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उत्तर प्रदेश

कानपुर में दर्दनाक सड़क हादसा, दो ट्रकों के बीच फंसकर कार के उड़े परखच्चे, पांच की मौत

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कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में आज सुबह हुए एक भीषण सड़क हादसे में पांच लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। मरने वालों में चार छात्र-छात्राएं हैं जो एक निजी कालेज से बीटेक कर रहे थे। हादसा इतना भयावह था कि कार चकनाचूर हो गई था। गैस कटर के सहायता से सभी शवों को बाहर निकाला गया। यह हादसा कानपुर-इटावा एलिवेटेड हाईवे पर भौती ढाल के पास हुआ।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाईवे पर सुबह एक तेज रफ्तार डंपर के चालक ने अचानक ब्रेक लगा दिया। जिससे डंपर के पीछे चल रही कार उसमें जा टकराई, इसके बाद दोनों वाहनों के पीछे चल रहे ट्राला ने कार को पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। दो ट्रकों के बीच कार के एक्सीडेंट में परखच्चे उड़े गए। इस हादसे में कार सवार पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

हादसे की सूचना मिलने पर पुलिस की टीम और अग्निशमन विभाग के कर्मी मौके पर पहुंचे। उन्होंने मृतकों को कार से बाहर निकाला और अस्पताल को भेज दिया। मृतकों में चार लोग पीएस‌आइटी के छात्र हैं, जिसमें दो छात्राएं भी शामिल हैं।

मृतकों में प्रतीक सिंह, गरिमा, सतीश, आयुषी व चालक विजय साहू शामिल हैं। इसके अतिरिक्त मृतकों में चालक सनिगवां निवासी विजय साहू भी शामिल है। डंपर चालक को पुलिस ने गिरफ्तार किया है या नहीं, इसको लेकर जानकारी सामने नहीं आई है।

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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के अतरैला टोल प्लाजा पर एसटीएफ ने मारा छापा, 120 करोड़ रुपये के घोटाले का किया पर्दाफाश

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मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने NHAI के अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर देशभर में फैले टोल वसूली के नेटवर्क से 120 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है. लखनऊ एसटीएफ ने बीते मंगलवार को मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर टोल मैनेजर समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 5 मोबाइल, दो लैपटॉप, प्रिंटर समेत 19 हजार रुपये भी किये बरामद किये हैं. एसटीएफ के इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने बताया कि एनएचएआई के दर्जनों टोल प्लाजा पर गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया.

इस तरह NHAI को लगा रहे थे चूना

टोल टैक्स में हो रहे इस घोटाले में बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों के ज़रिए हो रहा था। पूरे देश मे ऐसी गाड़ियों से टोल पर दोगना टोल लिया जाता है। इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों से दोगना पैसा तो लिया जाता था। फर्ज़ी रसीद भी दी जाती थी, लेकिन ये पैसा कर्मचारी आपस मे बांट लेते थे।

ये NHAI के खाते में नहीं जमा होता था। टोल का 50 फीसदी पैसा NHAI के खाते में जमा होता है। रोजाना इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए इस अकेले टोल से 40 से 50 हज़ार रुपये की कमाई होती है। इस टोल पर पिछले दो साल से इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर करीब 120 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है।

42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने का दावा

एसटीएफ के मुताबिक इस घोटाले का मुख्य आरोपी आलोक कुमार सिंह ने MCA किया हुआ है। आलोक ने एसटीएफ को बताया कि देश के करीब 200 टोल पर इस तरह का घपला हो रहा है और उसने खुद 42 टोल प्लाजा पर ये सॉफ्टवेयर इंस्टाल किया है। अब एसटीएफ बाकी टोल प्लाजा में लगे इस सॉफ्टवेयर को पकड़ने की कोशिश कर रही है। फिलहाल एसटीएफ ने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि जिन 42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल किए गए हैं वे किन जगहों पर हैं।

 

 

 

 

 

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