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बिजनेस

SBI के इंफ्रा बॉन्ड को मिला दमदार रिस्पांस, जुटाए 10,000 करोड़ रुपये

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Infra bond of SBI

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नई दिल्ली। सार्वजानिक क्षेत्र के देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of Inida- SBI) की ओर से जारी किए पहले इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड को निवेशकों का जबर्दस्त समर्थन मिला है। कल शुक्रवार को जारी इन बॉन्ड के जरिए एसबीआई 10,000 करोड़ रुपये का फंड जुटाने में सफल रही है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब देश में किसी बैंक की ओर से एक बार में इंफ्रा बॉन्ड के जरिए इतनी बड़ी राशि जुटाई गई है।

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बैंक की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अगले 10 साल के लिए जारी किए गए इन बॉन्ड्स से मिलने वाले पैसे का उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर और किफायती या बजट घरों (affordable housing) के लिए दिए जाने वाले लोन को फंड करने के लिए किया जाएगा।

बैंक ने बताया कि इंफ्रा बॉन्ड की 143 बोलियों के बेस के मुकाबले 16,366 करोड़ रुपये और 3.27 गुना सब्सक्रिप्शन मिला, जो कि बैंक के प्रति निवेशकों के विश्वास को दिखाता है।

निवेशकों को मिलेगा 7.51 प्रतिशत का लाभ

बैंक ने बताया कि 10,000 करोड़ रुपये के इंफ्रा बांड्स पर 7.51 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जाएगा और इन बॉन्ड्स पर ये लाभ 10 साल की अवधि तक दिया जाएगा। बॉन्ड पर समान तरह की सरकारी प्रतिभूतियों के मुकाबले 17 बेसिस पांइट्स का अधिक लाभ दिया जा रहा है, जो कि उच्च गुणवत्ता को दिखाता है।

इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फंड करने में मिलेगी मदद

एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने बॉन्ड सेल पर कमेंट करते हुए कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना देश की पहली प्राथमिकता है और देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक होने के सोशल, ग्रीन और इंफ्रा प्रोजेक्ट्स को फंड करने में बैंक सबसे आगे रहेगा।

घरेलू क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की ओर से एसबीआई द्वारा जारी किए गए इंफ्रा बांड को AAA- रेटिंग दी गई है, जो इस प्रकार के बॉन्ड की उच्च गुणवत्ता को दिखाता है।

E-Rupee पर भी बोले SBI चेयरमैन

एसबीआई के चेयरमैन ने एक दिसंबर को देश में शुरू हुए पायलट प्रोजेक्ट पर कहा कि ये एक क्रांतिकारी कदम है और इसके जरिए हमें कम से कम लागत पर मौद्रिक संचरण सुनिश्चित करना चाहिए। आगे कहा कि इसकी स्वीकृति के लिए गुमनामी कारक महत्वपूर्ण है। साथ ही यह इनोवेशन को भी बढ़ावा देता है।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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