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उत्तर प्रदेश

साजिश के तहत डिरेल की गई साबरमती एक्सप्रेस, बोल्डर से टकराया था इंजन, आईबी को सौंपी गई जांच

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कानपुर। कानपुर उत्तर प्रदेश में कानपुर के करीब साबरमती एक्सप्रेस आज सुबह 2.35 बजे पटरी से उतर गई। इस हादसे में ट्रेन के 22 डिब्बे पटरी से उतर गए। यह हादसा कानपुर सेंट्रल और भीमसेन स्टेशन के बीच हुआ है। गनीमत ये रही कि इस हादसे में कोई घायल नहीं हुआ है।

अब इस घटना को लेकर बड़ी जानकारी सामने आ रही है जिसके अनुसार यह कोई हादसा नहीं था बल्कि इसकी साजिश रची गई थी। घटना के बाद इसकी जांच की जिम्मेदारी यूपी पुलिस के साथ ही आईबी को सौंपी गई है। खुद केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट कर दी है।

अश्विनी वैष्णव ने लिखा कि साबरमती एक्सप्रेस का इंजन किसी वस्तु से टकराने की वजह से कानपुर के पास देर रात 2 बजकर 35 मिनट पर डिरेल हो गई। इस घटना में तीव्र प्रहार के निशान देखे गए हैं। साक्ष्य सुरक्षित हैं और घटना की जांच आईबी और यूपी पुलिस कर रही है। ट्रेन में सवार यात्रियों या कर्मचारियों को कोई चोट नहीं आई। रेल यात्रियों के आगे की यात्रा के लिए ट्रेन की व्यवस्था की जा चुकी है।

आपको बता दें कि घटना के बाद लोकोपायलट ने जानकारी देते हुए बताया था कि ट्रेन का इंजन किसी बोल्डर से टकराया और इसकी वजह से इंजन का कैटल गार्ड क्षतिग्रस्त हो गया और ट्रेन डिरेल हो गई. भारतीय रेलवे ने इस घटना को साजिश करार दिया है।

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के अतरैला टोल प्लाजा पर एसटीएफ ने मारा छापा, 120 करोड़ रुपये के घोटाले का किया पर्दाफाश

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मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने NHAI के अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर देशभर में फैले टोल वसूली के नेटवर्क से 120 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है. लखनऊ एसटीएफ ने बीते मंगलवार को मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर टोल मैनेजर समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 5 मोबाइल, दो लैपटॉप, प्रिंटर समेत 19 हजार रुपये भी किये बरामद किये हैं. एसटीएफ के इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने बताया कि एनएचएआई के दर्जनों टोल प्लाजा पर गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया.

इस तरह NHAI को लगा रहे थे चूना

टोल टैक्स में हो रहे इस घोटाले में बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों के ज़रिए हो रहा था। पूरे देश मे ऐसी गाड़ियों से टोल पर दोगना टोल लिया जाता है। इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों से दोगना पैसा तो लिया जाता था। फर्ज़ी रसीद भी दी जाती थी, लेकिन ये पैसा कर्मचारी आपस मे बांट लेते थे।

ये NHAI के खाते में नहीं जमा होता था। टोल का 50 फीसदी पैसा NHAI के खाते में जमा होता है। रोजाना इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए इस अकेले टोल से 40 से 50 हज़ार रुपये की कमाई होती है। इस टोल पर पिछले दो साल से इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर करीब 120 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है।

42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने का दावा

एसटीएफ के मुताबिक इस घोटाले का मुख्य आरोपी आलोक कुमार सिंह ने MCA किया हुआ है। आलोक ने एसटीएफ को बताया कि देश के करीब 200 टोल पर इस तरह का घपला हो रहा है और उसने खुद 42 टोल प्लाजा पर ये सॉफ्टवेयर इंस्टाल किया है। अब एसटीएफ बाकी टोल प्लाजा में लगे इस सॉफ्टवेयर को पकड़ने की कोशिश कर रही है। फिलहाल एसटीएफ ने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि जिन 42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल किए गए हैं वे किन जगहों पर हैं।

 

 

 

 

 

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