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राहुल गांधी 2019 में बन सकते हैं प्रधानमंत्री, वजह है ये पांच बातें!
नई दिल्ली। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद वह पहले से ज्यादा परिपक्व नजर आ रहे हैं। अब राहुल गांधी एक मंझे हुए राजनेताओं की तरह अपनी बात रखते नजर आते हैं। राहुल गांधी की अंदर आए इस बदलाव की वजह से अब उनके विरोधी खेमे के लोग भी उनकी तारीफ करते नजर आते हैं। हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के करीबी ने यहां तक कह दिया कि वह राहुल गांधी को प्रघानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। आज हम आपको राहुल गांधी की वह पांच बाते बताने जा रहे हैं जिससे वह 2019 में प्रधानमंत्री बन सकते हैं।
विपक्षी एकता पर जोर :राहुल गांधी के तरकश में सबसे बड़ा तीर है विपक्षी एकता। यदि 2019 के चुनाव में वे विपक्ष को एकजुट करने में सफल हो जाते हैं तो कोई आश्चर्य नहीं वे मोदी को पटखनी भी दे दें। इसका ताजा उदाहरण देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में देखने को मिला, जब एकजुट विपक्ष ने भाजपा से गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा सीटें छीन लीं। कैराना में तो भाजपा को ‘सहानुभूति लहर’ का फायदा भी नहीं मिल पाया, जहां दिवंगत सांसद हुकमसिंह की बेटी मृगांका सिंह चुनाव हार गईं।
भाजपा के बुजुर्ग नेताओं का सम्मान :भाजपा के बुजुर्ग नेताओं के प्रति सम्मान व्यक्त कर राहुल ने लोगों के दिलों में जगह बनाई है। हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जब अस्वस्थता के चलते एम्स में भर्ती हुए तो उन्हें देखने सबसे पहले राहुल गांधी ही पहुंचे थे। उन्होंने यह कहने में भी कोताही नहीं बरती कि वाजपेयी जी हमारे खिलाफ लड़े थे, लेकिन उन्होंने देश के लिए काम किया। मैं उन्हें देखने गया, यही हमारा इतिहास है और धर्म भी है। आडवाणी के बहाने भी उन्होंने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे धर्म में गुरु का सबसे ज्यादा सम्मान किया जाता है, लेकिन मोदी अपने गुरु आडवाणी का सम्मान नहीं करते हैं। हम आडवाणी जी की इज्जत की रक्षा करते हैं।
स्थानीय मुद्दों पर जोर :राहुल गांधी अब स्थानीय मुद्दों को उठाकर जनता को खुद से जोड़ने की सफल कोशिश भी करते हैं। मंदसौर गोलीकांड की बरसी पर किसान परिवारों को गले लगाकर उन्होंने न सिर्फ चुनाव वाले राज्य मध्यप्रदेश के लोगों को अच्छा संदेश दिया बल्कि खेतों के पास फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की बात कहकर लोगों की उम्मीदों को भी जगाया। हालांकि भावातिरेक में ‘मैड इन मंदसौर मोबाइल’ की बात कर गए, लेकिन यदि देखा जाए तो यह भी असंभव नहीं है।
पार्टी संगठन में बदलाव :गुजरात विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर देने के बाद राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी भाजपा से दो-दो हाथ करने का मन बना लिया है। इसके लिए सांगठनिक स्तर पर कई बदलाव किए गए हैं। मध्यप्रदेश जहां पार्टी की कमान वरिष्ठ नेता कमलनाथ को सौंपी गई है तो चुनाव अभियान की जिम्मेदारी युवा चेहरे ज्योतिरादित्य सिंधिया को दी गई है। इसके साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं। राजस्थान में भी संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। अशोक गेहलोत को पार्टी महासचिव बनाकर राज्य में युवा चेहरे सचिन पायलट का रास्ता साफ कर दिया गया है। इन बदलावों का असर भी देखने को मिल रहा है।
अनुशासन और एकता :राहुल गांधी धीरे-धीरे अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी एकजुट और अनुशासित करने में सफल होते दिख रहे हैं। वे कार्यकर्ताओं से यह कहने में भी नहीं चूकते कि लड़ाई झगड़ा तो कुछ समय बाद भी कर लेंगे, अभी तो हमें एकजुट होकर चुनाव लड़ना है, भाजपा को हराना है। कर्नाटक में जिस तरह कांग्रेस ने कुमारस्वामी को आगे रखकर सरकार बनाई, भाजपा को लाख कोशिशों के बाद भी मुंह की खानी पड़ी।
इसमें कोई संदेह नहीं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जिस तरह से आगे बढ़ रहे हैं, कोई आश्चर्य नहीं वे 2019 में चुनाव में मोदी को टक्कर देते दिखाई दें। कोई आश्चर्य नहीं कि वे एकजुट विपक्ष के दम पर भाजपा को सत्ता से बाहर भी कर दें।
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किसान एक बार फिर ‘दिल्ली कूच’ करने को तैयार, क्या है किसानों की मांग
नई दिल्ली। अपनी मांगें पूरी नहीं होने को लेकर किसान एक बार फिर ‘दिल्ली कूच’ करने की तैयारी में हैं. किसानों ने एक बार फिर सड़कों पर उतरने की योजना बना ली है. नोएडा के आक्रोशित किसान भारी संख्या में सोमवार (2 दिसंबर) को दिल्ली की ओर कूच करेंगे. रविवार को यहां के किसानों और प्राधिकरण के बीच लगभग 3 घंटे तक बैठक चली. लेकिन बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला, जिसके बाद किसानों अपनी मांगों को लेकर 2 दिसंबर को दिल्ली कूच करने का ऐलान किया. इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य गोरखपुर जैसे चार गुना मुआवजे, भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ और 10% विकसित भूखंड जैसी मांगों को लागू करवाना है.
किसानों की महामाया फ्लाईओवर से दिल्ली कूच की तैयारी
जानकारी के अनुसार, किसान दिल्ली कूच से पहले महामाया फ्लाईओवर के पास दोपहर 12 बजे से जुटना शुरू होंगे. किसान मोर्चा के बैनर तले किसान नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना क्षेत्र के गांव से आएंगे. किसान बड़ी संख्या में ट्रैक्टर ट्राली लेकर यहां पर पहुंचेंगे. फिर ये यहां से वह एक साथ दिल्ली की ओर कूच करेंगे. इस वजह से एक्सप्रेस-वे पर भी जाम रह सकता है. पुलिस की कोशिश किसानों को रोकने की रहेगी. ऐसे में एक्सप्रेस-वे, महामाया फ्लाईओवर के आस-पास और डीएनडी, चिल्ला बॉर्डर के रास्तों से आना-जाना मुश्किल होगा. पिछली बार भी किसान जब दिल्ली कूच के लिए जुटे थे तब यहां आस-पास की ट्रैफिक व्यवस्था कई घंटे तक बाधित रही.
क्या है किसानों की मांगें?
किसानों की मांग है कि उनको गौतमबुद्ध नगर में जमीन अधिग्रहण पर पूरे राज्य की तरह की दाम का 4 गुना मुआवजा दिया जाए. किसान कहते हैं कि पिछले 10 सालों में जो सर्किल रेट नहीं बढ़ा है उसे भी बढ़ाया जाए.इसके साथ ही, किसान विकसित भूखंड का 10 फीसदी दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
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