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लाई डिटेक्टर, पॉलीग्राफ टेस्ट या ब्रेन मैपिंग निश्चित रूप से महत्वपूर्ण साक्ष्य: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि भले ही लाई डिटेक्टर टेस्ट या पॉलीग्राफ टेस्ट अथवा ब्रेन मैपिंग किसी मामले में आरोपी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त न हों, लेकिन अदालतें इन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकतीं। यह निश्चित रूप से महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं। शीर्ष अदालत ने इस टिप्पणी के साथ ही हत्यारोपियों को बरी करने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले को खारिज कर दिया।

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने पिछले दिनों दिए आदेश में कहा, आरोप तय करने के चरण में अदालत को प्रथम दृष्टया उपलब्ध सामग्री को देखने की जरूरत है, क्योंकि ट्रायल के दौरान सबूतों की सत्यता, पर्याप्तता और स्वीकार्यता की जांच की जानी चाहिए।

यह था मामला

दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने हुसैन मोहम्मद शताफ और उसकी पत्नी वहीदा हुसैन शताफ व अन्य को मनमोहन सिंह सुखदेव सिंह विर्दी की हत्या मामले में आरोपमुक्त कर दिया था। विर्दी लोनावाला का रहने वाला था। हत्या के मामले में हुसैन और चार सह अभियुक्तों के पॉलीग्राफ व ब्रेन मैपिंग टेस्ट के आधार पर मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन किया गया था। इन्हें दरकिनार कर हाईकोर्ट ने बाकी सबूतों के आधार पर आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि ऐसे मनोवैज्ञानिक परीक्षण की रिपोर्ट किसी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है, फिर भी निश्चित रूप से यह सबूतों का एक अहम भाग है।

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पीएम मोदी ने ‘पराक्रम दिवस’ पर सुभाष चंद्र बोस को अर्पित की श्रद्धांजलि

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोगों से ‘विकसित भारत’ के लिए एकजुट रहने का आह्वान किया और देश को कमजोर करने और इसकी एकता को तोड़ने की कोशिश करने वाली ताकतों के खिलाफ चेतावनी दी। सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती के उपलक्ष्य में कटक में आयोजित ‘पराक्रम दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी का जीवन लोगों के लिए निरंतर प्रेरणा का स्रोत है।

वे कभी भी आराम के दायरे में नहीं फंसे- पीएम

अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी ने आराम के दायरे से बाहर निकलकर देश की आजादी के लिए संघर्ष करना पसंद किया। पीएम ने आगे कहा, ‘वे कभी भी आराम के दायरे में नहीं फंसे। इसी तरह, हम सभी को एक विकसित भारत बनाने के लिए अपने आराम के दायरे से बाहर निकलना होगा। हमें खुद को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा। हमें उत्कृष्टता को चुनना होगा और दक्षता पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

‘देश के ‘स्वराज’ पर पूरी तरह केंद्रित थे नेताजी’

उन्होंने कहा कि बोस देश के ‘स्वराज’ (स्वशासन) पर पूरी तरह केंद्रित थे और कई पृष्ठभूमि के लोग इस उद्देश्य के लिए एकजुट हुए। उन्होंने कहा, ‘अब हमें विकसित भारत के लिए एकजुट रहना होगा।’ उन्होंने कहा कि लोगों को भारत की एकता के लिए बोस के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमें उन लोगों से सावधान रहना होगा जो देश को कमजोर करना चाहते हैं और इसकी एकता को तोड़ना चाहते हैं।’

‘विरासत को बढ़ावा देने पर सरकार कर रही काम’

प्रधानमंत्री ने बोस के नाम पर अंडमान में द्वीपों का नामकरण, इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा स्थापित करना और उनकी जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाना जैसे कई फैसलों का हवाला दिया, जो उनकी विरासत को बढ़ावा देने के लिए उनके काम पर जोर देने के लिए उनकी सरकार की तरफ से लिए गए थे। उन्होंने कहा कि बोस को भारत की विरासत पर गर्व था। उन्होंने कहा कि विकास की तेज गति लोगों की प्रगति, सशस्त्र बलों को मजबूत करने और समग्र विकास के साथ-साथ चलती है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है, आधुनिक बुनियादी ढांचे का भी निर्माण किया जा रहा है और सशस्त्र बलों की ताकत अभूतपूर्व तरीके से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर एक मजबूत आवाज के रूप में उभरा है।

पीएम मोदी ने नेताजी को किया नमन

इससे पहले पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में एक वीडियो साझा करते हुए लिखा- आज पराक्रम दिवस पर मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अद्वितीय है। वे साहस और धैर्य के प्रतीक थे। उनका विजन हमें प्रेरित करता रहता है, क्योंकि हम उनके सपनों का भारत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

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