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आध्यात्म

अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी की कृपा के लिए रखें इन बातों का ध्यान, वरना रुठ सकती हैं मां लक्ष्मी

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सनातन धर्म में हर तिथि का अपना महत्व है। हर माह की तिथि के दिन कोई न कोई पर्व या व्रत होता है। ऐसे ही वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 3 मई, बुधवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन पूजा-पाठ, जप-तप और दान-पुण्य का बहुत महत्व बताया गया है। अक्षय तृतीया का दिन मां लक्ष्मी की पूजा को समर्पित है। इस दिन सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से मां लक्ष्मी की पूजा-पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जंयती भी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस शुभ दिन कोई भी मांगलिक कार्य किया जा सकता है। इस बार पूरा दिन शुभ मुहूर्त है तो आप इस शुभ मुहूर्त में विवाह, मुंहन, गृह प्रवेश आदि कुछ भी कर सकते हैं। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। शास्त्रों में कुछ ऐसे कामों के बारे में भी बताया गया है, जिन्हें अक्षय तृतीया के दिन करने से मां लक्ष्मी रूठ जाती है और घर में दरिद्रता का वास होता है। आइए जानते हैं इस दिन किन चीजों को करने से परहेज करना चाहिए।

When Is Akshaya Tritiya in 2022?

अक्षय तृतीया के दिन भूलकर भी न करें ये काम

घर में भूलकर भी न करें अंधेरा

ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन घर के किसी भी कमरे या कोने में भूलकर भू अंधेरा नहीं करना चाहिए। घर के उन हिस्सों में जहां पर रोशनी की सुविधा नहीं या फिर वे अकसर बंद रहते हैं उन्हें भी दीयों से रोशन करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी घर में हमेशा के लिए वास करती है। और भक्तों पर हमेशा कृपा बरसती रहती है।

मां लक्ष्मी के साथ इनकी पूजा भी जरूरी

अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ उनकी पूजा ही नहीं की जाती, बल्कि मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से वे जल्द प्रसन्न होती हैं। इसके साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग जरूरी माना गया है। इसके साथ ही, इस बात का ध्यान रखें कि अक्षय तृतीया के दिन स्नान करने से पहले तुलसी के पौधे या पत्तियों को हाथ न लगाएं। ऐसा करने से देवी-देवता रुष्ट हो जाते हैं।

अक्षय तृतीया के दिन इन चीजों की  करें खरीददारी 

अक्षय तृतीया के दिन खरीददारी  करना भी शुभ माना गया है। इस दिन शुभ मुहूर्त में सोना, चांदी या फिर किसी अन्य चीज की शॉपिंग से घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती। अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी या फिर किसी आभूषण की खरीददारी कर सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति के लिए सोना-चांदी खरीदना संभव न हो तो छोटी-मोटी धातु की चीज भी खरीद सकते हैं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद सदा बना रहता है।

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आध्यात्म

महाकुम्भ 2025: बड़े हनुमान मंदिर में षोडशोपचार पूजा का है विशेष महत्व, पूरी होती है हर कामना

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महाकुम्भनगर| प्रयागराज में संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर बनकर तैयार हो गया है। यहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालु यहां विभिन्न पूजा विधियों के माध्यम से हनुमान जी की अराधना करते हैं। इसी क्रम में यहां षोडशोपचार पूजा का भी विशेष महत्व है। षोडशोपचार पूजा करने वालों की हर कामना पूरी होती है, जबकि उनके सभी संकट भी टल जाते हैं। मंदिर के महंत और श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने इस पूजा विधि के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और यह भी खुलासा किया कि हाल ही में प्रयागराज दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मंदिर में षोडशोपचार विधि से पूजा कराई गई। उन्हें हनुमान जी के गले में पड़ा विशिष्ट गौरीशंकर रुद्राक्ष भी भेंट किया गया। उन्होंने भव्य और दिव्य महाकुम्भ के आयोजन के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी का आभार भी जताया।

