उत्तर प्रदेश
पहले पति ने फांसी लगातार दी जान, फिर पत्नी ने छत से कूदकर कर ली आत्महत्या, दो साल पहले की थी लव मैरिज
गोरखपुर। गोरखपुर के कैंट थानाक्षेत्र के सिविल लाइंस में रहने वाले मशहूर मनोचिकित्सक डा. रामशरण के दामाद ने सारनाथ के एक होटल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। रविवार को जब ये खबर सारनाथ पुलिस ने मोबाइल पर चिकित्सक को दी, तो उनकी 30 वर्षीय बेटी संचिता शरण ने घर की छत की दूसरी मंजिल से छलांग लगाकर सुसाइड कर लिया। घटना के बाद मौके पर पहुंची कैंट पुलिस और फोरेंसिक टीम ने साक्ष्य संकलन किया और लाश के पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। संचिता के सुसाइड का CCTV फुटेज भी पुलिस को मिला है।
डॉ. रामशरण ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उनकी बेटी संचिता शरण ने साल 2021 में हरीश बागेश के साथ लव मैरिज की थी। दोनों एक-दूसरे को बेइंतहा प्यार करते थे। उनके दामाद बिहार के पटना के रहने वाले थे। दामाद भूमिहार और वो लोग कायस्थ हैं। हरीश के पिता को ये शादी स्वीकार नहीं थी। हरीश ने जम्मू से बीकॉम और एमबीए की पढ़ाई की। कुछ दिन तक उसने कई प्राइवेट बैंकों में भी काम किया। उसकी अंतिम नौकरी एचडीएफसी बैंक में थी, जिसमें जनवरी 2024 तक उसने फील्ड वर्क किया था। इसके बाद उसने काम छोड़ दिया। तब से हरीश संचिता के साथ सिविल लाइंस स्थित बिस्मिल पार्क के सामने डॉ. रामशरण श्रीवास्तव के घर में रह रहा था।
बताया जा रहा है कि शादी के बाद से ही हरीश और संचिता नौकरी को लेकर काफी तनाव में थे। हरीश ने मुंबई से लेकर कई जगहाें पर निजी बैंकों में काम किया लेकिन कहीं वह टिक नहीं पाया। वहीं संचिता भी नौकरी के लिए इधर-उधर प्रयास कर रही थी। इस बात को लेकर दोनों के बीच नोक-झोंक भी हो रही थी। सूत्रों के अनुसार, हरीश पांच जुलाई को नाराज होकर घर से निकला था। उसने जाते समय बताया था कि वह पटना अपनी बहन से मिलने जा रहा है, लेकिन वह वाराणसी के सारनाथ निकल गया।
हरीश ने एक वेबसाइट की मदद से सारनाथ में अटल नगर कॉलोनी, मवइयां स्थित एक होम स्टे बुक किया था। पुलिस की पूछताछ में होम स्टे संचालक ने बताया कि एक एप के माध्यम से हरीश ने कमरा नंबर-202 बुक किया था। पांच जुलाई की रात वह अपने कमरे में आया था। हरीश के रिश्तेदार पांडेयपुर निवासी राजू कुमार रविवार की सुबह होम स्टे में आए और उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया। दरवाजा न खुलने पर उन्होंने संचालक को सूचना दी। संचालक ने रोशनदान से झांक कर देखा तो हरीश पंखे के हुक से रस्सी के फंदे के सहारे लटका हुआ था। सूचना पाकर सारनाथ थाने की पुलिस मौके पर आई और दरवाजा तोड़ कर शव को नीचे उतरवाई। उसके कमरे से पुलिस को गांजा, सिगरेट, लाइटर, पर्स और मोबाइल मिला।
उत्तर प्रदेश
अयोध्या के कुम्हारों के जीवन में ‘दीप’ जला रही योगी सरकार
अयोध्या। रामनगरी के दीपोत्सव ने अयोध्या के कुम्हारों का जीवन बदल दिया है। कभी रोजी-रोटी के लिए परेशान दिखने वाले कुम्हार अब दीपोत्सव के दौरान ही एक-एक लाख रुपये कमा लेते हैं। दीपोत्सव शुरू होने के बाद कुम्हार परिवार के युवा बाहर जाने के बजाय अब इलेक्ट्रिक चाक घुमाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। जयसिंहपुर गांव में दीपोत्सव को लेकर व्यापक तैयारियां शुरू हो गई हैं।
