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शीतकालीन सत्र के कामकाज को लेकर नाराज हैं सद्गुरु जग्गी वासुदेव
नई दिल्ली। भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी मुद्दे पर विपक्ष और सरकार के बीच शीतकालीन सत्र के कामकाज को लेकर गतिरोध जारी रहने के बीच आध्यात्मिक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि संसद में व्यवधान देखना निराशाजनक है।
सद्गुरु जिनके एक्स पर 4 मिलियन से ज़्यादा फ़ॉलोअर्स हैं। उन्होंने लिखा, ‘भारतीय संसद में व्यवधान देखना निराशाजनक है। ख़ासकर तब जब हम दुनिया के लिए लोकतंत्र का प्रतीक बनने की आकांक्षा रखते हैं। भारत के वेल्थ क्रिएटर्स और रोज़गार देने वालों के खिलाफ राजनीतिक बयानबाज़ी का विषय नहीं बनने चाहिए.. अगर कोई खामियां हैं, तो उन्हें कानून के दायरे में संभाला जा सकता है, लेकिन उन्हें राजनीतिक फ़ुटबॉल नहीं बनना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में कारोबार बढ़ता रहना चाहिए। तभी भारत प्रगति करेगा।
संसद में हंगामा क्यों?
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही कांग्रेस ने लोकसभा में गौतम अडानी का मुद्दा उठाया है और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को उठाया है। हालांकि, इंडिया अलायंस के अन्य दलों ने इस मुद्दे से दूरी बना रखी है। संभल में हुई हिंसा पर समाजवादी पार्टी ने सरकार को निशाने पर लिया है। स्पीकर जगदीप धनखड़ को राज्यसभा से हटाने के लिए विपक्ष आक्रामक हो गया है। संसद सत्र 20 दिसंबर को खत्म होगा तो क्या यह पूरा सत्र असमंजस में ख़त्म होगा या क्या? ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है।
मोदी-अडानी विरोधी जैकेट पहनकर प्रदर्शन
अडानी घोटाले को लेकर कांग्रेस ने लगातार चौथे दिन संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस सांसदों ने जैकेट पहनी और अडानी और मोदी पर निशाना साधा। जैकेट पर विमान में एक साथ यात्रा करते हुए दोनों की तस्वीर साहसपूर्वक मुद्रित की गई थी। इस टी-शर्ट पर ‘मोदी-अडानी एक हैं, अडानी सेफ हैं’ कमेंट किया गया था। राहुल गांधी ने संसद परिसर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मोदी अडानी मामले की जांच नहीं कर सकते क्योंकि एक बार जांच शुरू करने के बाद मोदी को खुद जांच का सामना करना पड़ेगा।
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‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को कैबिनेट की मंजूरी, जल्द हो सकता है संसद में पेश
नई दिल्ली। ‘एक देश-एक चुनाव’ की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इस विधेयक को जल्द संसद के पटल पर भी रखा जा सकता है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमिटी ने एक देश एक चुनाव से जुड़ी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसके बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विस्तार से जानकारी दी थी।
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमिटी की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि पहले कदम में लोकसभा और राज्यसभा चुनाव को एक साथ कराना चाहिए। कमेटी ने सिफारिश की है कि लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव हो जाने चाहिए।
एक देश एक चुनाव का मकसद
एक देश एक चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन) एक ऐसा प्रस्ताव है, जिसके तहत भारत में लोकसभा और राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की बात की गई है। यह बीजेपी के मेनिफेस्टो के कुछ जरूरी लक्ष्यों में भी शामिल है। चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव रखने का यह कारण है कि इससे चुनावों में होने वाले खर्च में कमी हो सकती है।
दरअसल, देश में 1951 से लेकर 1967 के बीच एक साथ ही चुनाव होते थे और लोग केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के लिए एक समय पर ही वोटिंग करते थे। बाद में, देश के कुछ पुराने प्रदेशों का वापस गठन होने के साथ-साथ बहुत से नए राज्यों की स्थापना भी हुई। इसके चलते 1968-69 में इस सिस्टम को रोक दिया गया था. बीते कुछ सालों से इसे वापस शुरू करने पर विचार हो रहा है।
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