उत्तर प्रदेश
योगी सरकार देव दीपावली पर 12 लाख दीप से रोशन करेगी काशी के घाट
वाराणसी| काशी में 15 नवंबर को देव दीपावली होगी। देव दीपावली पर काशी के घाट दीपों की रोशनी से नहाये दिखाई देते हैं। दीपों की माला पहने हुए काशी के अर्धचन्द्राकार घाटों की छटा अलौकिक और अद्भुत दिखाई देती है। लोकल से ग्लोबल होती हुई देव दीपावली को देखने के लिए देशी और विदेशी मेहमान भी काशी आते हैं। इस वर्ष ये नज़ारा 15 नवंबर को दिखेगा, जब खुद देवता देव दीपावली मनाने के लिए काशी के घाटों पर उतरेंगे। योगी सरकार देव दीपावली को दिव्य व भव्य बनाने के लिए 12 लाख दीपों से घाटों और कुंडों को रोशन करेगी। इसमें लाखों दीप गाय के गोबर से बने होंगे। योगी सरकार देव दीपावली को दिव्य और भव्य स्वरूप देने के लिए इसे पहले ही प्रांतीय मेला घोषित कर चुकी है। देव दीपावली पर दिव्य लेज़र शो और ग्रीन आतिशबाजी का भी आयोजन होगा।
गाय के गोबर से बने होंगे लगभग तीन लाख दीप
काशी के 84 से अधिक घाटों, कुंडो और तालाबों पर इस साल योगी सरकार की तरफ से और जन सहभागिता के जरिये 12 लाख से अधिक दीप टीम-टिमाते हुए दिखेंगे। पर्यटन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर राजेंद्र कुमार रावत ने बताया कि 12 लाख दीयों में ढाई से तीन लाख दिये गाय के गोबर से बने होंगे। गंगा पार रेत पर भी दीपक जलते हुए दिखेंगे, जिससे घाट के पूर्वी क्षेत्र गंगा की रेत का इलाका भी पूरी तरह रोशनी से जगमग होगा। इसके अलावा घाटों की साफ़-सफाई होगी और गंगा किनारे सदियों से खड़े ऐतिहासिक घाटों को फसाड लाइट और इलेक्ट्रिक लाइट से रोशन किया जाएगा।
ग्रीन आतिशबाजी का भी दिखेगा नजारा
डिप्टी डायरेक्टर पर्यटन ने बताया कि लेज़र शो के माध्यम से घाट पर गंगा अवतरण व शिव महिमा की कहानी दिखाई जाएगी। गंगा पार रेत पर प्रदूषण रहित ग्रीन आतिशबाजी का भी शो किया जाएगा, जो पर्यावरण संरक्षण का सन्देश भी देगा। देव दीपावली पर काशी की इस अनोखे छटा को देखने के लिए देश विदेश से पर्यटक आते हैं। देव दीपावली पर होटल, गेस्ट हाउस,नाव, बजड़ा, बोट व क्रूज़ आदि सभी फुल हो जाते हैं।
उत्तर प्रदेश
प्रयागराज का वो धार्मिक स्थल जिसका प्रभु श्री राम से है अटूट संबंध
महाकुम्भनगर। प्रयागराज सनातन संस्कृति की प्राचीनतम नगरियों में से एक है। प्रयागराज की महत्ता और प्राचीनता का विवरण हमें ऋगवेद से लेकर पुराणों और रामायण, महाभारत जैसे महाकाव्यों में मिलता है। सनातन मतावलंबियों के आराध्य प्रभु श्रीराम के जीवन और वनवास प्रसंग से प्रयागराज का विशेष संबंध है। रामयाण में वर्णन मिलता है कि वनवास के लिए अयोध्या से निकल कर प्रभु श्रीराम प्रयागराज के श्रृंगवेरपुरधाम पहुंचे थे। जहां उन्होंने रात्रि निवास कर अपने बाल सखा निषादराज की मदद से गंगा नदी पार की थी और वहां से भरद्वाज मुनि के आश्रम पहुंचे थे। श्रृंगी ऋषि की तपस्थली होने कारण ही यह क्षेत्र श्रृंगवेरपुर कहलाता है, महाकुम्भ 2025 में सीएम योगी के मार्गदर्शन में श्रृंगवेरपुर में भव्य कॉरिडोर, विशाल प्रतिमा और निषादराज पार्क का निर्माण हुआ है।
