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उत्तर प्रदेश

स्वच्छ महाकुम्भ, स्वस्थ महाकुम्भ, इंसेक्ट फ्री महाकुम्भ के लिए वेक्टर कंट्रोल यूनिट तैनात

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महाकुम्भनगर : महाकुम्भ 2025 में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप महाकुम्भ को स्वस्थ और स्वच्छ महाकुम्भ बनाने के लिए बेहद खास इंतजाम किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में मेला क्षेत्र को इंसेक्ट फ्री (मच्छर-मक्खी मुक्त) रखने के लिए वेक्टर कंट्रोल यूनिट को तैनात किया गया है। वेक्टर कंट्रोल यूनिट वेल प्लान्ड तरीके से महाकुम्भ नगर के चप्पे-चप्पे को इंसेक्ट फ्री बनाने का काम करेगी, जिससे श्रद्धालुओं को डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से छुटकारा दिलाया जा सकेगा, जो मच्छरों के काटने से होती हैं। इसके साथ ही, मक्खियों के कारण होने वाली अनहाईजीनिक समस्याओं और बीमारियों से भी निजात मिल सकेगी।

वेक्टर कंट्रोल का पूरा प्लान तैयार

महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य को देखते हुए योगी सरकार कई अहम पहल कर रही है। वेक्टर कंट्रोल यूनिट का गठन इसी का एक उदाहरण है। वेक्टर कंट्रोल यूनिट के द्वारा मेले में व्यापक स्तर पर सैनिटाइजेशन किए जाने की तैयारी है। महाकुम्भ के नोडल जॉइंट डायरेक्टर (वेक्टर कंट्रोल) डॉ वीपी सिंह ने बताया कि महाकुम्भ के दौरान चप्पे-चप्पे पर कीटनाशक का छिड़काव किए जाने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि मेला क्षेत्र को 5 जोन में बांटा गया है। हर जोन में 5 सेक्टर हैं। कुल मिलाकर हमारे पास 25 सेक्टर हैं। प्रत्येक सेक्टर का इंचार्ज असिस्टेंट मलेरिया ऑफिसर (एएमओ) होगा। सभी सेक्टर्स में कुल मिलाकर 35 सैनिटेशन सर्किल हैं। प्रत्येक सर्किल में हमारे मलेरिया इंस्पेक्टर रहेंगे जो मौके पर रहकर वर्कर्स के माध्यम से स्प्रे गतिविधियों को संचालित कराएंगे।

मेला के साथ-साथ पार्किंग स्थलों में भी होगा छिड़काव

उन्होंने बताया कि प्रत्येक जोन में एक सब स्टोर है, जहां पर तीन दिन का स्टॉक होगा और यहां से अलग-अलग सर्किल को कीटनाशक उपलब्ध होता रहेगा। इसके अतिरिक्त डिस्ट्रिब्यूशन के लिए 25 मैजिक गाड़ियां हायर की गई हैं। हर सेक्टर में एक गाड़ी रहेगी, जिसका उद्देश्य कीटनाशक पहुंचाने के साथ ही मेला क्षेत्र में मुआयना करने का होगा। इस गाड़ी में दो वर्कर और एक सुपरवाइजर रहेंगे। यही टीम इस बार पहली बार मेला क्षेत्र में पार्किंग स्थलों में भी छिड़काव करेगी। सरकार ने इस बार पार्किंग स्थलों में भी शौचालय वगैरह की सुविधा प्रदान की है। इसलिए इन स्थानों पर कीटनाशक का छिड़काव महत्वपूर्ण है, जिसके लिए हम अपने स्टाफ को मोबिलिटी प्रदान कर रहे हैं।

इमरजेंसी के लिए 45 वर्कर्स रहेंगे मौजूद

वेक्टर कंट्रोल के असिस्टेंट नोडल और डीएमओ डॉ आनंद कुमार सिंह ने बताया कि मेला की विशेष कार्याधिकारी आकांक्षा राना के निर्देश पर इस बार हमने इमरजेंसी प्लान भी तैयार किया है। इसके लिए हमने 45 वर्कर्स की टीम तैयार की है जो 15-15 वर्कर्स के रूप में प्रत्येक शिफ्ट में अलग-अलग जोन में मौजूद रहेंगे। यह स्टोर के काम में लगेंगे, लेकिन इमरजेंसी की स्थिति में बाकी टीमों को डिस्टर्ब किए बिना इन्हें एक्टिव कर दिया जाएगा और ये मौके पर जाकर स्थिति को काबू करने का प्रयास करेंगे। इन सभी वर्कर्स को इमरजेंसी में मशीनें संचालित करने की खास ट्रेनिंग दी जाएगी। उन्होंने बताया कि कुम्भ की एक किमी. की पेरीफेरी में 150 वर्कर्स काम करेंगे। हमारी प्लानिंग के अनुसार मेला क्षेत्र के एक किमी. के दायरे में जहां आबादी है वहां भी छिड़काव कराया जा रहा है, क्योंकि अमूमन मच्छर एक से दो किमी. तक उड़कर आ जाता है। पेरीफेरी के सात जोन बनाए गए हैं। आवश्यकता पड़ने पर इन वर्कर्स को भी मेला क्षेत्र में बुलाया जा सकता है। पेरीफेरी क्षेत्र में 15 नवंबर से स्प्रे और एंटी लार्वा के छिड़काव का कार्य जारी है।