2017 में प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनते ही सर्वप्रथम अयोध्या को सजाने-संवारने का बीड़ा उठाया। इसके बाद भगवान राम के वनवास से लौटकर आने की खुशी में मनाई जाने वाली दीवाली ओर दीपोत्सव कराने का ऐलान कर दिया। हर वर्ष राम की पैड़ी पर इसका आयोजन होता है। इस दौरान लाखों की संख्या में दीप प्रज्ज्वलित होते हैं। दीयों की खरीदारी के लिए भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिले के कुम्हारों को वरीयता दी। नतीजा यह है कि इन वर्ष दीपोत्सव का आठवां संस्करण होने जा रहा है। कुम्हारों ने बड़ी संख्या में दीयों को बनाने का काम शुरू कर दिया है। इस बार रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि आठवां दीपोत्सव और भी भव्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने 25 लाख दीपों का जलाने का ऐलान किया है।
जलने हैं 25 लाख दीये, जुटा हुआ है परिवार
अयोध्या के विद्याकुण्ड के निकट स्थित जयसिंहपुर गांव में बड़े स्तर पर कुम्हार दीयों को बनाने में जुटे हुए हैं। यहां का 40 परिवार दीपोत्सव के लिए दीप बना रहा है। उनका मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका जीवन बदल दिया। दीपोत्सव में बिक्री होती ही है, लेकिन स्थानीय कुम्हारों के लिए की गई अपील के बाद लोग मिट्टी के दीयों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
30 से 35 हजार दीये बेच देते हैं: लक्ष्मी
जयसिंहपुर गांव की लक्ष्मी प्रजापति बताती हैं कि योगी सरकार की योजना ने हमारे घर को रोशन कर दिया है। दीपोत्सव में दीये बनाने का ऑर्डर मिलते ही पूरा परिवार जुट जाता है। 30 से 35 हजार दीये बनाकर बेचे जाते हैं।
सीएम के ऐलान के बाद बढ़ी आमदनी: राकेश
जयसिंहपुर गांव के राकेश प्रजापति बताते हैं कि अभी हमें ठेका नहीं मिला है, लेकिन विगत वर्षों में मिले आर्डर को देखते हुए हम लोगों ने दीये बनाने शुरू कर दिए हैं। सीएम के ऐलान के बाद हमारी आमदनी बढ़ी है।
पहले लोग चाइना की झालर से सजाते थे घर: आशा
गांव की आशा बताती हैं कि हम लोग हर वर्ष 20 से 25 हजार दीये बनाकर दीपोत्सव के लिए देते हैं। दीपोत्सव शुरू होने के बाद शहर के लोग दीयो से अपना घर सजाते हैं। नहीं तो लोग चाइना की झालरों का प्रयोग करते थे।
सीएम योगी ने दिलाई प्रजापतियों को पहचान: राजेश
गांव के राजेश प्रजापति ने बताया कि ये सीएम योगी की ही देन है कि दीपोत्सव के बाद से प्रजापति की भी पहचान हो गई है। नहीं तो हमें कोई पहचानता नहीं था। अभी टेंडर नहीं हुआ है, लेकिन हम लोगों ने अब तक 2 लाख से अधिक दीप तैयार कर लिए हैं।
शुरू हो चुका है दीपोत्सव का काउंट डाउन
आठवें दीपोत्सव का काउंट डाउन शुरू हो चुका है। अब सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। उसके बाद अयोध्या नगरी एक नया कीर्तिमान रच देगी। दीपोत्सव को लेकर प्रशासनिक तौयारियाँ शुरू हो गई हैं। प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा अवध विश्वविद्यालय प्रशासन और वहां के छात्र भी जुट गए हैं।
दीपोत्सव में कब कितने दीप जले
सन-दीप
2017- 1.71 लाख
2018- 3.01 लाख
2019- 4.04 लाख
2020- 6.06 लाख
2021- 9.41 लाख
2022- 15.76 लाख
2023-22.23 लाख
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