उत्तर प्रदेश
एकता का महाकुम्भ: पुलिस बनी मददगार, श्रद्धालुओं के साथ कुशल व्यवहार से जीता दिल
महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की अगाध श्रद्धा देखने को मिली। करोड़ों की संख्या में लोग पुण्य स्नान के लिए संगम तट की ओर उमड़ पड़े। इस दौरान जो सबसे अनूठी चीज देखने को मिली वो पुलिस का व्यवहार। यूं तो श्रद्धालुओं को राह दिखाने के लिए मेला प्रशासन की ओर से 800 के करीब साइनेजेस लगाए गए हैं, लेकिन राह दिखाने के लिए योगी सरकार की पुलिस पर लोगों ने ज्यादा भरोसा दिखाया। पांटून ब्रिज हो या सेक्टर, श्रद्धालु जब भी पुलिस बल से कहीं भी जाने की राह पूछते तो पुलिस कर्मी उन्हें पूरी विनम्रता के साथ उनके गंतव्य के लिए राह दिखा देते। पुलिस की यह विनम्रता देखकर श्रद्धालु भी बेहद खुश नजर आए।
दो महीने तक कराई गई है ट्रेनिंग
महाकुम्भ को लेकर इस बार योगी सरकार के निर्देश पर बड़े पैमाने पर पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग कराई गई है। परेड स्थित पुलिस लाइन में लगातार दो महीने तक पुलिसकर्मियों को बिहेवियर की ट्रेनिंग कराई गई है, जिसका असर सोमवार को पहले स्नान पर्व पर दिखाई दिया। बड़ी संख्या में लोग पुलिसकर्मियों से पांटून ब्रिज पर आने और जाने के विषय में जानकारी लेते रहे। इसी तरह, सेक्टर की जानकारी के लिए भी पुलिसकर्मी ही श्रद्धालुओं की पहली प्राथमिकता रहे। खास बात ये थी कि पुलिसकर्मियों ने भी कुशल व्यवहार का परिचय देते हुए पूरी विनम्रता से श्रद्धालुओं की मदद की। यही नहीं, पुलिसकर्मी बुजुर्गों, महिलाओं और दिव्यांग लोगों की मदद करते भी नजर आए।
हर चौराहे पर पुलिस सहायता बूथों पर तैनात रहे जवान
पहले स्नान पर्व पर भारी भीड़ के अनुमान को देखते हुए घाटों पर भारी पुलिस फोर्स को तैनात किया गया, जबकि पांटून ब्रिज पर भी एंट्री और एग्जिट प्वॉइंट पर भारी संख्या में पुलिस फोर्स का डेप्लॉयमेंट नजर आया। गंगा के दोनों तरफ सभी प्रमुख चौराहों पर पुलिस सहायता बूथों की स्थापना की गई थी, जहां पर पुलिस कर्मी चौकन्ने और मुस्तैद नजर आए। चौराहों पर वॉच टावर पर भी पुलिस बल सक्रिय रहे और उन्होंने हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी। एसएसपी महाकुम्भ राजेश द्विवेदी ने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह मुस्तैद है। एक दिन पहले से ही सभी पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी पर पूरी तत्परता से कार्य कर रहे हैं। घाटों पर भी पूरी सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
आध्यात्म
महाकुम्भ: अमेरिकन सोल्जर माइकल बन गए बाबा मोक्षपुरी, आध्यात्मिक सनातन शक्ति ने मोहा मन
महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ 2025 ने भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के संतों और आध्यात्मिक गुरुओं को आकर्षित किया है। इनमें से एक नाम है अमेरिका के न्यू मैक्सिको में जन्मे बाबा मोक्षपुरी का, जिन्होंने प्रयागराज के पवित्र संगम पर अपनी उपस्थिति से सभी का ध्यान खींचा। कभी अमेरिकी सेना में सैनिक रहे माइकल अब बाबा मोक्षपुरी बन गये हैं। उन्होंने आध्यात्मिक यात्रा और सनातन धर्म से जुड़ने की कहानी साझा की।
सैनिक से आध्यात्मिक संत बनने का सफर
