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उत्तर प्रदेश

अब सरयू में कीजिए वॉटर मेट्रो से सफर

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अयोध्या। अयोध्या आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक अब सरयू नदी में वाटर मेट्रो के जरिए जलविहार का आनंद ले सकेंगे। योगी सरकार द्वारा अयोध्या में पर्यटन को और समृद्ध करने के लिए तथा जल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वाटर मेट्रो का संचालन संत तुलसीदास घाट से गुप्तार घाट तक किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वाराणसी दौरे के दौरान वर्चुअल माध्यम से अयोध्या में वाटर मेट्रो का शुभारंभ किया।

तकनीकी सहायक बी गुप्ता ने बताया कि सरयू के किनारे संत तुलसी घाट से अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस वाटर मेट्रो करीब 14 किलोमीटर का सफर गुप्तार घाट तक तय करेगी। जिसमें एक साथ लगभग 50 यात्री जलविहार का आनंद उठा सकेंगे। पर्यावरण का ध्यान रखते हुए इस वाटर मेट्रो का संचालन किया जाएगा। अयोध्‍या में चलाई जाने वाली वॉटर मेट्रो में 50 सीटें हैं, जिसे दोनों किनारों पर स्‍थापित किया किया गया है। फाइबर की बनी इन सीटों को मजबूती के साथ फिक्‍स किया गया है, ताकि किसी तरह के हादसे की आशंका न रहे। कोचीन शिपयार्ड में बनी यह वॉटर मेट्रो सरयू नदी के ऊपर किसी क्रूज की तरह दिखाई देगी। मेट्रो पूरी तरह एयर कंडीशन है। उन्होंने बताया कि संत तुलसीदास घाट से गुप्तार घाट तक दोनों प्वाइंटों पर भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने सरयू किनारे जेटी की स्थापना की है, जहां पर वाटर मेट्रो के चार्जिंग के लिए बकायदा पॉइंट बनाए गए हैं और यहीं से यात्री वाटर मेट्रो पर सवार होंगे।

वाटर मेट्रो की खासियत

*- 50 सीटर एमवी (मोटर व्हिकल) बोट यानी वाटर मेट्रो का नाम कैटा मेरन वैसेल बोट है।

*- इस वाटर मेट्रो बोट को पूरा एयरकंडीशन बनाया गया है, जिसमें यात्रियों की जानकारी के लिए डिस्प्ले भी लगाया गया है।

*- यात्रियों के केबिन के आगे बोट पायलट का केबिन अलग बनाया गया है।

*- एक बार में इलेक्ट्रिक से चार्ज होकर यह वाटर मेट्रो बोट एक घंटे की यात्रा करने मे सक्षम है। इस दौरान यह एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन यानी अयोध्या के संत तुलसी घाट से गुप्तार घाट तक 14 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर लेगी।

*- किसी भी आपात अवस्था हेतु इस बोट में जीवन रक्षक जैकेट्स व अन्य उपकरण भी रखे गये हैं।

तकनीकी सहायक बी गुप्ता ने बताया केंद्रीय जलमार्ग मंत्रालय द्वारा इसको अगले कुछ दिनों में राज्य सरकार को हैंडओवर किया जायेगा। इसके बाद इसका परिचालन राज्य सरकार करवाएगी। इस वाटर मेट्रो की लागत वाराणसी एवं अयोध्या में प्राधिकरण के द्वारा दिए गये इलेक्ट्रिक कैटामरान नौका की लागत 36 करोड़ रुपए हैं।

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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के अतरैला टोल प्लाजा पर एसटीएफ ने मारा छापा, 120 करोड़ रुपये के घोटाले का किया पर्दाफाश

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मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने NHAI के अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर देशभर में फैले टोल वसूली के नेटवर्क से 120 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है. लखनऊ एसटीएफ ने बीते मंगलवार को मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर टोल मैनेजर समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 5 मोबाइल, दो लैपटॉप, प्रिंटर समेत 19 हजार रुपये भी किये बरामद किये हैं. एसटीएफ के इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने बताया कि एनएचएआई के दर्जनों टोल प्लाजा पर गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया.

इस तरह NHAI को लगा रहे थे चूना

टोल टैक्स में हो रहे इस घोटाले में बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों के ज़रिए हो रहा था। पूरे देश मे ऐसी गाड़ियों से टोल पर दोगना टोल लिया जाता है। इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों से दोगना पैसा तो लिया जाता था। फर्ज़ी रसीद भी दी जाती थी, लेकिन ये पैसा कर्मचारी आपस मे बांट लेते थे।

ये NHAI के खाते में नहीं जमा होता था। टोल का 50 फीसदी पैसा NHAI के खाते में जमा होता है। रोजाना इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए इस अकेले टोल से 40 से 50 हज़ार रुपये की कमाई होती है। इस टोल पर पिछले दो साल से इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर करीब 120 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है।

42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने का दावा

एसटीएफ के मुताबिक इस घोटाले का मुख्य आरोपी आलोक कुमार सिंह ने MCA किया हुआ है। आलोक ने एसटीएफ को बताया कि देश के करीब 200 टोल पर इस तरह का घपला हो रहा है और उसने खुद 42 टोल प्लाजा पर ये सॉफ्टवेयर इंस्टाल किया है। अब एसटीएफ बाकी टोल प्लाजा में लगे इस सॉफ्टवेयर को पकड़ने की कोशिश कर रही है। फिलहाल एसटीएफ ने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि जिन 42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल किए गए हैं वे किन जगहों पर हैं।

 

 

 

 

 

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