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अन्तर्राष्ट्रीय

आखिर भारत को खटक गई कौन सी बात, जो UN में गाजा पर वोटिंग से हो गया दूर

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What upset India so much that it abstained from voting on Gaza in the UN?

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नई दिल्ली। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा से जुड़े प्रस्ताव पर हुए वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। इस प्रस्ताव में इजरायल-हमास संघर्ष में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध रूप से मानवीय सहायता पहुंचाने का आह्वान किया गया था।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि आतंकवाद ‘हानिकारक’ है और उसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं है। दुनिया को आतंकवादी कृत्यों को जायज ठहराने वालों की बातों को तवज्जो नहीं देनी चाहिए। सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव में हमास की तरफ से 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमलों की कोई स्पष्ट निंदा नहीं की गई है।

भारत ने क्यों नहीं की वोटिंग?

रिपोर्ट्स के अनुसार भारत ने प्रस्ताव के अंतिम मूलपाठ में उसके दृष्टिकोण को लेकर सभी तत्वों को शामिल नहीं किए जाने के कारण मतदान में भाग नहीं लिया। भारत गाजा में उभरते मानवीय संकट को लेकर चिंतित है लेकिन साथ ही पूरी दृढ़ता के साथ यह मानता है कि आतंकवाद को लेकर कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शुक्रवार को उस प्रस्ताव को अपनाया जिसमें तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष-विराम का आह्वान किया गया है, ताकि शत्रुता समाप्त हो सके।

क्या कहा भारत ने 

संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने कहा आतंकवाद हानिकारक है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती। दुनिया को आतंकवादी कृत्यों को जायज ठहराने की कोशिश करने वालों पर गौर नहीं करना चाहिए। आइए, हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने का दृष्टिकोण अपनाएं।

पटेल ने यह भी कहा ऐसी दुनिया में जहां मतभेदों और विवादों को बातचीत से हल किया जाना चाहिए, इस प्रतिष्ठित संस्था को हिंसा का सहारा लेने की घटनाओं पर गहराई से चिंतित होना चाहिए। हिंसा जब इतने बड़े पैमाने और तीव्रता पर होती है, तो यह बुनियादी मानवीय मूल्यों का अपमान है।

किसने पक्ष और किसने खिलाफ में किया मतदान

प्रस्ताव के पक्ष में 121 देशों ने मत किया, 44 सदस्य मतदान से दूर रहे और 14 सदस्यों ने इसके खिलाफ वोट दिया। भारत के साथ-साथ प्रस्ताव पर हुए मतदान के दौरान अनुपस्थित रहने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन और ब्रिटेन शामिल थे।

चीन, फ्रांस और रूस ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। प्रस्ताव में पूरी गाजा पट्टी में आम नागरिकों को आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं का तत्काल, निरंतर, पर्याप्त और निर्बाध प्रावधान करने की मांग की गई थी।

भारत ने क्या सही किया?

भारत ने प्रस्ताव पर वोटिंग ने दूर रहकर अपनी लंबे समय से चली आ रही सैद्धांतिक स्थिति का प्रतिनिधित्व किया। इसके तहत वह दुनिया के किसी भी कोने में अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद की निंदा करता है। साथ ही दो-राज्य समाधान के समर्थन सहित इजरायल और फिलिस्तीनियों दोनों की आकांक्षाओं का भी समर्थन करता है।

राज्य समाधान इजराइल-फिलिस्तीन संकट का प्रस्तावित समाधान इस तरह से है कि दो राष्ट्र, एक इजराइल का यहूदी राज्य और दूसरा फिलिस्तीन का अरब राज्य, इस क्षेत्र में एक साथ मौजूद रह सकें। औपचारिक रूप से, इजरायल और उसका प्रमुख समर्थक संयुक्त राज्य अमेरिका भी इस विचार का समर्थन करते हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने भी मतदान के दौरान दो-राज्य समाधान के लिए समर्थन व्यक्त किया।

अन्तर्राष्ट्रीय

देश छोड़कर भागने वाले असद की मुश्किलें बढ़ी, पत्नी अस्मा अल-असद ने अदालत में तलाक के लिए दी अर्जी

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सीरिया। सीरिया में छिड़े गृहयुद्ध के बाद राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर रूस भाग गए। देश छोड़कर भागने वाले असद की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक असद की ब्रिटिश पत्नी अस्मा अल-असद ने रूस की अदालत में तलाक के लिए अर्जी दी है। तुर्की और अरब मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक अस्मा अल असद मॉस्को में खुश नहीं हैं और वो अब लंदन जाना चाहती हैं। बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बशर अल असद के परिवार को अपने देश में राजनीतिक शरण दी है।

25 साल की अस्मा से हुई थी असद की शादी

बशर अल-असद की पत्नी अस्मा अल असद ने रूस के कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दाखिल की है और मॉस्को छोड़ने के लिए विशेष अनुमति का अनुरोध किया है। उनके दिए गए आवेदन पर रूसी अधिकारियों द्वारा विचार किया जा रहा है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अस्मा के पास ब्रिटेन और सीरिया की दोहरी नागरिकता है। अस्मा का घर लंदन में है जहां सीरियाई माता-पिता के यहां उनका जन्म हुआ था। अस्मा साल 2000 में सीरिया चली गईं थीं। साल 2000 में ही उनकी शादी बशर अल असद से हुई थी। उस वक्त अस्मा की उम्र 25 साल थी।

रूस में असद पर लगाए गए हैं गंभीर प्रतिबंध

अपना देश छोड़कर भागे सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल असद को भले ही रूस ने राजनीतिक शरण दिया था, लेकिन रूस में उनपर गंभीर प्रतिबंध लगाए गए हैं। असद को मॉस्को छोड़ने या किसी भी राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति नहीं है। जानकारी के मुताबिक रूसी अधिकारियों ने बशर अल-असद की संपत्ति और पैसा भी जब्त कर लिया है। असद सीरिया छोड़ते वक्त 270 किलोग्राम सोना लेकर आए थे। उनकी संपत्ति में 2 अरब डॉलर और मॉस्को में 18 अपार्टमेंट शामिल हैं।

असद के भाई को रूस में नहीं मिली है शरण

सीरिया के अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के भाई, माहेर अल-असद को रूस ने अपने देश में शरण नहीं दी है। उन्हें शरण देने के अनुरोध की अब भी समीक्षा की जा रही है। जानकारीा के मुताबिक असद के भाई माहेर और उनका परिवार रूस में ही नजरबंद हैं।

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