उत्तर प्रदेश
भगवान राम करुणा, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और निःस्वार्थता सहित एक धर्मी नेता के सभी गुणों के प्रतीक: प्रेम भूषण जी महाराज
लखनऊ। दयाल बाग में राजेश सिंह दयाल फ़ाउंडेशन द्वारा आयोजित भगवान श्री राम कथा के द्वितीय दिवस पर भारी संख्या में लोगों ने कथा श्रवण किया। कथा के आयोजक राजेश सिंह दयाल ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि भगवान राम जैसा चरित्र इस संसार में पैदा नहीं हुआ। वह परम उदार, दयालु और मार्ग दर्शक हैं। भगवान राम का नाम उनसे बड़ा है। उनके नाम में इतनी शक्ति है कि अगर सच्ची भक्ति और निष्ठा से पत्थर पर लिखने से पानी तैरने लगता है। भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहे जाते हैं।
कथाव्यास पूज्य प्रेम भूषण जी महाराज ने द्वितीय दिवस भगवान श्री राम के जन्मदिन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि श्री राम कथा मूल्यवान जीवन पाठ हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं। धर्म का पालन करने का महत्व, भक्ति की शक्ति, अहंकार के परिणाम, निष्ठा का महत्व, क्षमा की शक्ति और आत्म-संयम का महत्व भगवान श्री राम, मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में भी पूजनीय हैं, जिसका अनुवाद “सद्गुण के नियमों का पालन करने वाले पुरुषों में सर्वश्रेष्ठ” है। यह उपाधि भगवान राम को दी गई है क्योंकि उन्हें धार्मिकता का प्रतीक माना जाता है, और उन्होंने हमेशा धर्म के सिद्धांतों का पालन किया।
संपूर्ण कथा में, भगवान राम को नैतिक आचरण और नैतिक सदाचार के आदर्श के रूप में चित्रित किया गया है। वह करुणा, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और निःस्वार्थता सहित एक धर्मी नेता के सभी गुणों का प्रतीक है। उनके कार्य हमेशा अपने लोगों और अपने परिवार के प्रति कर्तव्य और जिम्मेदारी की भावना से निर्देशित होते हैं।
अपनी नैतिक उत्कृष्टता के अलावा, भगवान राम को सामाजिक मानदंडों और नैतिक संहिताओं को बनाए रखने के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए भी जाना जाता है। वह आचरण के नियमों का पालन करने और अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में अनुशासन बनाए रखने के महत्व में दृढ़ विश्वास रखते हैं।
“मर्यादा पुरुषोत्तम” शब्द भगवान राम के इन सिद्धांतों के पालन पर जोर देता है, यहां तक कि बड़ी प्रतिकूलता के बावजूद भी। धर्म के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और उनकी अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं और जरूरतों को बड़े अच्छे के लिए बलिदान करने की उनकी इच्छा उन्हें नैतिक नेतृत्व और नैतिक ईमानदारी का प्रतीक बनाती है।
भगवान राम का अनुकरणीय चरित्र और धार्मिकता और नैतिक आचरण के प्रति उनका अटूट समर्पण उन सभी के लिए प्रेरणा का काम करता है जो नैतिक सिद्धांतों और नैतिक मूल्यों द्वारा निर्देशित जीवन जीने का प्रयास करते हैं। कथा के द्वितीय दिवस उत्तरप्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, पूर्व मंत्री डॉ महेंद्र सिंह एवं अन्य प्रमुख गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
उत्तर प्रदेश
सीएम योगी की पहल पर आयोग का फैसला, एक ही दिन होगी पीसीएस (प्रा.) परीक्षा
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने प्रयागराज में प्रदर्शन कर रहे प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए बड़ा निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री की पहल पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने आगामी पीसीएस (प्रारंभिक) परीक्षा 2024 को एक ही दिन में आयोजित करने का फैसला किया है। इस निर्णय से प्रतियोगी परीक्षा देने वाले लाखों छात्रों को राहत मिली है।
छात्रों के हित में सीएम योगी की पहल
पिछले कुछ दिनों से पीसीएस और अन्य चयन परीक्षाओं को लेकर छात्रों के बीच असंतोष की स्थिति थी। छात्रों की मांग थी कि पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा को एकाधिक पालियों में कराने के बजाय एक ही दिन में संपन्न कराया जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छात्रों की इन मांगों का संज्ञान लेते हुए आयोग को निर्देश दिया कि वह छात्रों के साथ संवाद स्थापित कर आवश्यक निर्णय ले। आयोग ने मुख्यमंत्री के निर्देश पर छात्रों से संवाद किया और उनकी मांगों पर विचार करते हुए यह निर्णय लिया कि पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2024 पूर्व की भांति एक ही दिन में आयोजित की जाएगी।
आरओ/एआरओ परीक्षा के लिए समिति का गठन
मुख्यमंत्री की पहल पर यूपीपीएससी ने समीक्षा अधिकारी (आरओ) और सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) परीक्षा-2023 को स्थगित करते हुए उसकी पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एक समिति का गठन किया है। यह समिति सभी पहलुओं पर गहन अध्ययन कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट शीघ्र प्रस्तुत करेगी, जिससे इन परीक्षाओं की शुचिता और विश्वसनीयता को सुनिश्चित किया जा सके।
चयन परीक्षाओं की पारदर्शिता पर विशेष ध्यान
आयोग के सचिव ने बताया कि हाल के महीनों में देश के कई हिस्सों में पेपर लीक की घटनाओं को देखते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार ने चयन परीक्षाओं की शुचिता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है। इसी कारण, आयोग ने दिसंबर में प्रस्तावित पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षाओं को एकाधिक पालियों में आयोजित करने की घोषणा की थी। हालांकि, छात्रों की मांग और मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद अब पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा एक ही दिन में आयोजित की जाएगी।
छात्रों को मिलेगा फायदा
इस फैसले से लाखों छात्र जो इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। परीक्षा को एक ही दिन में आयोजित करने से छात्रों को परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता का भरोसा मिलेगा। साथ ही, आयोग द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट से भविष्य में होने वाली परीक्षाओं की शुचिता को और अधिक मजबूती मिलेगी। इस फैसले के बाद छात्रों में खुशी की लहर है और वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस त्वरित निर्णय की सराहना कर रहे हैं।
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