900 डेली वेजेस वर्कर्स करेंगे काम

उन्होंने बताया कि वेक्टर कंट्रोल का जोन सेक्टर 2 में स्थापित किया गया है। इस क्षेत्र में जो कर्मचारी बाहर से आ रहे हैं उनको वहां रुकवाया जा रहा है। जब उनके टेंट की व्यवस्था उनके क्षेत्र में हो जाएगी तब उन्हें वहां शिफ्ट किया जाएगा। अभी करीब 100 डेली वर्कर्स काम कर रहे हैं। जल्द ही यह संख्या 150 हो जाएगी, जबकि एक जनवरी से 550 वर्कर्स और 11 जनवरी से लगभग 900 डेली वेजेस वर्कर्स पूरे मेला के दौरान अलग-अलग सेक्टर में काम करेंगे। उन्होंने बताया कि अलग-अलग जनपदों से लगभग 250 पर्मानेंट स्टाफ मांगा गया है। यह डेली वेजेस वर्कर्स का सुपरविजन करेंगे। 45 मलेरिया इंस्पेक्टर, 28 असिस्टेंट मलेरिया इंस्पेक्टर, 5 डिस्ट्रिक्ट मलेरिया ऑफिसर, 80 सुपरवाइजर, 70 ट्रेन्ड फील्ड वर्कर्स की मांग की गई है।

वर्कर्स को पहली बार मिलेगी रहने और खाने की सुविधा

डॉ आनंद कुमार सिंह के अनुसार महाकुम्भ में छिड़काव और फॉगिंग करने वाले इन कर्मियों के लिए इस बार विशेष प्रबंध किए गए हैं। इन्हें पहली बार रहने और खाने की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। यह व्यवस्था यहां महाकुम्भ नगर में काम करने वाले हर दैनिक भोगी कर्मचारी को उपलब्ध होगी। इसका उद्देश्य यही है कि जरूरत पड़ने पर वर्कर्स उपलब्ध रहें और दूसरा उन्हें प्रतिदिन आने-जाने की जद्दोजहद से बचाना है। मेले में उनकी मौजूदगी श्रद्धालुओं को सुरक्षा का अहसास कराएगी।

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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के अतरैला टोल प्लाजा पर एसटीएफ ने मारा छापा, 120 करोड़ रुपये के घोटाले का किया पर्दाफाश

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मिर्जापुर। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने NHAI के अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर देशभर में फैले टोल वसूली के नेटवर्क से 120 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया है. लखनऊ एसटीएफ ने बीते मंगलवार को मिर्जापुर के लालगंज स्थित अतरैला टोल प्लाजा पर छापा मारकर टोल मैनेजर समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 5 मोबाइल, दो लैपटॉप, प्रिंटर समेत 19 हजार रुपये भी किये बरामद किये हैं. एसटीएफ के इंस्पेक्टर दीपक सिंह ने बताया कि एनएचएआई के दर्जनों टोल प्लाजा पर गड़बड़ी की शिकायतें मिलने के बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया.

इस तरह NHAI को लगा रहे थे चूना

टोल टैक्स में हो रहे इस घोटाले में बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों के ज़रिए हो रहा था। पूरे देश मे ऐसी गाड़ियों से टोल पर दोगना टोल लिया जाता है। इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए बिना फास्ट टैग वाली गाड़ियों या फ़ास्ट टैग एकाउंट में कम पैसे वाली गाड़ियों से दोगना पैसा तो लिया जाता था। फर्ज़ी रसीद भी दी जाती थी, लेकिन ये पैसा कर्मचारी आपस मे बांट लेते थे।

ये NHAI के खाते में नहीं जमा होता था। टोल का 50 फीसदी पैसा NHAI के खाते में जमा होता है। रोजाना इस सॉफ्टवेयर के ज़रिए इस अकेले टोल से 40 से 50 हज़ार रुपये की कमाई होती है। इस टोल पर पिछले दो साल से इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर करीब 120 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है।

42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने का दावा

एसटीएफ के मुताबिक इस घोटाले का मुख्य आरोपी आलोक कुमार सिंह ने MCA किया हुआ है। आलोक ने एसटीएफ को बताया कि देश के करीब 200 टोल पर इस तरह का घपला हो रहा है और उसने खुद 42 टोल प्लाजा पर ये सॉफ्टवेयर इंस्टाल किया है। अब एसटीएफ बाकी टोल प्लाजा में लगे इस सॉफ्टवेयर को पकड़ने की कोशिश कर रही है। फिलहाल एसटीएफ ने अभी यह खुलासा नहीं किया है कि जिन 42 टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर इंस्टाल किए गए हैं वे किन जगहों पर हैं।

 

 

 

 

 

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