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सादगी की मिसाल हैं राज्यसभा के लिए नॉमिनेट होने वाली सुधा मूर्ति, जानें इनके बारे में सबकुछ

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति को राष्ट्रपति की ओर से राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने का एलान किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, मुझे ख़ुशी है कि भारत के राष्ट्रपति ने @SmtSudhaMurty जी को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। सामाजिक कार्य, परोपकार और शिक्षा सहित विविध क्षेत्रों में सुधा जी का योगदान बहुत बड़ा और प्रेरणादायक रहा है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, “राज्यसभा में सुधा मूर्ति की उपस्थिति हमारी ‘नारी शक्ति’ का एक शक्तिशाली प्रमाण है, जो हमारे देश की नियति को आकार देने में महिलाओं की ताकत और क्षमता का उदाहरण है। उनके सफल संसदीय कार्यकाल की कामना करता हूं।

कौन हैं सुधा मूर्ति?

सुधा मूर्ति का जन्म उत्तरी कर्नाटक के शिगगांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता डॉ. आरएच कुलकर्णी पेशे से एक सर्जन थे। उनकी मां का नाम विमला कुलकर्णी था। सूधा मूर्ति पढ़ने में बहुत अच्छी थीं। बचपन से ही उन्हें पढ़ाई का बेहतर माहौल मिला। वो एक अच्छी राइटर भी हैं। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं। उन्होंने बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, हुबली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। सुधा इंजीनियरिंग कॉलेज में 150 स्टूडेंट्स के बीच दाखिला पाने वाली पहली महिला थीं। जब वह क्लास में प्रथम आईं तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने उन्हें पदक से सम्मानित किया। बाद में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स की डिग्री ग्रहण की।

सुधा के पति का नाम एन. नारायण मूर्ति हैं, जो इंफोसिस के को-फाउंडर हैं। दोनों ने 1978 में शादी की थी। सुधा इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं। उनके बेटे का नाम रोहन मूर्ति और बेटी का नाम अक्षता मूर्ति है। अक्षता की शादी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ हुई है।
सुधा मूर्ति को भारत सरकार ने 2006 में पद्म श्री और 2023 में पद्म भूषण से सम्मानित किया है। इसके साथ ही, उन्हें 2006 में आरके नारायण पुरस्कार और 2023 में साहित्य अकादमी पुरस्कार व ग्लोबल इंडियन अवार्ड से सम्मानित किया गया है। सुधा को 2019 में आईआईटी कानपुर ने डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित किया है।

टेल्को में नियुक्ति होने वाली पहली महिला इंजीनियर हैं सुधा मूर्ति

सुधा मूर्ति देश की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता कंपनी टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी यानी टेल्को में नियुक्ति पाने वाली पहली महिला इंजीनियर हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के पुणे में एक डेवलमेंट इंजीनियर के रूप में कंपनी में शामिल हुई थीं। सुधा ने 1996 में इंफोसिस फाउंडेशन की शुरुआत की। वह बेंगलुरु यूनिवर्सिटी की विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं। उन्होंने क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाया है। सुधा के पति ने जब इंफोसिस फाउंडेशन की स्थापना की तो उन्होंने उन्हें 10000 रुपये उधार दिए और अपनी नौकरी छोड़कर कंपनी शुरू करने में पति नारायण मूर्ति की मदद की।

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पीएम मोदी ने ‘पराक्रम दिवस’ पर सुभाष चंद्र बोस को अर्पित की श्रद्धांजलि

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोगों से ‘विकसित भारत’ के लिए एकजुट रहने का आह्वान किया और देश को कमजोर करने और इसकी एकता को तोड़ने की कोशिश करने वाली ताकतों के खिलाफ चेतावनी दी। सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती के उपलक्ष्य में कटक में आयोजित ‘पराक्रम दिवस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी का जीवन लोगों के लिए निरंतर प्रेरणा का स्रोत है।

वे कभी भी आराम के दायरे में नहीं फंसे- पीएम

अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि नेताजी ने आराम के दायरे से बाहर निकलकर देश की आजादी के लिए संघर्ष करना पसंद किया। पीएम ने आगे कहा, ‘वे कभी भी आराम के दायरे में नहीं फंसे। इसी तरह, हम सभी को एक विकसित भारत बनाने के लिए अपने आराम के दायरे से बाहर निकलना होगा। हमें खुद को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा। हमें उत्कृष्टता को चुनना होगा और दक्षता पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

‘देश के ‘स्वराज’ पर पूरी तरह केंद्रित थे नेताजी’

उन्होंने कहा कि बोस देश के ‘स्वराज’ (स्वशासन) पर पूरी तरह केंद्रित थे और कई पृष्ठभूमि के लोग इस उद्देश्य के लिए एकजुट हुए। उन्होंने कहा, ‘अब हमें विकसित भारत के लिए एकजुट रहना होगा।’ उन्होंने कहा कि लोगों को भारत की एकता के लिए बोस के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमें उन लोगों से सावधान रहना होगा जो देश को कमजोर करना चाहते हैं और इसकी एकता को तोड़ना चाहते हैं।’

‘विरासत को बढ़ावा देने पर सरकार कर रही काम’

प्रधानमंत्री ने बोस के नाम पर अंडमान में द्वीपों का नामकरण, इंडिया गेट पर उनकी प्रतिमा स्थापित करना और उनकी जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाना जैसे कई फैसलों का हवाला दिया, जो उनकी विरासत को बढ़ावा देने के लिए उनके काम पर जोर देने के लिए उनकी सरकार की तरफ से लिए गए थे। उन्होंने कहा कि बोस को भारत की विरासत पर गर्व था। उन्होंने कहा कि विकास की तेज गति लोगों की प्रगति, सशस्त्र बलों को मजबूत करने और समग्र विकास के साथ-साथ चलती है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है, आधुनिक बुनियादी ढांचे का भी निर्माण किया जा रहा है और सशस्त्र बलों की ताकत अभूतपूर्व तरीके से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर एक मजबूत आवाज के रूप में उभरा है।

पीएम मोदी ने नेताजी को किया नमन

इससे पहले पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में एक वीडियो साझा करते हुए लिखा- आज पराक्रम दिवस पर मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान अद्वितीय है। वे साहस और धैर्य के प्रतीक थे। उनका विजन हमें प्रेरित करता रहता है, क्योंकि हम उनके सपनों का भारत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

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