उत्तर प्रदेश
जज के दुर्व्यवहार से परेशान दरोगा मरने के लिए पटरी पर लेटा, पुलिस ने समझा-बुझाकर किया शांत
अलीगढ। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में जज के व्यवहार से परेशान होकर यूपी पुलिस का एक दरोगा आत्महत्या के इरादे से रेल की पटरी पर जाकर लेट गया। गनीमत रही कि ट्रैक पर किसी ट्रेन के आने से पहले इलाका पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिसकर्मियों ने नाराज दारोगा को समझा-बुझाकर शांत किया और उसे रेलवे ट्रैक से उठाकर वापस लाए। अब घटना से जुड़ा वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है।
वीडियो में उसने बताया कि वो मजिस्ट्रेट के गलत व्यवहार की वजह से वह खुदकुशी करने आया है। हालांकि साथियों की समझाइश के बाद दरोगा जैसे-तैसे उनके साथ वापस गया। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पूरा मामला अलीगढ़ के बन्नादेवी थाना का है। यहां पर तैनात सब इंस्पेक्टर सचिन कुमार मंगलवार को कोर्ट पहुंचे थे। सचिन कुमार बाइक चोर गैंग के 5 अरोपियों को लेकर 4 बजे कोर्ट पहुंचे थे। वह कोर्ट में आरोपियों की रिमांड मांगने के लिए गए थे। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि उनके साथ ही जज ने गलत व्यवहार कर दिया और गलत लोगों को गिरफ्तार करने की बात कह डाली।
दरोगा सचिन कुमार का आरोप है कि वह कोर्ट में न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उन्हें बुलाया लेकिन आरोपियों को रिमांड नहीं थी। वायरल वीडियो में मजिस्ट्रेट पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उसे मजिस्ट्रेट ने जबरन शाम 5 बजे से रात 10 बजे तक कोर्ट में खड़ा रखा है। उसे हर 10 मिनट में चेंबर में बुलाते थे और भला-बुरा कहते थे। मजिस्ट्रेट ने उससे कहा कि वह मुस्लिम लड़कों को फर्जी गिरफ्तार कर लाया है।
फर्जी गिरफ्तारी पर दरोगा ने मजिस्ट्रेट के सामने दलील रखी और बताया कि जिन 5 लोगों को उसने गिरफ्तार किया है वह सभी आदतन अपराधी हैं और सभी हिस्ट्रीशीटर भी हैं लेकिन मजिस्ट्रेट ने उसकी नहीं सुनी और बार-बार उसके साथ गलत व्यवहार करते रहे. इस पूरी घटना से सब इंस्पेक्टर सचिन इतना ज्यादा व्यथित हो गया कि उसने खुदकुशी की ही ठान ली. सब इंस्पेक्टर सचिन सीधे रेलवे ट्रैक पर जाकर लेट गया. जब उसके साथियों को पता चला तो बन्ना थाने का स्टाफ सब इंस्पेक्टर को बचाने के लिए पहुंच और जबरन वापस लेकर आए हैं।
उत्तर प्रदेश
अखिलेश यादव का योगी सरकार पर निशाना, कहा- नौकरी भाजपा के एजेंडे का हिस्सा नहीं
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पीसीएस-प्री और आरओ-एआरओ परीक्षा को लेकर बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने सोमवार को प्रयागराज में जमकर प्रदर्शन किया। लोकसेवा आयोग के दफ्तर के सामने हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच धक्कामुक्की भी हुई। जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए अभ्यर्थियों को खदेड़ दिया था। इस घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला है। अखिलेश ने कहा कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में का हिस्सा नहीं है।
उन्होंने कहा कि माहौल ‘योगी बनाम प्रतियोगी’ छात्र हो चुका है। आज उप्र के प्रतियोगी परीक्षाओं के हर अभ्यर्थी, हर छात्र, हर युवक-युवती की ज़ुबान पर यही है कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं। अखिलेश ने कहा कि उन्होंने चलवाया लाठी-डंडा, नौकरी नहीं जिनका एजेंडा। नहीं चाहिए अनुपयोगी सरकार। भाजपा सरकार नहीं धिक्कार है। अयोग्य लोगों का अयोग्य आयोग’ नहीं चाहिए।
सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा के लोग, जनता को रोज़ी-रोटी के संघर्ष में उलझाए रखने की राजनीति करते हैं, जिससे भाजपाई साम्प्रदायिक राजनीति की आड़ में भ्रष्टाचार करते रहें। सालों-साल वैकेंसी या तो निकलती नहीं है या फिर परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है। भाजपा ने छात्रों को पढ़ाई की मेज से उठाकर सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है।
उन्होंने कहा कि यही आक्रोशित अभ्यर्थी और उनके हताश-निराश परिवार वाले अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन रहे हैं। नौकरीपेशा, पढ़ा-लिखा मध्यवर्ग अब भावना में बहकर भाजपा के बहलावे-फुसलावे में आनेवाला नहीं। अब तो व्हाट्सएप ग्रुप के झूठे भाजपाई प्रचार के शिकार अभिभावकों को भी समझ आ गया है कि अपनी सत्ता पाने और बचाने के लिए भाजपा ने कैसे उनका भावनात्मक शोषण किया है। अब ये लोग भी भाजपा की नकारात्मक राजनीति के झांसे में आने वाले नहीं और बांटने वाली साम्प्रदायिक राजनीति को नकारकर ‘जोड़नेवाली सकारात्मक राजनीति’ को गले लगा रहे हैं। अब कोई भाजपाइयों का मानसिक गुलाम बनने को तैयार नहीं हैं।
अखिलेश ने कहा कि अब सब समझ गये हैं, भाजपा सरकार के रहते कुछ भी नहीं होनेवाला। भाजपा के पतन में ही छात्रों का उत्थान है। भाजपा और नौकरी में विरोधाभासी संबंध है। जब भाजपा जाएगी, तभी नौकरी आएगी।
उन्होंने कहा कि अब क्या भाजपा सरकार छात्रों के हॉस्टल या लॉज पर बुलडोज़र चलाएगी। भाजपाई जिस शिद्दत से नाइंसाफ़ी का बुलडोजर चला रहे हैं, अगर उसी शिद्दत से सरकार चलाई होती तो आज भाजपाइयों को छात्र आक्रोश से डरकर, अपने घरों में छुपकर नहीं बैठना पड़ता। आंदोलनकारियों के ग़ुस्से से घबराकर भाजपाइयों के घरों, दुकानों, प्रतिष्ठानों और गाड़ियों से भाजपा के झंडे उतर गये हैं। आंदोलनकारी युवा ऊँची आवाज़ में पूछ रहे हैं ‘अब कहाँ गायब हैं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने वाली भाजपा के नेता और कार्यकर्ता?’ क्या ये सिर्फ़ समाज को बाँटने के लिए बाहर निकलते हैं। जिस समय छात्रों की आवाज में आवाज मिलाने का समय है, उस समय ये भाजपाई, कहीं दबे-छिपे काट रहे हैं सत्ता की मलाई। सपा प्रमुख ने कहा कि नकारात्मक भाजपा और उसकी नकारात्मक झूठी राजनीति का समय पूरा हो गया है। जन-जन कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा।
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