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करियर

रेलवे बोर्ड को मिली पहली महिला अध्यक्ष व CEO, जानें कौन हैं जया वर्मा सिन्हा  

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Jaya Verma Sinha

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नई दिल्ली। इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस (IRTS) की 1988 बैच की अधिकारी जया वर्मा सिन्हा ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष व CEO (रेलवे बोर्ड) के रूप में आज 1 सितंबर को पदभार ग्रहण कर लिया। अनिल कुमार लाहोटी की जगह लेने वाली जया वर्मा रेलवे बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष हैं।

बता दें कि मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ के रूप में जया वर्मा सिन्हा की नियुक्ति को मंजूरी दी है। वह रेलवे बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष भी हैं। विजयलक्ष्मी विश्वनाथन रेलवे बोर्ड की पहली महिला सदस्य थीं।

जया फिलहाल रेलवे बोर्ड में मेंबर (ऑपरेशंस और बिजनेस डेवलपमेंट) के पद पर काम कर रही थीं। इसके अलावा जया दक्षिण-पूर्व रेलवे में चीफ कॉमर्शियल मैनेजर, पूर्व रेलवे में डिवीजनल रेलवे मैनेजर (DRM) और उत्तर रेलवे में भी काम कर चुकी हैं। जया ढाका के इंडियन हाई कमीशन में चार साल तक सलाहकार के तौर पर काम कर चुकी हैं। कोलकाता से ढाका तक चलने वाली मैत्री एक्सप्रेस की शुरुआत जया के कार्यकाल में ही हुई थी।

रेलवे को 2.74 लाख करोड़ का रिकॉर्ड बजट

जया ऐसे समय में इस पद को संभालेगी जब केंद्र सरकार ने इंडियन रेलवे को रिकॉर्ड बजट दिया है। केंद्र सरकार ने इंडियन रेलवे को 2023-24 में 2.74 लाख करोड़ का रिकॉर्ड बजट दिया है।

बालासोर हादसे के दौरान जनता और सरकार के बीच सेतु थीं जया

रेलवे बोर्ड की पहली महिला मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और अध्यक्ष के पद पर नियुक्त की गईं जया वर्मा सिन्हा ने हाल ही में हुए बालासोर हादसे के दौरान रेलवे की ओर से बतौर सदस्य (संचालन और व्यवसाय विकास) मीडिया से बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी और जटिल सिग्नल प्रणाली के बारे में विस्तार से समझाया था।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ीं जया ने चार वर्षों तक बांग्लादेश के ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग में रेलवे सलाहकार के रूप में भी काम किया। बांग्लादेश में उनके कार्यकाल के दौरान कोलकाता से ढाका तक मैत्री एक्सप्रेस का उद्घाटन किया गया था। उन्होंने पूर्वी रेलवे, सियालदह डिवीजन के मंडल रेल प्रबंधक के रूप में भी काम किया।

संगम नगरी की हैं जया वर्मा

जया वर्मा सिन्हा का संगम नगरी प्रयागराज से गहरा रिश्ता रहा। प्रयागराज में ही उनका जन्म हुआ। स्कूली शिक्षा से लेकर स्नातक एवं परास्नातक भी उन्होंने प्रयागराज से ही किया। उनके पिता वीबी वर्मा सीएजी ऑफिस में क्लास वन अफसर रहे।

इसी तरह उनके बड़े भाई जयदीप वर्मा भी यूपी रोडवेज में क्लास वन अफसर रहे। सेवानिवृत्त होने के बाद फिलहाल वह लखनऊ में ही अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। प्रयागराज में जन्मी जया का पैतृक निवास अल्लापुर स्थित बाघम्बरी हाउसिंग स्कीम में है।

बचपन से ही मेघावी रही जया की स्कूली शिक्षा सेंट मेरी कान्वेंट इंटर कालेज से हुई। उसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी (PCM) की। उन्होंने परास्नातक की पढ़ाई भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही की। यहां से उन्होंने मनोविज्ञान से परास्नातक किया।

कानपुर सेंट्रल से की थी नौकरी की शुरुआत

जया वर्मा ट्रेनिंग के बाद 1990 में कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर सहायक वाणिज्य प्रबंधक (एसीएम) बनीं। खास बात यह रही कि डेढ़ साल के उनके कार्यकाल के दौरान कभी कर्मचारियों को आंदोलन नहीं करना पड़ा।

उस समय सेंट्रल पर चीफ ऑपरेटिंग सुपरवाइजर (COS) रहे जेबी सिंह यूनियन नेता भी थे। वे बताते हैं कि जया वर्मा हर कर्मचारी की समस्याएं सुनती थीं। यथा संभव उनका समाधान भी कराती थीं। इस वजह से उन लोगों को कभी आंदोलन करने की जरूरत ही नहीं पड़ी।

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उ.प्र.पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने जारी किया 2024 कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का रिजल्ट

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लखनऊ। उ.प्र.पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने लंबे समय से प्रतीक्षारत एग्जाम के रिजल्ट की घोषणा कर दी है। जो उम्मीदवार इस भर्ती परीक्षा में शामिल हुए थे वे आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपना परिणाम चेक कर सकते हैं। जानकारी दे दें कि इस भर्ती के लिखित परीक्षा में कुल वैकेंसी के ढाई गुना 1,74,316 उम्मीदवार सफल हुए हैं। रिजल्ट के साथ ही कटऑफ भी जारी किया गया है, जिसमें अनारक्षित वर्ग का कटऑफ 214.04644 है।

अब आगे क्या होगा?

पास उम्मीदवारों का फिजिकल टेस्ट और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन जनवरी 2025 के तीसरे हफ्ते में आयोजित होगा। यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में करीबन 48 लाख रजिस्टर थे जिसमें से लगभग 32 लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी। गौरतलब है कि यूपी पुलिस कांस्टेबल के लिए लिखित परीक्षा 23, 24, 25 अगस्त और 30, 31 अगस्त को आयोजित की गई थी।

जारी की गई थी आंसर-की

इससे पहले 30 अक्टूबर को, बोर्ड ने फाइनल आंसर-की जारी की थी, जो 9 नवंबर तक uppbpb.gov.in पर डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध थी। बोर्ड ने इस दौरान 70 आपत्तियों को सही माना था।

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