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उत्तराखंड

जोशीमठ की दरारों का दर्द: औली  को जोड़ने वाला रोपवे बंद, मिनी स्विट्ज़रलैंड नहीं पहुँच रहे पर्यटक

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Auli Ropeway Closed

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जोशीमठ। उत्तराखंड का जोशीमठ दरारों के दर्द के साथ-साथ लापरवाही के जख्मों से भी होकर गुजर रहा है। जोशीमठ से विश्व प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र और मिनी स्विट्ज़रलैंड कहे जाने वाले औली  को जोड़ने वाला रोपवे (Auli Ropeway Closed) पिछले एक वर्ष से बंद पड़ा हुआ है।

जोशीमठ में पड़ी दरारों के बाद से रोपवे को बंद करना पड़ा था। जोशीमठ के मनोहर बाग वार्ड में दरारें पडने के कारण रोपवे के टावर के नीचे की जमीन क्षतिग्रस्त हो गई थी जिस कारण तभी से रोपवे बंद पड़ा हुआ है।

शरद ऋतु में दिसंबर महीने से ही विश्व प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र औली में अंग्रेजी नववर्ष और क्रिसमस का त्यौहार मनाने वाले पर्यटकों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता है परंतु इस वर्ष औली का मुख्य आकर्षण और सैलानियों की पहली पसंद रोपवे बंद पड़ा हुआ है।

नहीं हो रही एडवांस बुकिंग

रोपवे बंद होने के कारण पर्यटन व्यवसायियों को चिंता सता रही है कि औली पहुंचने वाली पर्यटकों की संख्या में कमी आ सकती है। दिसंबर महीना औली के लिए होने वाली ऑनलाइन बुकिंग का अंतिम चरण है, लेकिन इस वर्ष पर्यटक रोपवे का संचालन न होने के कारण ऑनलाइन बुकिंग नहीं करवा रहे हैं। इसी वजह से ऑनलाइन बुकिंग में कमी आ रही है।

30 साल पहले शुरू हुआ था रोपवे का सफर

जोशीमठ से औली को जाने वाला यह रोपवे देश का सबसे लंबा रोपवे है। कुल 6000 फीट से 10,200 फीट की ऊंचाई तक पहुंचने वाला देश के इस सबसे लंबे रोपवे का सफर आज से लगभग 30 वर्ष पूर्व सन 1994 के दशक में शुरू हुआ था। तब से लेकर यह सफर निर्बाध रूप से संचालित हो रहा था परंतु जोशीमठ में पड़ी दरारों के कारण इस रोमांस के सफर पर 5 जनवरी से ब्रेक लग गया है।

गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) के पर्यटक आवास गृह के प्रबंधक प्रदीप मंदरवाल के अनुसार नव वर्ष और क्रिसमस के त्योहार पर औली आने के लिए पर्यटक एडवांस बुकिंग तो करवा रहे हैं परंतु रोपवे बंद होने की खबर मिलते ही पर्यटक बुकिंग कैंसिल करवा दे रहे हैं। रोपवे बंद होने के कारण गढ़वाल मंडल विकास निगम को करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया है। साथ ही जोशीमठ के पर्यटन कारोबारियों पर इसका गहरा असर पड़ा है।

GMVN की सड़क खस्ता हाल

औली को जाने वाली लगभग आधा किलोमीटर की GMVN की सड़क भी खस्ता हाल पड़ी हुई है जिस कारण औली पहुंचने वाले पर्यटकों को दिक्कत होना निश्चित है। यह सड़क पिछले 10 वर्षों से इसी प्रकार क्षतिग्रस्त है। दो विभागों के बीच हस्तांतरण की लड़ाई को लेकर यह सड़क नहीं बन सकी। बर्फबारी के दौर में यहां दुर्घटनाएं होने का खतरा मंडराता रहता है।

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उत्तराखंड

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे के निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया

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देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डाट काली मंदिर देहरादून में दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे के निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया। इस अवसर पर उन्होंने एक्सप्रेस वे के निर्माण में इस्तेमाल हो रही आधुनिक तकनीकों और पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों के बारे में अधिकारियों से जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून में दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे का कार्य अन्तिम चरण में हैं।

उन्होंने कहा कि इस एक्सप्रेस वे के पूर्ण होने पर देहरादून से दिल्ली का सफर मात्र दो से ढ़ाई घण्टे में पूर्ण हो जायेगा। इससे जहां लोगों का आवागमन सरल होगा। चारधाम यात्रा के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को और सुगमता होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की आर्थिकी को बढ़ाने, पयर्टन और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए भी यह प्रोजेक्ट सहायक सिद्ध होगा।

इस प्रोजेक्ट में इकोलॉजी और इकोनॉमी का समन्वय करते हुए एशिया का सबसे बड़ा वाइल्डलाइफ कॉरिडोर भी बनाया गया है, जो वन्यजीवों की सुरक्षा एवं उनकी आवाजाही को मुक्त और पूर्ण तरीके से सुरक्षित बनाएगा। वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने दिल्ली,यूपी और उत्तराखंड को जोड़ने वाले दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे परियोजना को मंजूरी दी। जनवरी 2021 से इस पर काम शुरू हो गया। इस प्रोजेक्ट का सबसे अहम हिस्सा 12 किमी लंबा एलिवेटेड रोड है। जिसका निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।

 

 

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