संदर्भ में कहा कि हम यहां एक अधिग्रहीत अर्थव्यवस्था के रूप में नहीं हैं। हम यहां उस तरह से नहीं हैं जिस तरह बहुत से अन्य देश बहुत ही संकीर्ण आर्थिक उद्देश्यों के लिए यहां हैं। हमारे लिए, यह एक व्यापक और गहरी साझेदारी है।

एशिया-प्रशांत से परे अपनी सैन्य शक्ति को प्रदर्शित करने की बीजिंग की योजना के हिस्से के रूप में चीन ने 2015 में अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला विदेशी सैन्य सहायता आधार स्थापित किया था। चीनी कंपनियां भी क्षेत्र के बहुमूल्य खनिज संसाधनों के दोहन में सक्रिय रूप से लगी हुई हैं।

जयशंकर ने यह भी कहा कि आज दुनिया भारत को एक योगदानकर्ता के रूप में देखती है। दुनिया भारत, भारतीय कंपनियों, भारतीय प्रौद्योगिकियों, भारतीय क्षमताओं को उनके लिए बेहतर जीवन बनाने में मदद करने वाले के रूप में देखती है। उन्होंने यह भी कहा कि वह यहां तंजानिया में एक ‘आईटी मिशन’ पर हैं जो भारत-तंजानिया मिशन है। यह मिशन इस देश की कुछ सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं को संबोधित करता है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

देश छोड़कर भागने वाले असद की मुश्किलें बढ़ी, पत्नी अस्मा अल-असद ने अदालत में तलाक के लिए दी अर्जी

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सीरिया। सीरिया में छिड़े गृहयुद्ध के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर रूस भाग गए। देश छोड़कर भागने वाले असद की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक असद की ब्रिटिश पत्नी अस्मा अल-असद ने रूस की अदालत में तलाक के लिए अर्जी दी है। तुर्की और अरब मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक अस्मा अल असद मॉस्को में खुश नहीं हैं और वो अब लंदन जाना चाहती हैं। बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बशर अल असद के परिवार को अपने देश में राजनीतिक शरण दी है।

25 साल की अस्मा से हुई थी असद की शादी

बशर अल-असद की पत्नी अस्मा अल असद ने रूस के कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की है और मॉस्को छोड़ने के लिए विशेष अनुमति का अनुरोध किया है। उनके दिए गए आवेदन पर रूसी अधिकारियों द्वारा विचार किया जा रहा है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अस्मा के पास ब्रिटेन और सीरिया की दोहरी नागरिकता है। अस्मा का घर लंदन में है जहां सीरियाई माता-पिता के यहां उनका जन्म हुआ था। अस्मा साल 2000 में सीरिया चली गईं थीं। साल 2000 में ही उनकी शादी बशर अल असद से हुई थी। उस वक्त अस्मा की उम्र 25 साल थी।

रूस में असद पर लगाए गए हैं गंभीर प्रतिबंध

अपना देश छोड़कर भागे सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल असद को भले ही रूस ने राजनीतिक शरण दिया था, लेकिन रूस में उनपर गंभीर प्रतिबंध लगाए गए हैं। असद को मॉस्को छोड़ने या किसी भी राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति नहीं है। जानकारी के मुताबिक रूसी अधिकारियों ने बशर अल-असद की संपत्ति और पैसा भी जब्त कर लिया है। असद सीरिया छोड़ते वक्त 270 किलोग्राम सोना लेकर आए थे। उनकी संपत्ति में 2 अरब डॉलर और मॉस्को में 18 अपार्टमेंट शामिल हैं।

असद के भाई को रूस में नहीं मिली है शरण

सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के भाई, माहेर अल-असद को रूस ने अपने देश में शरण नहीं दी है। उन्हें शरण देने के अनुरोध की अब भी समीक्षा की जा रही है। जानकारीा के मुताबिक असद के भाई माहेर और उनका परिवार रूस में ही नजरबंद हैं।

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