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राहुल की राजनीति- हम जीतेंगे तो लोकतंत्र ठीक, हारेंगे तो खराबः रविशंकर प्रसाद

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Ravi Shankar Prasad PC

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नई दिल्ली। सांसद पद से अयोग्य ठहराए जाने के बाद आज राहुल गांधी के प्रेस कांफ्रेंस कर भाजपा पर कई आरोप लगाए। आरोपों का जवाब देते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल पर मानहानि के 07 मामले चल रहे हैं।

उन्होंने कहा राहुल अगर ऐसी बातें जानबूझकर करते हैं तो भाजपा मानती है कि राहुल ने पिछड़ों का अपमान किया है। भाजपा पूरे देश में राहुल के बयान के खिलाफ आंदोलन करेगी।

रविशंकर प्रसाद ने कहा राहुल पर केस सूरत में दर्ज हुआ। उनके पास बड़े-बड़े वकीलों की फौज है। राज्यसभा और लोकसभा में बड़े बड़े वकील हैं। आखिर क्यों राहुल के मामले में वे लोग सूरत कोर्ट में नहीं गए? यही पवन खेड़ा का मामला था तो बड़े बड़े वकीलों की फौज पहुंच गई थी।

गाली देने का अधिकार राहुल गांधी को नहीं

रविशंकर प्रसाद ने कहा, “मोदी की सबसे बड़ी संख्या पिछड़े समाज से आती है। आलोचना का अधिकार, गाली देने का अधिकार राहुल गांधी को नहीं है। राहुल ने समुदाय को गाली दी है, बेइज्जत किया है। अगर राहुल को गलत बात कहने का अधिकार है तो पिछड़ों को भी कोर्ट जाने का अधिकार है। कोर्ट ने उन्हें माफी मांगने का मौका दिया, तो उन्होंने माफी मांगने से मना कर दिया।

नाखून कटाकर शहीद होने की कोशिश

राहुल गांधी प्रेसवार्ता के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में कानून है कि दो साल की सजा होगी तो आप तुरंत डिस्क्वालिफाई हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट यह बात कह चुका है, तो कांग्रेस पार्टी की तरफ से राहुल के मामले में स्टे हासिल करने की कोशिश नहीं की गई। क्या यह नाखून कटाकर शहीद होने की कोशिश की गई है।

यह जो पूरा प्रकरण है, यह सब सोची-समझी रणनीति है कि राहुल को बलिदानी बताओ और कर्नाटक चुनाव में इसका फायदा लो। राहुल को पीड़ित दिखाओ और कांग्रेस बचाओ। इसका जवाब तो आपको देना पड़ेगा। दोषी ठहराए जाने के बाद आपके लिए वकीलों की फौज ने स्टे की कोशिश क्यों नहीं की? अगर देश में सबके लिए एक ही कानून है तो क्या आपके लिए अलग से कानून बनेगा।

हम जीतेंगे तो लोकतंत्र ठीक, हम हारेंगे लोकतंत्र खराब

रविशंकर प्रसाद बोले, “आज राहुल ने फिर एक झूठ बोला। कहा कि मैंने लंदन में कुछ गलत नहीं बोला। राहुल की राजनीति बहुत सीधी है। हम जीतेंगे तो लोकतंत्र ठीक है, हम हारेंगे तो लोकतंत्र खराब है। हम जीतेंगे तो चुनाव आयोग ठीक है, हम हारेंगे तो चुनाव आयोग गलत है। हमारे पक्ष में फैसला आएगा तो न्यायालय ठीक है, हमारे पक्ष में नहीं तो न्यायालय खराब है।”

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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