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राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द, सजा के बाद लोस सचिवालय का बड़ा फैसला

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Rahul Gandhi sad

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नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई है। मोदी सरनेम पर गुजरात की सूरत कोर्ट द्वारा कल दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद लोकसभा स्पीकर ने यह फैसला लिया है।

बता दें कि राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोल्लार में लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान एक विवादित बयान में कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है। इसको लेकर सूरत में उनके खिलाफ बीजेपी विधायक ने शिकायत दर्ज कराई थी।

बताते चलें कि जनप्रतिनिधत्व क़ानून के सेक्शन 8 (3) के तहत कोई भी जनप्रतिनिधि दो साल या उससे अधिक की सज़ा होने पर फैसले वाले दिन ही सदस्यता के लिए अयोग्य करार हो जाएगा। और वो जेल से रिहा होने के बाद वो 6 साल तक अयोग्य ही रहेगा, यानि चुनाव नही लड़ पायेगा।

इस क़ानून का सब सेक्शन 4 दोषी को समय देता था कि वो इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करे और अपनी इस अपील के पेंडिंग रहने का हवाला देकर अपनी सदस्यता बचा ले लेकिन साल 2013 के लिली थॉमस बनाम केन्द्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस सब सेक्शन 4 को ही रद्द कर दिया। इसका मतलब ये हुआ कि फैसला आने के वक़्त ही MP/MLA अयोग्य करार हो जाएगा, सम्बंधित सचिवालय (लोकसभा/विधानसभा) अधिकारिक सूचना मिलने पर उस सीट को रिक्त घोषित कर देंगे।

अगर आज के आदेश में कोर्ट सिर्फ सज़ा पर ही रोक लगाती है तो फिर स्पीकर राहुल की अपील पर  सेशन कोर्ट के रुख का इतंज़ार करने के लिए बाध्य नहीं है। वो जब चाहे फैसला ले सकते है।

ऐसे में राहुल की कोशिश रहेगी कि लोकसभा स्पीकर की ओर से सीट रिक्त की घोषणा से पहले ही वो दोष सिद्धि के फैसले पर भी सेशन कोर्ट से रोक हासिल कर ले ताकि उनकी संसद सदस्यता बची रहे।

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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