बाबा मोक्षपुरी कहते हैं, “मैं भी कभी साधारण व्यक्ति था। परिवार और पत्नी के साथ समय बिताना और घूमना मुझे पसंद था। सेना में भी शामिल हुआ। लेकिन एक समय ऐसा आया जब मैंने महसूस किया कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। तभी मैंने मोक्ष की तलाश में इस अनंत यात्रा की शुरुआत की।” आज वे जूना अखाड़े से जुड़े हैं और अपना पूरा जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर चुके हैं।
25 साल पहले पहली बार आए थे भारत
अमेरिका में जन्मे बाबा मोक्षपुरी ने साल 2000 में पहली बार अपने परिवार (पत्नी और बेटे) के साथ भारत यात्रा की। वह बताते हैं, “वह यात्रा मेरे जीवन की सबसे यादगार घटना थी। इसी दौरान मैंने ध्यान और योग को जाना और पहली बार सनातन धर्म के बारे में समझा। भारतीय संस्कृति और परंपराओं ने मुझे गहराई से प्रभावित किया। यह मेरी आध्यात्मिक जागृति का प्रारंभ था, जिसे मैं अब ईश्वर का आह्वान मानता हूं।”
बेटे की मृत्यु ने बदला दृष्टिकोण
बाबा मोक्षपुरी के जीवन में बड़ा बदलाव तब आया जब उनके बेटे का असमय निधन हो गया। उन्होंने कहा, “इस दुखद घटना ने मुझे यह समझने में मदद की कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। इसी दौरान मैंने ध्यान और योग को अपनी शरणस्थली बनाया, जिसने मुझे इस कठिन समय से बाहर निकाला।”
योग और सनातन धर्म के प्रचार में समर्पित है जीवन
उसके बाद बाबा मोक्षपुरी ने योग, ध्यान और अपने अनुभवों से मिली आध्यात्मिक समझ को समर्पित कर दिया। वे अब दुनिया भर में घूमकर भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की शिक्षाओं का प्रचार कर रहे हैं। 2016 में उज्जैन कुंभ के बाद से उन्होंने हर महा कुंभ में भाग लेने का संकल्प लिया है। उनका मानना है कि इतनी भव्य परंपरा सिर्फ भारत में ही संभव है।
नीम करोली बाबा से मिली प्रेरणा
बाबा मोक्षपुरी ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा में नीम करोली बाबा के प्रभाव को खासतौर पर बताया। वे कहते हैं, “नीम करोली बाबा के आश्रम में ध्यान और भक्ति की ऊर्जा ने मुझे गहराई से प्रभावित किया। मुझे वहां ऐसा लगा मानो बाबा स्वयं भगवान हनुमान का रूप हैं। यह अनुभव मेरे जीवन में भक्ति, ध्यान और योग के प्रति मेरी प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।”
न्यू मैक्सिको में आश्रम खोलने की योजना
भारत की आध्यात्मिक परंपराओं से गहरे जुड़े बाबा मोक्षपुरी ने अपनी पश्चिमी जीवनशैली को त्यागकर ध्यान और आत्मज्ञान के मार्ग को चुना। अब वे न्यू मैक्सिको में एक आश्रम खोलने की योजना बना रहे हैं, जहां से वे भारतीय दर्शन और योग का प्रचार करेंगे।
-
आध्यात्म21 minutes ago
मकर संक्रांति पर क्यों खाते है खिचड़ी, जानें इसका महत्व और लाभ
-
नेशनल3 days ago
जितना काम आम आदमी पार्टी ने पूर्वांचल समाज के लिए किया है, उतना किसी ने नहीं किया: केजरीवाल
-
उत्तर प्रदेश3 days ago
महाकुंभ में कैलाश मानसरोवर शिविर का आयोजन, एनआरआई हरि गुप्ता करेंगे मानसरोवर से जुड़े रहस्यों का पर्दाफाश
-
अन्तर्राष्ट्रीय1 day ago
डोनाल्ड ट्रंप के शपथग्रहण समारोह के लिए भारत को मिला न्योता, विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे शिरकत
-
प्रादेशिक2 days ago
थके हुए मुख्यमंत्री ने रिटायर्ड अधिकारियों के साथ मिलकर बिहार के युवाओं की आशाओं को निराशाओं में बदल दिया – तेजस्वी यादव
-
मनोरंजन1 day ago
नितिन गडकरी और अनुपम खेर ने देखी ‘इमरजेंसी’, साथ में कंगना भी थी मौजूद
-
अन्तर्राष्ट्रीय2 days ago
14 जनवरी को अपना आखिरी भाषण देंगे जो बाइडेन
-
मनोरंजन2 days ago
मॉडल और एक्ट्रेस चुम दरांग के सपोर्ट में आए अरुणाचल प्रदेश के CM पेमा खांडू