उत्तर प्रदेश
योगी सरकार का नई पहल, मरीजों की इंटेंसिव केयर में भी मददगार बनेगा एआई
महाकुम्भ में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की देखभाल के लिए इस बार बेहद हाईटेक इंतजाम किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप स्वस्थ महाकुम्भ और डिजिटल महाकुम्भ के सपने को साकार करने के लिए इस बार कई क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलीसेंज (एआई) का उपयोग किया जा रहा है। इसी क्रम में मेला क्षेत्र में बन रहे अस्पतालों के आईसीयू में भी पहली बार हाईटेक एआई मैसेजिंग फ्लो सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह एआई मैसेजंग फ्लो सिस्टम देश या विदेश के किसी भी कोने से आने वाले रोगी की बात समझकर डॉक्टर को समझा सकता है। यही नहीं, इसके अलावा आईसीयू में भर्ती किसी मरीज की हालत खराब होने की स्थिति में यह तत्काल डॉक्टर्स को अलर्ट भेजकर चिकित्सा इंतजाम सुनिश्चित करने की सुविधा प्रदान करेगा। महाकुम्भ में इस तरह की टेक्नोलॉजी का पहली बार इस्तेमाल किया जा रहा है, जो सीएम योगी के डिजिटल और स्वस्थ महाकुम्भ के विजन के अनुरूप है।
डॉक्टर-मरीज के बीच मीडिएटर का निभाएगा रोल
महाकुम्भ में करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं की आमद को लेकर मेला क्षेत्र में युद्ध स्तर पर तैयारी की जा रही है। श्रद्धालुओं से लेकर साधु-संतों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए 100 बेड के केंद्रीय अस्पताल के साथ ही झूंसी और अरैल समेत पूरे मेला क्षेत्र में 10 और अस्पताल तैयार किए जा रहे हैं। इन अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की बड़े पैमाने पर तैनाती की जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप महाकुम्भ के माध्यम से उत्तर प्रदेश की छवि को विश्व पटल पर आदर्श तरीके से प्रस्तुत करने के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी तमाम नए प्रयोग किए जा रहे हैं। इसी क्रम में पहली बार श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए एआई का उपयोग किया जा रहा है। अस्पताल के आईसीयू में इसका उपयोग महत्वपूर्ण होगा, जो मरीजों और डॉक्टरों के बीच मीडिएटर की तरह काम करेगा।
40 से ज्यादा भाषाओं का कर सकेगा अनुवाद
नोडल चिकित्सा स्थापना, महाकुंभ मेला डॉक्टर गौरव दुबे ने बताया कि महाकुम्भनगर में सेंट्रल हॉस्पिटल के 10 बेड वाले आईसीयू में श्रद्धालुओं को यह सुविधा मिलेगी। यहां भर्ती मरीज के सिरहाने एक स्पेशल माइक लगाया जा रहा है, जो हाईटेक एआई टेक्नोलॉजी से लैस रहेगा। यह 22 रीजनल और 19 इंटरनेशनल लैंग्वेज को पलक झपकते ही हिंदी या अंग्रेजी में ट्रांसलेट कर देगा। इससे डॉक्टर्स और मरीज के बीच भाषाई गैप नहीं होगा और समुचित इलाज की सुविधा प्रदान की जा सकेगी।
एआई इनेबल्ड कैमरे से होगी निगरानी
उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त पूरे आईसीयू में एआई इनेबल्ड कैमरा भी इंस्टॉल किए जा रहे हैं। यह कैमरा मरीजों की स्थिति पर नजर रखेंगे। इनके माध्यम से तीन वरिष्ठ विशेषज्ञों की टीम आईसीयू की निगरानी कर पाएगी। यही नहीं, यह कैमरा किसी पेशेंट की स्थिति का आंकलन कर यदि उसे तुरंत डॉक्टर की मदद चाहिए, इसे भी रीड कर पाएगा। इस स्थिति को रीड करने के बाद वह तत्काल एक्टिव होगा और एक मैसेज जेनरेट करेगा, जो सीधे टीम लीडर तक पहुंचेगा। इसके बाद चंद सेकेंड्स में उस मरीज को चिकित्सीय मदद मिलने में सुविधा होगी।
उत्तर प्रदेश
शाहजहांपुर: चाइनीज मांझे से सिपाही की गर्दन कटी, बीच रोड पर तड़प-तड़पकर हुई मौत, खून से लाल हो गई सड़क
शाहजहांपुर। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां ड्यूटी पर जा रहे सिपाही की गर्दन पतंग के चाइनीज मांझे से कट गई, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। मृतक सिपाही का नाम शाहरुख हसन है।
शाहरुख़ अपनी बाइक से विभागीय काम से जा रहे थे। इसी दौरान उनके गले में मांझा फंस गया और वह नीचे गिर गए। आनन-फानन में स्थानीय लोग उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद सिपाही को मृत घोषित कर दिया। मृतक सिपाही अभियोजन कार्यालय में तैनात थे और वह विभागीय काम से अजीजगंज स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज जा रहे थे। इसी दौरान गर्रा नदी पुल पर उनके गले में चाईनीज मांझे की डोर अटक गई। शाहरुख ने मांझे को बहुत हटाने की कोशिश की, लेकिन वह हटने की जगह और ज्यादा गले में धंसता चला गया।
वहां मौजूद एक चश्मदीद राकेश का कहना है कि वह दुकान पर बाहर की तरफ खड़ा था. तभी गर्रा पुल से ढलान की ओर रोड क्रॉस करते हुए सिपाही आ रहे थे तभी उसकी गर्दन मांझे में फंस गई जबकि मांजा एक बच्चा दूसरी साइड से खींच रहा था, जिससे उनकी गर्दन और कटतीं चली गई।
घटना की जानकारी मिलते ही डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह एवं एसपी राजेश एस सहित नगर मजिस्ट्रेट व अन्य अधिकारियों ने जिला अस्पताल पहुंच कर घटना की जानकारी ली। जिलाधिकारी ने कहा है कि विशेष अभियान चलाकर चाइनीज मांझे की बिक्री करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने लोगों से अपील भी की है कि किसी भी तरह से पतंगबाजी के लिए चाइनीज मांझे का उपयोग न करें और न ही इसकी खरीद बिक्री करें।
गौरतलब है कि चाइनीज मांझे पर पहले से ही प्रतिबंध है, लेकिन इसके बावजूद इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है, जो अब जानलेवा साबित हो रहा है प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है।
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