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बिजनेस

10 फीसदी तक कम होगी PNG व CNG की कीमत, सरकार ने तय किया फॉर्मूला

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Price of PNG and CNG will be reduced by 10 percent

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत तय करने के लिए नए फॉर्मूले को मंजूरी दी है। इसके अलावा सीएनजी और पाइप से आपूर्ति की जाने वाली रसोई गैस की कीमतों की अधिकतम सीमा भी तय कर दी। इससे सीएनजी व पीएनजी के दाम 10 फीसदी तक घट जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में प्राकृतिक गैस पर किरीट पारिख समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी गई।

गुरुवार को कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि एपीएम गैस के रूप में मान्यता प्राप्त पारंपरिक क्षेत्रों से उत्पादित प्राकृतिक गैस को अब अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे देशों में गैस की कीमतों के बजाय कच्चे तेल की कीमत से जोड़ा जाएगा। सरकार का ये फैसला दूरगामी महत्व का होगा और इससे गैस की कीमत बहुत कम हो जाएगी।

तेल सचिव पंकज जैन ने कहा कि इससे पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) 10 फीसदी तक सस्ती हो जाएगी और कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) की कीमत 6 फीसदी से 9 फीसदी तक कम हो जाएगी।

शनिवार से लागू होगा फैसला

सरकार इस बदलाव की घोषणा के लिए आज शुक्रवार को अधिसूचना जारी करेगी और यह फैसला शनिवार से लागू हो जाएगा। सरकार ने एक बयान में कहा कि इस तरह की प्राकृतिक गैस की कीमत भारतीय क्रूड बास्केट के मासिक औसत का 10 प्रतिशत होगी।

बता दें कि भारत 2030 तक प्राथमिक ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य बना रहा है। सुधारों से प्राकृतिक गैस की खपत का विस्तार करने में मदद मिलेगी और उत्सर्जन में कमी और कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

उपभोक्ताओं को कितना फायदा?

तेल मंत्री हरदीप पुरी ने ट्वीट करके इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस कदम से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी। वर्तमान में, घरेलू गैस की कीमतें हर छह महीने में चार गैस ट्रेडिंग हब-हेनरी हब, अल्बेना, नेशनल बैलेंसिंग पॉइंट (ब्रिटेन) और रूस में कीमतों के आधार पर तय की जाती हैं।

सरकार ने कहा है कि चार गैस हब पर आधारित मूल्य निर्धारण पद्धति में समय अंतराल अधिक था और बहुत अधिक अस्थिरता थी, इसलिए इस सुधार की आवश्यकता महसूस की गई।

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जियो ने जोड़े सबसे अधिक ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’- ट्राई

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नई दिल्ली| भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, रिलायंस जियो ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में सबसे आगे है। सितंबर महीने में जियो ने करीब 17 लाख ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़े। समान अवधि में भारती एयरटेल ने 13 लाख तो वोडाफोन आइडिया (वीआई) ने 31 लाख के करीब ग्राहक गंवा दिए। ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ जोड़ने के मामले में जियो लगातार दूसरे महीने नंबर वन बना हुआ है। एयरटेल और वोडाआइडिया के ‘एक्टिव सब्सक्राइबर’ नंबर गिरने के कारण पूरे उद्योग में सक्रिय ग्राहकों की संख्या में गिरावट देखी गई, सितंबर माह में यह 15 लाख घटकर 106 करोड़ के करीब आ गई।

बताते चलें कि टेलीकॉम कंपनियों का परफॉर्मेंस उनके एक्टिव ग्राहकों की संख्या पर निर्भर करता है। क्योंकि एक्टिव ग्राहक ही कंपनियों के लिए राजस्व हासिल करने का सबसे महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि सितंबर माह में पूरी इंडस्ट्री को ही झटका लगा। जियो, एयरटेल और वीआई से करीब 1 करोड़ ग्राहक छिटक गए। मतलब 1 करोड़ के आसपास सिम बंद हो गए। ऐसा माना जा रहा है कि टैरिफ बढ़ने के बाद, उन ग्राहकों ने अपने नंबर बंद कर दिए, जिन्हें दो सिम की जरूरत नहीं थी।

बीएसएनएल की बाजार हिस्सेदारी में भी मामूली वृद्धि देखी गई। इस सरकारी कंपनी ने सितंबर में करीब 15 लाख वायरलेस डेटा ब्रॉडबैंड ग्राहक जोड़े, जो जुलाई और अगस्त के 56 लाख के औसत से काफी कम है। इसके अलावा, बीएसएनएल ने छह सर्किलों में ग्राहक खो दिए, जो हाल ही की वृद्धि के बाद मंदी के संकेत हैं।

ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि वायरलाइन ब्रॉडबैंड यानी फाइबर व अन्य वायरलाइन से जुड़े ग्राहकों की कुल संख्या 4 करोड़ 36 लाख पार कर गई है। सितंबर माह के दौरान इसमें 7 लाख 90 हजार नए ग्राहकों का इजाफा हुआ। सबसे अधिक ग्राहक रिलायंस जियो ने जोड़े। जियो ने सितंबर में 6 लाख 34 हजार ग्राहकों को अपने नेटवर्क से जोड़ा तो वहीं एयरटेल मात्र 98 हजार ग्राहक ही जोड़ पाया। इसके बाद जियो और एयरटेल की बाजार हिस्सेदारी 32.5% और 19.4% हो गई। समान अवधि में बीएसएनएल ने 52 हजार वायरलाइन ब्राडबैंड ग्राहक खो दिए।

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