श्रृंगीऋषि की तपोस्थली होने के कारण यह क्षेत्र कहलाता है श्रृंगवेरपुर
श्रृंगवेरपुर धाम और प्रभु श्रीराम का संबंध उनके जन्म के भी पहले का है। रामायण में वर्णन आता है कि पुत्रकामेष्टी यज्ञ के लिए राजा दशरथ ने वशिष्ठ मुनि के कहने पर श्रृंगी ऋषि को अयोध्या बुलाया था। श्रृंगी ऋषि के यज्ञ फल से ही राजा दशरथ को राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन के रूप में चार पुत्रों की प्राप्ति हुई थी। ऋषि विभाण्डक के पुत्र श्रृंगी ऋषि की तपस्थली होने के कारण गंगा तट का यह क्षेत्र श्रृंगवेरपुर कहलाता है। रामायण की कथा में वर्णित है कि प्रभु श्रीराम की बहन शांता का विवाह श्रृंगी ऋषि के साथ ही हुआ था। आज भी श्रृंगवेरपुर में श्रृंगी ऋषि और शांता मां का मंदिर है, जहां श्रद्धालु संतान प्राप्ति की कामना और पूजन करते हैं।
प्रभु श्रीराम और उनके बाल सखा निषाद राज का यहीं है मिलन स्थल
श्रृंगवेरपुर धाम ही वह स्थान है जहां प्रभु श्रीराम का मिलन अपने बाल सखा निषादराज से हुआ था। बाल्मीकि रामायण और तुलसी कृत राम चरित मानस में वर्णन आता है कि जब प्रभु श्रीराम राजा दशरथ की आज्ञा का पालन कर वनवास के लिए अयोध्या से निकले थे तो सबसे पहले वो श्रृंगवेरपुर ही पहुंचे थे। यहां उनका मिलन अपने बाल सखा निषादराज से हुआ था, जिनके कहने पर उन्होंने यहां एक रात्रि निवास भी किया था। केवटों का वह गांव आज भी रामचौरा के नाम से जाना जाता है। गंगा जी के तट के पास राम शयन आश्रम भी है, मान्यता है प्रभु श्रीराम ने माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ यहां ही रात्रि निवास किया था। श्रृंगवेरपुर के घाट से ही निषादराज ने प्रभु श्रीराम को अपनी नौका में बैठा कर गंगा पार करवाई थी और भरद्वाज मुनि के आश्रम लेकर गये थे।
सीएम योगी की प्रेरणा से हुआ दिव्य, भव्य कॉरिडोर और निषादराज पार्क का निर्माण
धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण श्रृंगवेरपुर धाम का मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने महाकुम्भ 2025 में सौंदर्यीकरण और भव्य कॉरिडोर का निर्माण करवाया है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के दिशानिर्देश पर लगभग 14 करोड़ रूपये की लागत से श्रृंगवेरपुर धाम में भव्य कॉरिडोर का निर्माण हुआ। प्रभु श्रीराम और उनके अनन्य मित्र निषादराज के मिलन की 52 फिट की प्रतिमा और पार्क का निर्माण कराया गया है। जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने अपने प्रयागराज के पिछले दौरे में किया था। इसके साथ ही श्रृंगवेरपुर धाम में गंगा जी के तट पर संध्या और रामचौरा घाट तथा निषादराज पार्क में प्रभु श्रीराम के आगमन के दृश्यों के म्यूरल बनाये गये हैं। साथ ही पर्यटन विभाग श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए फैसिलिटी सेंटर और होम स्टे जैसी सुविधाएं भी चला रहा है।
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