16 पदार्थों से ईष्ट की कराई गई पूजा

लेटे हनुमान मंदिर के महंत एवं श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलवीर गिरी जी महाराज ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक यजमान की तरह महाकुम्भ से पहले विशेष पूजन किया। प्रधानमंत्री का समय बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन कम समय में भी उनको षोडशोपचार की पूजा कराई गई। पीएम ने हनुमान जी को कुमकुम, रोली, चावल, अक्षत और सिंदूर अर्पित किया। यह बेहद विशिष्ट पूजा होती है, जिसमें 16 पदार्थों से ईष्ट की आराधना की। इस पूजा का विशेष महत्व है। इससे संकल्प सिद्धि होती है, पुण्य वृद्धि होती है, मंगलकामनाओं की पूर्ति होती और सुख, संपदा, वैभव मिलता है। हनुमान जी संकट मोचक कहे जाते हैं तो इस विधि से हनुमान जी का पूजन करना समस्त संकटों का हरण होता है। उन्होंने बताया कि पीएम को पूजा संपन्न होने के बाद बड़े हनुमान के गले का विशिष्ट रुद्राक्ष गौरीशंकर भी पहनाया गया। यह विशिष्ट रुद्राक्ष शिव और पार्वती का स्वरूप है, जो हनुमान जी के गले में सुशोभित होता है।

सभी को प्रेरित करने वाला है पीएम का आचरण

उन्होंने बताया कि पूजा के दौरान प्रधानमंत्री के चेहरे पर संतों का ओज नजर आ रहा था। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि उनमें संतों के लिए विनय का भाव था। आमतौर पर लोग पूजा करने के बाद साधु संतों को धन्यवाद नहीं बोलते, लेकिन पीएम ने पूजा संपन्न होने के बाद पूरे विनय के साथ धन्यवाद कहा जो सभी को प्रेरित करने वाला है। उन्होंने बताया कि पीएम ने नवनिर्मित कॉरिडोर में श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर भी अपनी रुचि दिखाई और मंदिर प्रशासन से श्रद्धालुओं के आने और जाने के विषय में जानकारी ली। वह एक अभिभावक के रूप में नजर आए, जिन्हें संपूर्ण राष्ट्र की चिंता है।

जो सीएम योगी ने प्रयागराज के लिए किया, वो किसी ने नहीं किया

बलवीर गिरी महाराज ने सीएम योगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रयागराज और संगम के विषय में जितना सोचा, आज से पहले किसी ने नहीं सोचा। संत जीवन में बहुत से लोगों को बड़े-बड़े पदों पर पहुंचते देखा, लेकिन मुख्यमंत्री जी जैसा व्यक्तित्व कभी नहीं देखने को मिला। वो जब भी प्रयागराज आते हैं, मंदिर अवश्य आते हैं और यहां भी वह हमेशा यजमान की भूमिका में रहते हैं। हमारे लिए वह बड़े भ्राता की तरह है। हालांकि, उनकी भाव भंगिमाएं सिर्फ मंदिर या मठ के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए हैं। वो हमेशा यही पूछते हैं कि प्रयागराज कैसा चल रहा है। किसी मुख्यमंत्री में इस तरह के विचार होना किसी भी प्रांत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता का भी दिया संदेश

उन्होंने महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि महाकुम्भ को स्वच्छ महाकुम्भ बनाने का जिम्मा सिर्फ सरकार और प्रशासन का नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं का भी है। मेरी सभी तीर्थयात्रियों से एक ही अपील है कि महाकुम्भ के दौरान स्नान के बाद अपने कपड़े, पुष्प और पन्नियां नदियों में और न ही तीर्थस्थल में अर्पण न करें। प्रयाग और गंगा का नाम लेने से ही पाप कट जाते हैं। माघ मास में यहां एक कदम चलने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। यहां करोड़ों तीर्थ समाहित हैं। इसकी पवित्रता के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें। तीर्थ का सम्मान करेंगे तो तीर्थ भी आपको सम्मान प्रदान करेंगे। स्नान के समय प्रयाग की धरा करोड़ों लोगों को मुक्ति प्रदान करती है। यहां ज्ञानी को भी और अज्ञानी को भी एक बराबर फल मिलता है।

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